मेरा जीवन तथा ध्येय – Mera Jivan Tatha Dhyeya Book/Pustak PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
यदि इस दुनिया में आफे बह भक्ति हैं, जह शद्धा है, पह शकि है, यह प्रेम है। और उस मुसीबत के युग में यही चीजें हम सबमें परम भाग्य से थीं, और इसी के क्छ फर हिमालय से केप कामोरिन, सिन्धु से ब्रह्मपुत्रा तक हमने एक कर दिया।
इन सिक्कों का समूह मन करता रहा। शन शनैः लोगों का ध्यान हमारी ओर खिंचा; ९० प्रतिशत उसमें विरोधी थे, बहुत ही अल्पांश सहायक था।
हम लोगों की एक सबसे बडी कमी थी और वह यह कि हम सब युवा थे, हम सब निर्धन थे और युवकों की सारी ऊवड-खेड़ा में मौजूद थी।
जिसको जान में खुद अपनी राह बना कर चलना पड़ता है, थोड़ा ऊबड़-खाबड़ हो ही जाता है, उसे बड़ा तमिल बड़ा नम्र और बड़ा मिष्टभाषी बनने का अवकाश ही कक्षा प्राप्य है, “मेरे सज्जनो, मेरी देवियो” इत्यादि सम्बोधनों का उसे अबसर कहाँ ?
जीवन में आपने सदैव दस चीजों को देखा होगा। वह तो एक खुरदरा हीरा है, उसमें चिकनी पालिश नहीं, वह एक ऐसा मोती है जिसकी डिबिया अपनी निराली त्रिया है।
जो हो, तो हम लोग ऐसे थे- समझौता न करेंगे ” यह हमारा आदर्श था, हम उसे चरितार्थ करके दिखाएंगे हमें राजा भी मिल जाये और हमें प्राणदण्ड भी दिया जाये तो भी हम उससे पर ध्यान रखिये कि जीवन का यही अनुभव है।
यदि सचमुच आप रोहित पर कटिबद्ध हैं तो सारा ब्रह्माण्ड आपका विरोध करे, आपका बाल भी बाँका न होगा।
आपके अन्तर में निहित परमात्मा की शक्ति के समक्ष, यदि आप निस्वार्थ और हृदय के सच्चे हैं तो यह सारी विन्न-बाधाएँ क्षार क्षार हो जावेगी।
थोड़ा ऊबड़-खाबड़ हो ही जाता है, उसे बड़ा तमिल बड़ा नम्र और बड़ा मिष्टभाषी बनने का अवकाश ही कक्षा प्राप्य है, “मेरे सज्जनो, मेरी देवियो” इत्यादि सम्बोधनों का उसे अबसर कहाँ|
लेखक | स्वामी विवेकानंद-Swami Vivekananda |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 45 |
Pdf साइज़ | 2.4 MB |
Category | Literature |
मेरा जीवन तथा ध्येय – Mera Jivan Tatha Dhyeya Book/Pustak PDF Free Download
बहुत ही अच्छी किताब है