नवग्रह पूजा विधि – Navagraha Puja Vidhi Book/Pustak PDF Free Download

नवग्रह के बारेमें
भागदौड़ के इस युग में किसी भी व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता है कि एक-दो घंटे भी पूजा के लिए निकाल सके।
लेकिन स्थान-स्थान पर व्यक्ति अपनी कुंडली दिखाता है और जब उसे ज्ञात होता है कि उसका अमुक ग्रह खराब है जिसके कारण उसे अमुक परेशानी हो रही है।
उसे अमुक ग्रह की पूजा करनी चाहिए अथवा उसे अमुक उपाय करना चाहिये। ऐसी स्थिति में व्यक्ति असमंजस की स्थिति में आ जाता है कि वह क्या करे और क्या न करे।
वास्तव में हमारे जीवन में कठिनाईयां अथवा आपदांए हमारे पूर्व जन्मों के संचित बुरे कर्मों के कारण ही आती हैं। हमारें बुरे कर्मों के कारण ही ग्रह हमारे प्रतिकूल हो जाते हैं।
ग्रह बुरे नहीं होते, बल्कि वे हमें दण्ड देकर हमारे बुरे कर्मों का नाश करते हैं, ताकि हमें उनसे छुटकारा मिल सके।
प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह नौ ग्रहों को गुरूवत्, और दिव्य प्रेरणादायक शक्ति के रूप में स्वीकार करे। यहां मैं नव ग्रहों के कष्ट निवारण हेतु एवं निरन्तर उनसे लाभ प्राप्त करने हेतु अत्यन्त ही सूक्ष्म उपाय लिख रहा हूँ।
इस नवग्रह साधना में मात्र पन्द्रह से बीस मिनट तक ही लगेंगे और व्यस्ततम व्यक्ति भी इसे आसानी से कर सकता है।
विधान
प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर अपने सामने एक थाली या प्लेट आदि रख लें। उसके बाद हाथ में गंध, चावल व फूल लेकर भक्ति भाव से नव ग्रहों का आवाहन करें।
आवाहन मंत्र :
ओम् सूर्य-चन्द्र-मंगल बुध-बृहस्पति-शुक्र-शनि-राहू-केतु नव ग्रहेभ्यो नमः।
ओम् नव ग्रहाः ! इहागच्छ, इहतिष्ठ, मम पूजां गृहाण इस मंत्र को पढ़कर अपने सामने रखे पात्र में गंध, अक्षत तथा फूल छोड़ दें। इसके उपरान्त नीचे दिये गये मंत्रों से नौ ग्रहों का क्रमशः पूजन करें।
पूजन मंत्र (Navagraha Pujan Mantra)
- १. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेभ्यो नमः पादयोः पाद्यं समर्पयामि।
- २. ओम् सूर्यादि-नव-ग्रहेभ्यो नमः शिरसि अर्घ्यं समर्पयामि।
- ३. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेभ्यो नमः गंधाक्षतम समर्पयामि।
- ४. ओम् सूर्यादि-नव-प्रहेभ्यो नमः पुष्पं समर्पयामि।
- ५. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेभ्यो नमः धूपं आम्रपयामि।
- ६. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेभ्यो नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि।
- ७. ओम् सूर्यादि-नव-ग्रहेभ्यो नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
- ८. ओम् सूर्यावि-नव ग्रहेभ्यो दक्षिणां समर्पयामि।
- ६. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेण्यो नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
- १०. ओम् सूर्यादि-नव ग्रहेभ्यो नमः दक्षिणां समर्पयामि।
इसके बाद भक्ति भाव से नौ ग्रहों से प्रार्थना करें
ओम् ब्रह्मा मुरारि-स्त्रिपुरान्तकारी,
भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र: शनि-राहु-केतवः,
सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु ||
इसके उपरान्त हाथ जोड़कर उठ जायें । यदि पात्र में नवग्रह यंत्र रखा है तो उसे उठाकर पूजा स्थल में रख दें। पात्र में चढ़ाये गये अक्षत आदि को बहते जल में प्रवाहित करने के लिए किसी एक स्थान पर रख दें।
यदि इसके अतिरिक्त किसी विशेष ग्रह के मंत्र जप करना चाहें तो अलग-अलग ग्रहों के मंत्र निम्नवत् हैं :
- १. सूर्य मंत्र:- ओम् ह्रीं सूर्याय नमः ।
- २. चन्द्रमा मंत्र :- ओम् सों सोमाय नमः।
- ३. मंगल मंत्र :- ओम् हुं श्रीं मंगलाय नमः।
- ४. बुध मंत्र :- ओम् बुं बुधाय नमः।
- ५. बृहस्पति मंत्रः- ओम् बृं बृहस्पतये नमः ।
- ६. शुक्र मंत्र:- ओम् शुं शुक्राय नमः।
- ७. शनि मंत्र:- ओम् शं शनैश्चराय नमः।
- ८. राहु मंत्र:- ओम् ऐं ह्रीं राहवे नमः।
- ६. केतु मंत्र:- ओम् कें केतवे नमः।
नव ग्रहों के गायत्री मंत्र:- नवग्रहों के गायत्री मंत्र उपरोक्त क्रम में निम्नवत् हैं (Navagraha Gayatri Mantra) :
- १. ओम् आदित्याय विद्महे मार्वण्डाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।
- २. ओम् क्षीर पुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात्।
- ३. ओम् अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।
- ४. ओम् सौम्य रूपाय विद्महे वाणेशाय धीमहि तन्नो सौम्य प्रचोदयात्।
- ५. ओम् अंगि रसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहि तन्नो जीवः प्रचोदयात्।
- ६. ओम् भृगुवंश जाताय विद्महे श्वेत वाहनाय धीमहि तन्नो शुक्कः प्रचोदयात्।
- ७. ओम् भग-भवाय विद्महे मृत्युरूपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोदयात्।
- ८. ओम् शिरो रूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात्।
- ६. ओम् पद्म पुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतुः प्रचोदयात्।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 6 |
PDF साइज़ | 152.7 KB |
Category | Religious |
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