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नवग्रह स्तोत्र पाठ – Navagraha Stotra PDF Free Download
Navagraha Stotra Lyrics
प्रात:काल इस स्तोत्र का पाठ करने से क्रूरग्रह अपना असर नहीं करते। किसी ग्रह के असर होने पर 27 दिन तक प्रति दिन 21 बार पाठ करने से अवश्य शांति होगी।
त्रैलोक्यगुरु तीर्थंकर-प्रभु को, श्रद्धायुत मैं नमन करूँ |
सत्गुरु के द्वारा प्रतिभासित जिनवर वाणी को श्रवण करूँ ||
भवदु:ख से दु:खी प्राणियों को सुख प्राप्त कराने हेतु कहूँ |
कर्मोदयवश संग लगे हुए ग्रह-शांति हेतु जिनवचन कहूँ ||१||
नभ में सूरज-चंदा ग्रह के मंदिर में जो जिनबिम्ब अधर |
निज तुष्टि हेतु उनकी पूजा मैं करूँ पूर्णविधि से रुचिधर ||
चंदन लेपन पुष्पांजलि कर सुन्दर नैवेद्य बना करके |
अर्चना करूँ श्री जिनवर की मलयगिरि धूप जला करके ||२||
ग्रह सूर्य-अरिष्ट-निवारक श्री पद्मप्रभ स्वामी को वंदूँ |
श्री चंद्र भौम ग्रह शांति हेतु चंद्रप्रभ वासुपूज्य वंदूँ ||
बुध ग्रह से होने वाले कष्ट निवारक विमल-अनंत जिनम् |
श्री धर्म शांति कुंथु अर नमि, सन्मति प्रभु को भी करूँ नमन ||३||
प्रभु ऋषभ अजित जिनवरसुपार्श्व अभिनंदन शीतल सुमतिनाथ |
गुरु-ग्रह की शांति करें संभव-श्रेयांस जिनेश्वर सभी आठ ||
श्री शुक्र-अरिष्ट-निवारक भगवन् पुष्पदंत जाने जाते |
शनिग्रह की शांति में हेतु मुनिसुव्रत जिन माने जाते ||4||
श्री नेमिनाथ तीर्थंकर प्रभु राहु ग्रह की शांति करते |
प्रभु मल्लि पार्श्व जिनवर दोनों केतू ग्रह की बाधा हरते ||
ये वर्तमान कालिक चौबिस तीर्थंकर सब सुख देते हैं |
आधि-व्याधि का क्षय करके ग्रह की शांति कर देते हैं ||5||
आकाश-गमनवाले ये ग्रह यदि पीड़ित किसी को करते हैं |
प्राणी की जन्मलग्न एवं राशि संग यह ग्रह रहते हैं ||
तब बुद्धिमान जन तत्सम्बंधित ग्रह स्वामी को भजते हैं |
जिस ग्रह के नाशक जो जिनवर उन मंत्रों को जपते हैं ||६||
इस युग के पंचम श्रुतकेवलि श्रीभद्रबाहु मुनिराज हुए |
वे गुरु इस नवग्रह-शांति की विधि बतलाने में प्रमुख हुए ||
जो प्रात: उठकर हो पवित्र तन मन से यह स्तुति पढ़ते |
वे पद-पद पर आनेवाली आपत्ति हरें शांति लभते ||७||
नवग्रह शांति के लिए, नमूँ जिनेश्वर पाद |
तभी ‘चंदना’ क्षेम सुख, का मिलता साम्राज्य ||८||
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 3 |
PDF साइज़ | 0.1 MB |
Category | Religious |
नवग्रह स्तोत्र पाठ – Navagraha Stotra PDF Free Download