ओशो का शिक्षा दर्शन | Osho Shiksha Darshan PDF

ओशो रजनीश का अधुनातम शिक्षा दर्शन – Shiksha Darshan Book PDf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश

के ज्ञान आनन्द और सौन्दर्य सभी से वंचित रह जाता है। ज्ञान आनन्द और सौन्दर्य की अनुभूति के लिए तो युवा चित्त चाहिए शरीर तो बूढ़ा होगा लेकिन मन तो सदा युवा रह सकता है। मृत्यु के अन्तिम क्षण तक जवान रह सकता है और ऐसा चित्त ही जीवन और मृत्यु के रहस्यों को जान सकता है।

लेकिन वर्तमान शिक्षा तो चित्त को बूढ़ा करती है वह चित्त को जगाती नही है, और भरने से चित्त बूढ़ा होता है।

विचार जहाँ जागृत है वहां मन सदा युवा रहता है और मन जहाँ युवा है वहाँ जीवन का सतत् संर्घष है वहाँ चेतना के द्वार सदा खुले रहते हैं वहाँ सुबह की ताजी हवायें आती है और उगते सूरज का प्रकाश भी आता है

व्यक्ति जब दूसरों के विचारों में कैद हो जाता है तो सत्य के आकाश में उसकी स्वयं के उड़ने की क्षमता ही नष्ट हो जाती है। लेकिन वर्तमान शिक्षा क्या करती है?

क्या वह विचार करना सिखाती है या कि मात्र उधार या मृत विचार देकर ही तृप्त हो जाती है।

श्रद्धा और विश्वास बांधते है सन्देह मुक्त करता है, सन्देह से हमारा तात्पर्य अविश्वास नही है क्योंकि अविश्वास विश्वास का नकारात्मक रूप है – “न विश्वास न अविश्वास सन्देह” विश्वास और अविश्वास दोनों ही सन्देह की मृत्यु है और जहाँ संदेह की मुक्ति दाई तीव्रता नही है वहाँ न सत्य की खोज है न प्राप्ति है

संदैह नही तो सत्य की खोज कैसे होगी यह जड़ता पैदा की है शिक्षा ने तथा शिक्षक ने शिक्षा के माध्यम से मनुष्य के चित्त को परतंताओ की अत्यंत सूक्ष्म जंजीरों में बांधा जाता रहा है यह सूक्ष्मशोषण बहुत पुराना है।

शोषण के अनेक कारण है – धर्म है, धार्मिक गुरू है, राजतंत्र है, समाज के निजी स्वार्थ में सत्ताधारी है

लेखकओशो-Osho
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ221
Pdf साइज़73.3 MB
Categoryविषय(Subject)

ओशो रजनीश का अधुनातम शिक्षा दर्शन – Osho Rajneesh Ka Adhunatam Shiksha Darshan Book/Pustak Pdf Free Download

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