मेघ रंजनी – Megh Ranjani Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
विचार आया किस्तीन] अगर कोई जीनामा है तो उसने उसकी जान बचायी। अयर बह सी भी उसकी पूर्वजन्म श्री प्रेसी रही होगी तो वह उसकी जान बचाने फिर आ सकता है।
इन्हीं विचारों को मन में समाती वह पहाड़ उस हल के किनारे गई जहाँ नीचे बहुत गहरी खाई थी और जहाँ से विरते समय किस्टीन ते अकरमात जाकर उसकी जान बचाई थी ।
अब सिर्फ एक कदम बाकी था। बस एक ही क्षण में से आकर किस्टीन उसे बचावेगा खई में मानकर मृत्यु के पश्चात उसकी आत्मा विस्टीन को खोजकर उससे मिलती ।
अचानक मेघना को किसी ने पीछे की ओर खिना। घबराकर मेघना ने देखा। वह शेखर या मेथना पागल हो गयी हो क्या यह किस्टीन मिलने का रास्ता नहीं है “ऐसा कहते हुए शेखर ने उसे चट्टान से दूर खोंचा और दूर तक के गया। उसने हाथों से पकड़कर जर्मन पर बिठाया ।
मेरा फूट फूट कर हो रही थी। उसकी सांत्वना करने का शेखर ने प्रयत्न किया बोड़ी देर के बाद वह जब शांत हुई तो शेवर ने उसे कहा-“अगर क्रिस्टीन पर तुम सच्चा प्रेम करती हो तो उसके वादे का ध्यान भी तुम्हें रहना चाहिये यह पागलपन तुम्हे शोभा नहीं देता ।
” मेघना शेखर की ओर आश्चर्य से देख रही थी। उसके चेहरे पर आया प्रश्न चिह्न देखकर शेखर हंसते हुए बोला-“मेघना तुम्हीने तो कहा था कि क्रिस्टीन ने तुम्हें तुमसे फिर से मिलने का वचन दिवा था उसका वचन सही है और तुम्हें उससे मिलने की इच्छा उसके बादे की प्रतिक्षा करने के लिए तुम्हारा जिन्दा रहना
अपने पागलपन से की जानेवाली हरकत से बचाकर सीधे रास्ते पर लाने के लिए धन्यवाद देकर वह शेखर के साथ डाक बंगले की ओर चल पड़ी ।बम्बई लौटते समय उसका मन निराश नहीं था।
लेखक | मुकुंद बापट-Mukund Bapat |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 124 |
Pdf साइज़ | 10.3 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
मेघ रंजनी – Megh Ranjani Book/Pustak Pdf Free Download