निलावन्ती ग्रन्थ | Nilavanti Granth PDF In Hindi

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निळावंती ग्रंथ – Origional Nilavanti Granth PDF Free Download

निलावंती ग्रंथ

दोस्तो निलावंती ग्रंथ को भारत सरकार ने बैन कर दिया है क्योंकि इस ग्रंथ को एक श्रापित यक्षिणी के द्वारा लिखा गया है। ऐसा माना जाता है कि जिसने भी लालचवश इस किताब को पढने की कोशिश की उसकी मृत्यु हो गई या फिर वह पागल हो गया। जब बहुत सारे मामले आने लगे तो भारत सरकार ने ग्रंथ को पढने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया।

निलवंती ग्रंथ पढ़ने से मनुष्य काल(समय) का ज्ञाता बन जाता है। आजतक ना जाने कितने ही लोग उसे खोजते हुए मृत्यु को पा गये जो लोग काल का ग्रास बन गये उन सब में एक समानता थी की वे इस ग्रंथ का हेतु अथवा उपयोग नही जानते थे।

हकीकत मे किसीको भी यह ग्रंथ कहा छुपाया हुआ है मालुम नही था। सभी ने अपने अपने तरीके से उसे खोजने मे अपनी जिंदगी लगा दी थी पर कामयाब एक भी न हुआ।

समय पर नियंत्रण रखने की चाह तब से चली आ रही है जबसे मनुष्य को काल की समझना सीखा है। जब मनुष्य ने काल के रहस्य को जान लिया, तब से वह उसपर नियंत्रण रखने की उसके साथ आगे-पीछे सफर करने की ख्वाईश पाले हुए है।

वास्तव में काल जिसको समय कहा जाता है बहुत पेचीदा चीज है। उसके साथ थोडी सी छेडछाड भविष्य बदल देती है।

लेकीन सच तो यह है की अगर आप वह कर पाये तो, आप धटना को बदल नहीं पायेंगे क्योंकी आप समय में पीछे गये और आपने कुछ घटनायें बदल दी तो आगे का पुरा वर्तमान बदल जायेगा और मतलब आप इतिहास बदलने के लिये गये यह परिस्थिती ही उत्पन्न नही होगी इसका सीधा अर्थ यह है की आपने समय बदला ही नही मतलब इतिहास वैसा का वैसा ही है।

इसी जगह निलावंती ग्रंथ का काम शुरू होता है लोग खुद समय बदलने की सोचते है लेकीन यह ग्रंथ पढनेवाले को ताकत देता है की वह समय को बदल सके, व्यक्ति को शक्ति प्राप्त होती है जिससे वह दुसरे का इतिहास बदल सके। लेकीन यह सब सुनी सुनाई बाते है आज तक किसीने अपनी आँखो से इस ग्रंथ को नही देखा सिर्फ उसका नाम और उसके कारनामे सुने है उस ग्रंथ का नाम है “नीळावंती”।

महाराष्ट्र के किसी भी गाव मे जाकर आप किसी बुढे को पुछेंगे तो वह अवश्य आपको नीळावंती के बारे मे बतायेगा और साथ मे यह चेतावनी भी देगा की उसके पढ़ने से पढनेवाले का वंश नष्ट हो जायेगा। सबसे महत्वपुर्ण बात यह ग्रंथ पढने से पढने वाले को पशु पक्षीयों की भाषा समझने लगती है।

तांत्रिको में यह हंमेशा से माना जाता रहा है की पशु-पक्षीयों का समय मनुष्यों के समय से अलग तरह से चलता है। मनुष्यो के लिये जो काल एक दिन का होता है वही चींटीयों के लिये कई सालों का हो सकता है।

और दुसरी मान्यता यह है की समय को समय जितना ही सुक्ष्म होकर परिवर्तित किया जा सकता है। यह सब तब की बाते है जब यह ग्रंथ मिल जाये और उसे पढ़ने की कला अवगत हो क्योंकी वह ग्रंथ मिल भी जाये तो वह किसी मानवीय लिपी मे नही है पैशाच लिपी में लिखा हुआ हैं।

