ओह, नहीं! – Oh No! Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
मेंटक गिरा गहरे, बहुत गहरे गड्ढे में,टर्र-टर्र उफ टर्र-टर्रर उफ मेंढक गिरा गहरे, बहुत गहरे गड्ढे में. मेंढक गिरा इतने गहरे गड्ढे में, अपनी जान बचाने को निकल न पाया बाहर. मेंढक चिल्लाया, “मदद करो! निकल नहीं सकता मैं बाहर!”
चूहा आया, पर कर सकता था वह भी क्या? पिप्पा-इइड़का पिप्पा-इइइक क चूहा आया, पर कर सकता था वह भी क्या? पिप्पा-इइइक T था इतना छोटा, कर सकता था वह भी क्या? उसने किया नीचे पहुँचने का प्रयास
वह भी गिर गया गड्ढे में. वह किकियाया, “हम फंस गये! निकल नहीं सकते हम बाहर” भालू ने एक बड़ी लंबी डाल नीचे लटकाई पकड़ लो इसे! पकड़ लो इसे!
ने एक बड़ी लंबी डाल नीचे लटकाई पकड़ लो इसे! भालू भालू ने एक लंबी, बहुत लंबी डाल नीचे लटकाई लेकिन गड्ढे में गिरे पशु थे
इतने भारी बाघ ने अपनी आँखें सिकोड़ ली और लगा चाटने होंठ, इतनी स्वादिष्ट दावत देख कर आ गई चेहरे पर मुस्कान, धीमी आवाज़ में बाघ ने कहा, “मैं आया हूँ तुम्हारी सहायता करने.” ओह, नहीं!
बाघ गिरा गहरे, बहुत गहरे गड्ढे में. गर्..ऑल! गर्े..ऑल! बाघ गिरा गहरे, बहुत गहरे गइटे में, गरी…ऑल!
बाघ जा गिरा इतने गहरे गड्ढे में अपनी जान बचाने को निकल न पाया बाहर बाघ चिल्लाया, “प्लीज़, प्लीज, क्या मुझे न निकालोगे तुम बाहर? फिर धरती लगी गड़गड़ाने और लगी थर-थर कांपने.
बा-बूम बा-बूम! धरती लगी गड़गड़ाने और लगी थर-थर कांपने. धरती लगी गड़गड़ाने और लगी खूब ज़ोर से थरथराने.
और देखो कौन आ गया उन्हें मुसीबत से आज बचाने अब बाघ चोरी-छिपे आया और लगा चाटने अपने होंठ, स्लॉप-स्लप! स्लॉप-स्लर्प! बाघ चोरी-छिपे आया और लगा चाटने अपने होंठ.
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 20 |
Pdf साइज़ | 2.4 MB |
Category | बाल पुस्तके(Children) |
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