मनोविज्ञान के सिद्धांत | Principles Notes Of Psychology PDF In Hindi

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मनोविज्ञान के सिद्धांत और उनके जनक – Principles Of Psychology And Their Fathers PDF Free Download

मनोविज्ञान की भारतीय संकल्पना

भारतीय मनोविज्ञान का इतिहास अति प्राचीन है। भारतीय परम्परा में दर्शन, मनोविज्ञान और शिक्षा को अलग कर विवेचन करने की चेष्टा नहीं की गई।

यह सदैव ज्ञान के स्थानान्तरण की त्रिवेणी के रूप में प्रवाहित होती रही है।

भारतीय परम्परा में शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन का विषय जीवन के सभी चेतन-अवचेतन व्यवहार एवं चेष्टाएँ हैं।

भारतीय संदर्भ में मनोविज्ञान केवल मन और व्यवहार तक सीमित न रहकर मन से परे आत्मतत्व तथा सभी प्राणी जगत के व्यवहार का अध्ययन और विकास समाहित किए हुए हैं।

वेद. उपनिषद, श्री मद्भगवत गीता आदि सभी ग्रन्थ मनोविज्ञान के प्रमाणित ग्रन्थ हैं। हिन्दू मनोविज्ञान का मूल आधार वेद ही है। वेदों में इसे आध्यात्म विद्या भी कहा गया है, क्योंकि:

यह ज्ञान आध्यात्मिक विकास और दिव्य जीवनयापन का सशक्त साधन है।

वेदों का अन्तिम भाग उपनिषद हैं, जिसमें पुरुष जो अनन्त शक्ति है, सर्वत्र व्याप्त है, संसार का रचियता और उस पर काल का स्थायी प्रभाव नहीं पड़ता है गीता में अनेक ऐसी बातें है जो उपनिषदों में भी मिलती है। गीता व्यवहारिक जीवन दर्शन पर बल देती है।

भारतीय मनोविज्ञान में जीवन के अन्त और बाहय दोनों ही पक्षों की महत्ता है।

अन्तः पक्ष की अध्ययन प्रणाली में व्यक्ति निष्ठता (Subjectivity) और बाह्य पक्ष की अध्ययन विधि में वस्तुनिष्ठता (Objectivity) रहती है। प्रायः यहाँ व्यक्तिनिष्ठता भी उतनी ही प्रमाणिक रहती है जितनी की वस्तुनिष्ठता होती है।

आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मनोविज्ञान प्राणी के व्यवहार तथा मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है। दूसरे शब्दों में मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध (Systematically) रूप से प्रेक्षणीय व्यवहार (Observable Behaviour) का अध्ययन करना है

तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक (Mental and physical) प्रक्रियाओं यथा चिन्तन भाव एवं घटनाओं से उनका सम्बन्ध जोड़कर अध्ययन करना है।

मनोविज्ञान की भारतीय संकल्पना की विशेषताएं :

आत्म तत्व को पहचानना (Identification of self)

आध्यात्मिक मनोविज्ञान (Spiritual Psychology)

योग का महत्व (Importance of Yoga)

ध्यान का महत्व (Importance of Meditation)

रहस्यवाद का मनोविज्ञान (Psychology of Mystirism)

प्राकृतिक व्यवस्था का समावेश (Inclusion of natural system)

गीता में मनोविज्ञान (Psychology in Geeta)

वेदों में मनोविज्ञान (Psychology of Vedas)

शारीरिक एवं मानसिक विकास की अवधारणा (Concept of Physical and mental development)

उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संकल्पना में मनोविज्ञान में उन सभी तत्वों को सम्मिलित किया गया है, जो कि वर्तमान समय में विद्यमान है।

आज का मनोविज्ञान प्राचीन मनोविज्ञान की ही देन है। सामान्यतः वर्तमान एवं भारतीय सकल्पना में मनोविज्ञान में एक अन्तर पाया जाता है।

मनोविज्ञान की भारतीय संकल्पना में रहस्यवाद समाहित था वहीं वर्तमान मनोविज्ञान में रहस्यवाद का कोई स्थान नहीं है।

वर्तमान समय के मनोविज्ञान पर विचार किया जाये तो यह मनोविज्ञान प्राचीनकाल के मनोविज्ञान की ही देन माना जा सकता है।

प्राचीनकाल के मनोविज्ञान में वे सभी मनोवैज्ञानिक तथ्य समाहित हैं, जो कि आज के मनोविज्ञान में समाहित हैं।

आज बालक के अवधान को केन्द्रित करने के लिए कक्षा में अनेक प्रकार के उपाय किये जाते हैं परन्तु प्राचीनकाल में छात्रों का अवधान केन्द्रित करने के लिए उनको योग की शिक्षा प्राथमिक स्तर पर दी जाती थी।

वर्तमान मनोविज्ञान में संवेगात्मक स्थिरता के उपाय के रूप में अनेक प्रकार के व्यवहारिक एवं शैक्षिक उपाय बताये जाते हैं परन्तु मनोविज्ञान की भारतीय संकल्पना में योग के आधार पर ही मनोवृत्ति को स्थिर करना सिखाया जाता था जिससे कि स्वाभाविक रूप से छात्र का मन स्थिर हो जाय तथा उसमें संवेगात्मक अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न न हो।

उक्त उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि मनोविज्ञान में उन सभी तथ्यों को आधार माना गया है, जो कि मनोविज्ञान की भारतीय संकल्पना में विद्यमान है।

12 मनोविज्ञान की परिभाषाएं मनोविज्ञान का अर्थ – “मन के विज्ञान को मनोविज्ञान कहा जाता है। भारतीय वाड्मय में उसकी प्रकृति पश्चिम के मनोविज्ञान के समान शैक्षणिक (Educational) नहीं होकर आध्यामिक (Spiritual) है। अत उसे “मन का ज्ञान” कहना अधिक सार्थक प्रतीत होता है।

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भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 102
PDF साइज़37 MB
CategoryEducation
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