पैशाच लिपि को जानने वाला कोई भी मनुष्य इस सृष्टि मे नही है। कहा ये भी जाता रहा है की हिमालय की गुफा- कंधराओं मे बैठे साधु-मुनियों में से कईयों को वह रहस्यमयी लिपी आती है लेकीन वह कहाँ है। वह ग्रंथ कैसा है यह भी कोई नही जानता, ना वह कहाँ है यह, ना उसके पढ़ने का तरीका ही लेकीन उस ग्रंथ से क्या किया जा सकता है यह जानने से ही कोई भी उसे खोजने के लिये प्रवृत्त हो जाता है, कोई भी का मतलब जिसे किसी अलौकिक कार्य मे अति रूचि हो।

“निलावंती ग्रन्थ” के बारे में और एक बात प्रसिद्ध थी की उसे जाननेवाला एक मनुष्य आज भी जिवित है उसे लोग बाजिंद कहते है और वह महाबळेश्वर के जंगलो में रहता है।

कहते है इस ग्रन्थ की आयु १००० वर्ष से भी ज्यादा है। अब सबसे आसान तरीका तो यह है की पहले बाजिंद को खोजा जाये जो उसे जाननेवाला है और उसके पास से जो जानकारी मिले, उसके आधार पर खोज करे और एक बात आप को बता दू जो लोग “नीळावंती’ के पीछे थे वह चाहे जिस भी काल मे हुये हो या फिर किसी भी जगह से हो उन मे एक और समानता थी वे सभी महाबळेश्वर के जंगलो मे जाते देखे गये थे।

उनमे से केवल दो लोग ही जाने के बाद फिर से देखे गये थे वह भी मृत अवस्था मे बाकियों का जिनकी संख्या सैकडो मे हो सकती है क्या हुआ किसी को नही पता क्योंकी उनका ना शरिर मिला था ना कोई अवशेष।

अब इतनी जानकारी मिलने के बाद क्या आप अब भी चाहते है की आप भी उस ग्रंथ की खोज करने जाये तो मैं आप को उस आखरी इंसान के बारे मे बताता हूँ जो नीळावंती की खोज मे गया था।

शायद आपको कोई काम की बात मिल जाये जो आपको नीळावंती खोजने मे काम आ जाये।

निलावंती एक श्रापित ग्रंथ की पूरी कहानी-

दोस्तो यह बहुत समय पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव मे एक आदमी था उसकी एक पत्नी और एक छोटी सी बच्ची थी। जब वह बच्ची पाँच वर्ष की हुई तो उसकी माँ की मृत्यु हो गई। इस बच्ची का नाम निलावंती था।

निलावंती की माँ की मृत्यु के पश्चात निलावंती के पिता ने उस गाँव को छोड दिया और निलावंती को लेकर दूसरे गाँव मे चले गये। दोस्तो निलावंती के पिता जी को आर्युवेद का अच्छा खासा ज्ञान था।

निलावंती भी अपने पिता से आर्युवेद का ज्ञान लेती थी। निलावंती के अंदर एक खासियत थी कि वह पेड पौधो, जानवरों, पशु पक्षियों सब की भाषा समझती थी।

यही नही निलावंती के स्वप्न मे शैतान भी आते थे और निलावंती को जमीन के नीचे गडे हुये धन दौलत के बारे मे जानकारी देते थे। लेकिन निलावंती के अंदर उसके पिताजी के अच्छे संस्कार थे इसीलिये वह सबकुछ जानते हुये भी धन दौलत जमीन के नीचे से खोदकर नही निकालती थी।

निलावंती को पेड पौधे और शैतान जो भी मंत्र बताते थे वह पीपल के पत्ते से बनी किताब पर लिख लेती थी। जब निलावंती 20 से 22 वर्ष की हो गई तब जो भूतप्रेत निलावंती के स्वप्न मे आते थे वो हकीकत मे सामने आने लगे।

