बाली और जावा द्वीप से प्राप्त प्राचीन हस्तलिखित भगवद गीता PDF Free Download
बाली और जावा द्वीप से प्राप्त प्राचीन हस्तलिखित भगवद गीता
बड़े हर्ष की बात है कि मेरी इस प्राचीन भगवद्गीता का जनता ने यथोचित् भार किया, क्योंकि सं० १६२ से ८४ तक के केवल दो वर्षों में ही सारी प्रतियां २००० गई और मांगे बढ़ रही है
(श्री युक्त जैमिनी मेहता बी बी० ए० बैदिक मिशनरी ने, जो मार्च १९२८ ई० में फिज़ी होप मैं धर्म प्रचारार्थ चले गये. है एक पत्र में यह लिखा था कि इस पुस्तक की अगर ५०० प्रति- या मेरे पास भेज दें तो मैं फौरन खपा दू” परन्तु उनकी इस मांग की मैं पूर्ति न कर सका ) ।
हिन्दी के सिवाय अन्य भाषाओं में भी इस प्रन्थ के अनुवाद हुये है ।
पञ्जाय शाहपुर नगर के पंडित श्रुतिकान्त जी शास्त्रो ने मुझ से आज्ञा लेकर उद् अनु- बाद छपवाया है
गुजराती में छपवाने वाले हैं कलकत्ता के पण्डित ज्योतिन्द्रनाथ मलिक उपदेशक आर्य समाज ने भी इसी प्रकार बंगला भाषा में लिया कर लिया है जो शीघ्र छपेगा, इस प्राचीन भगवद्गीता पर जो उनकी समालोचना में प्रकाशित हुई थी,
डन में भी अधिकांश प्रशंसा परक पाई मई इस लिये पाठकों के सूचनार्थ मैं उन में से केवल एक यहां उद्ध व किये देता हूंँ ।
प्राचीन भगवद्गीता के बारे में सुविख्यात दार्शनिक लेखक, सर्व साधारण लोगों के पडते के किए यह भात्यन्तोपयोगी है आपने श्रुतियों के जो प्रमाण दिये है, उनसे एलोकों का महत्व और भी बढ़ गया है ।
हिन्दी संसार के लिये यह पुस्तक एक नई चीज़ है।”
इन सम्मतियों से उत्साहित हो कर मैं इस अपूर्व अन्य की पूनराहुति डचित भानता हू’ भौर खर्यं निधेन संन्यासी होने के कारण इस समय श्रीयुत् गोषिन्दराम हालानन्द
लेखक | मंगलानन्द पूरी-Mangalanand Puri |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 89 |
Pdf साइज़ | 1.8 MB |
Category | Religious |
प्राचीन भगवद गीता – Prachin Bhagavad Gita Book Pdf Free Download