कार्ल मार्क्स का सिद्धांत | Karl Marx’s Theory Notes PDF In Hindi

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मार्क्स का वर्ग संघर्ष सिद्धान्त – Marx’s class struggle theory PDF Free Download

शीर्षककार्ल मार्क्स सिद्धांत की प्रस्तावना (Introduction To Karl Marx Theory)

कार्ल मार्क्स का जन्म 1818 में ट्रायर में हुआ । उन्होंने बोन विश्वविद्यालय तथा बर्लिन विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया तथा जेना से डाकरेक्ट की उपाधि प्राप्त की

1843 में वह पेरिस चले गये जहाँ उनकी मित्रता फेड्रिक एनजल्स से हुई जिसने उन्हें राजनीतिक अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रेरणा दी

1848 में उनका एंजल्स के साथ मिलकर लिखा ग्रंथ The Communist Manifesto प्रकाशित हुआ। 1859 में उनका ग्रंथ The Critique of Political Economy व 1845 में Das Kapital प्रकाशित हुआ । मार्क्स की मृत्यु 1883 में हुई ।

Das Kapital के अन्य अध्याय उनकी मृत्यु के उपरांत 1885 व 1894 में छपे प्रतिष्ठित विश्लेषण में ठीक उस समय, जबकि जे.एस. मिल का लेखन आशावादी दृष्टिकोण से समन्वित सिद्धान्त का प्रसार कर रहा था, द्वंद एवं विरोधाभास को रेखांकित करता वदात्मक भौतिकवाद का विश्लेषण इसके लिए चुनौती बना ।

यह नवीन विश्लेषण एडम स्मिथ एवं डेविड रिकार्डों के मूल्य के श्रम सिद्धान्त द्वारा विकसित था जिसे इतिहास के भौतिक विश्लेषण एवं निर्वचन से संबंधित किया गया।

इसके जनक कार्ल मार्क्स थे जिन्हें आधुनिक वैज्ञानिक समाजवाद का जन्मदाता माना गया। उन्होंने पूँजीवाद के पतन एवं समाजवाद के विकास का मौलिक विश्लेषण प्रस्तुत किया ।

एडमंड विल्सन ने मार्क्स को के नाम से पुकारा। प्रो. शुम्पीटर ने अपनी पुस्तक Ten Great Economist में लिखा कि मार्क्सवाद एक धर्म है ।

रूढिवादी मार्क्सवादियों के लिए मार्क्सवादियों का विरोध बुरा ही नहीं बल्कि पाप माना गया उनकी पुस्तक Das Kapital को समाजवाद की बाइबिल कहा गया

शुम्पीटर अपने ग्रंथ History of Economic Analysis ( 1951. P. 390) में लिखते हैं कि जहाँ तक शुद्ध सिद्धान्त का सम्बन्ध है कार्ल मार्क्स को एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री माना जाना चाहिए ।

जे.एस. मिल ने जहाँ एडम स्मिथ की परम्पराओं का अनुसरण किया वहीं मार्क्स ऐसे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में थे जिन्होंने रिकार्डों के उपकरणों का प्रयोग किया।

मार्क्स के अनुसार प्रतिष्ठित राजनीतिक अर्थव्यवस्था पेटी के समय में एक बुजुर्ग समाज में उत्पादन के वास्तविक संबंधी की खोजबीन करती थी ।

एडम स्मिथ एवं रिकार्डों इस स्कूल के अच्छे प्रतिनिधि थे लेकिन आधुनिक आर्थिक दशाओं का अनुभव सिद्ध अवलोकन रिकार्ड ने किया। मार्क्स के अनुसार राजनीतिक अर्थव्यवस्था विज्ञान केवल तब तक है जब तक वर्ग संघर्ष दिखायी देते हैं

कार्ल मार्क्स सिद्धांत की इतिहास भौतिकवादी विश्लेषण (Materialistic Interpretation Of History Of Karl Marx Theory)

मार्क्स ने इतिहास की प्रत्येक घटना को आर्थिक आधारों पर स्पष्ट किया। उनके अनुसार सामाजिक जीवन के विकास को इतिहास के भौतिकवादी विश्लेषण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

सभी ऐतिहासिक घटनाएं समाज में विभिन्न वर्गी एवं समूहों के मध्य चल रहे नियमित आर्थिक संघर्ष का परिणाम होती है।

इतिहास संयोग से घटने वाली घटनाओं का एकत्रण नहीं है बल्कि यह निश्चित नियमों खा अनुसरण करता है जिससे सामाजिक जीवन के बदले हुए स्वरूपों का सृजन होता है।

मार्क्स के अनुसार- उत्पादन की विधि वह मुख्य घटक है जो सामाजिक व्यवहार को निर्धारित करती है।

मार्क्स के अनुसार- उत्पादन से संबंधित भौतिक शक्तियों में परिवर्तन होता रहता है।

उत्पादन की विधि एवं उत्पादन का संबंध विचारों एवं संस्थाओं को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करते हैं।

मार्क्स के अनुसार विकास की एक निश्चित अवस्था में समाज की भौतिक उत्पादक शक्तियाँ

उत्पादन के विद्यमान संबंधों के साथ दवंद का अनुभव करती हैं परिवर्तन की इस प्रक्रिया में

‘वर्ग संघर्ष’ महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करता है ।

मार्क्स ने समाज के उदभव एवं विकास हेतु दवदात्मक भौतिकवाद के दर्शन का आधार लिया | समाज में चार विभिन्न अवस्थाओं का क्रम देखा जाता है प्राथमिक अवस्था प्राथमिक समाजवाद की है।

तदुपरांत प्राचीन दास समाज की अवस्था आती है। प्राथमिक अवस्था में उत्पादन के साधनों पर समाज स्वामित्व होता है। श्रम विभाजन विकसित नहीं होता ।

इससे वस्तुएँ अपने श्रम मूल्य पर विनिमय की जाती है, जिसका निर्धारण उन्हें उत्पादित करने में आवश्यक श्रम समय के द्वारा होता है।

पूंजीवादी समाज में मानवीय श्रम को भी एक वस्तु की तरह देखे जाने की प्रवृति विद्यमान होती है। वस्तु शक्ति जिसे मार्क्स ने श्रम शक्ति कहा कि विनिमय अवश्य ही श्रम मूल्य पर होना चाहिए ।

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