कुछ समय बाद निलावंती को पता चलता है कि वो एक श्रापित यक्षिणी है जो कि एक श्राप की वजह से मनुष्यकी दुनिया से बाहर नही निकल पा रही है, उसे अपनी दुनिया मे जाना था। यह सब बात वह अपने पिताजी को बताती है।

तब उसके पिताजी उससे कहते है कि बेटी यदि तू इस दुनिया की नही है और किसी श्राप के कारण तू हमारी दुनिया मे फसी हुई है तो मै तुझे नही रोकूंगा अतः तू स्वेच्छा से यहाँ से जा सकती है।

फिर निलावंती उस गाँव को छोडकर जाने लगी कि रास्ते मे उसे एक व्यापारी मिलता है अतः निलावंती उस व्यापारी से दूसरे गाँव मे जाने के लिये कहती है क्योंकि निलावंती को एक अच्छी आत्मा ने बताया था कि यहाँ से 35 मील की दूरी पर तुम्हें एक गाँव मिलेगा और उस गाँव मे तुम्हें एक बरगद का पेड मिलेगा।

वही से तुम्हे अपनी दुनिया मे जाने का रास्ता मिलेगा इसके अलावा तुम्हे अपने रक्त के साथ-साथ पशु पक्षियों की भी बली देनी होगी। इसी को ध्यान मे रखते हुये वह निलावंती उस व्यापारी से उस गाँव मे चलने के लिये कहती है।

वह व्यापारी निलावंती को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है और कहता है कि मै तुम्हें उस गाँव मे छोड दूँगा लेकिन बदले मे तुम्हे मुझसे शादी करनी पडेगी।

निलावंती ने व्यापारी के सामने मुसकराते हुये कहा कि ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन मेरी एक शर्त है कि रात के समय मै तुम्हारे साथ नही रहूँगी मै कहा जाती हूँ क्या करती हूँ इसके बारे मे तुम मुझसे कुछ नही पूछोगे।

व्यापारी ने कहा कि ठीक है मुझे मंजूर है। उसके बाद वह व्यापारी निलावंती को अपने बैलगाड़ी मे बिठाकर उस गाँव मे ले गया।

फिर शर्त के अनुसार निलावंती ने उस व्यपारी से विवाह कर लिया। रात के समय निलावंती प्रतिदिन बरगद के पेड के नीचे तंत्रमंत्र करने के लिये चली जाती थी वहाँ पर वो अपना रक्त और पशु पक्षियों की बली भी चढाती थी।

एक दिन रात के समय जब निलावंती तंत्रमंत्र उस बरगद के पेड के नीचे कर रही थी उसी समय उस गाँव के कुछ लोग निलावंती को पशु पक्षियों की बली देते हुये देख लेते है और उस व्यापारी को जाकर सारी घटना की जानकारी देते है।

जब अगली रात को निलावंती अपने समय के अनुसार रात मे तंत्रसाधना के लिये निकलती है तो उसके पीछे-पीछे वह व्यापारी भी चला जाता है और निलावंती को तंत्रसाधना करते हुये देख लेता है।

अगले दिन निलावंती के स्वप्न मे शैतान आता है और उससे बताता है कि निलावंती कल जब तुम तंत्रसाधना के लिये बरगद के पेड के नीचे जाओगी उसी समय बरगद के पेड के बगल से जो नदी बहती है उस नदी मे तुम्हें एक लाश बहती हुई दिखाई देगी उस लाश के गले मे एक ताबीज होगा तुम्हें उसे खोल लेना है गले से ताबीज को निकालने के बाद उसी नदी मे तुम्हे एक नाव पर सवार आदमी मिलेगा तुम्हें इस ताबीज को उस आदमी को दे देना है वह तुम्हें दूसरी दुनिया के दरवाजे तक पहुचाने मे तुम्हारी मदद करेगा।

उस शैतान ने निलावंती से यह भी कहा कि तुम्हे अपनी दुनिया मे वापस लौटने का सिर्फ यही एक ही चांस मिलेगा दोबारा चांस तुम्हें नही मिलेगा।

अगले दिन निलावंती बहुत खुश हुई और रात के समय बरगद के पेड के नीचे चली गई। वह तंत्र साधना करके अपनी रक्त की तथा पशु पक्षी की बली दे ही रही थी कि उसे नदी के किनारे एक लाश बहती हुई दिखाई देती है।

निलावंती उस लाश के पास जाती है और उसके गले मे बधे हुये ताबीज को निकालने की कोशिश करती है। उसी समय वहाँ पर वह व्यापारी भी आ गया जो अपने असली शैतानी रूप मे आ गया था।

वह ताबीज की पहली गाँठ खोल पाई थी दूसरा खोलने ही वाली थी कि गाँव वाले वहाँ आ गये और निलावंती को नरभक्षी समझकर कहने लगे कि ये दोनो शैतान है ये दोनो तो सभी गाँव वालो को मार डालेंगे अतः इन दोनो को मार डालो।

सभी गाँव वालो ने अपने-अपने हथियार लेकर दोनो को दौडा लिया निलावंती तो बच गई लेकिन गाँव वालो ने उस राक्षस को मार गिराया। राक्षस होने की वजह से वह दोबारा जीवित हो उडा और निलावंती के पास आकर बोला कि तुम मुझे ये किताब दे दो जिसमे तुमने मंत्रो को लिखा है और मुझे कुछ नही चाहिये।

तब निलावंती ने सोचा कि यदि यह किताब इस शैतान को मिल गया तो यह दुनिया के लिये अनर्थ साबित हो सकता है अतः निलावंती ने उस किताब को श्रापित करते हुये कहा कि जिसने लालच मे आकर इस किताब को पूरा पढ लिया उसकी तुरंत मृत्यु हो जायेगी और जिसने इस किताब को आधा पढकर बीच मे ही छोड दिया वह पागल हो जायेगा। यह कहकर निलावंती उस किताब को लेकर भाग गई।

उसके बाद निलावंती का आज तक पता नही चला कि वह कहा गई। कुछ समय पश्चात वह किताब एक साधू को मिलती है उस साधू के मन मे किसी भी तरह का कोई लालच नही था।

चूंकि वह किताब दूसरे भाषा मे लिखी गई थी अतः उस साधू ने उसे सरलतम रूप मे अनुवाद करके लिखा ताकि सबको समझ मे आ जाये।

लेखक आकाशराजनाथ
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 16
PDF साइज़0.8 MB
CategoryReligious
Source/Creditspdffile.co.in

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‘नीलवंती’ एक शापित ग्रंथ – Nilavanti Granth PDF Free Download

24 thoughts on “निलावन्ती ग्रन्थ | Nilavanti Granth PDF In Hindi”

  1. I need this book name neelavati granth because of i want to try to read book if this book is available in hindi in then must provide me and in other Language then also provide me please its humble request i provide my email id please send it and one more thing clear copy i need

      1. The actual book is of 279 pages as far I know so how this pdf which I have downloaded from here is of 16 pages can u provide me the actual in English language.

  2. I have nelavanti book all pdf but kuch nahi hua pdne ke baad to saare mantra hai bas na main pagal hua na mara it’s all fake theory..

    1. મારે આ પુસ્તકનું નામ નીલાવતી ગ્રંથ જોઈએ છે કારણ કે હું પુસ્તક વાંચવાનો પ્રયાસ કરવા માંગુ છું જો આ પુસ્તક હિન્દીમાં ઉપલબ્ધ હોય તો મને પ્રદાન કરવું અને અન્ય ભાષામાં પણ પ્રદાન કરવું, કૃપા કરીને તેની નમ્ર વિનંતી હું મારું ઇમેઇલ આઈડી પ્રદાન કરું છું કૃપા કરીને તેને મોકલો અને એક મને વધુ સ્પષ્ટ નકલની જરૂર છે

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