मन की शक्तियां तथा जीवनगठन की साधना – Power of Mind PDF Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
में अपने अपने प्रश्न निश्चित कर लिये थे और भूल बचाने के लिये कागज पर लिख कर उन्हें अपनी जेबों में रख लिये थे। उस व्यक्ति ने ज्यों ही इसमे से एक को देखा हमारे सारे गुप्त प्रश्नों को दुपरा ही नहीं दिया वरना उनके उत्तर भी दे दिये।
तत्पश्चात् उसने कागज़ पर कुछ लिखा और उसे मोड़ कर उस पर मुझे हस्ताक्षर करने को का।
ऐसा करने के बाद उसके कथनानुसार मैंने उस कागज़ की पुड़िया को बिना देखे ही तब तक के लिये अपनी जेब में रख ठिया जब तक वह स्वयं उसे दिखाने के लिये न खड़े ।
मेरे सब साथियों के साथ भी ऐसा ही किया गया। तत्पश्चात भविष्य में घटने वाली कुछ घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए उसने हमसे कहा कि इम किसी भी भाषा के किसी भी शब्द या वाक्य को अपने मन में सोच लें।
यह संस्कृत बिल्कुल नहीं जानता ऐसा समझ कर मैंने संस्कृत भाषा के एक उम्बे वाक्य को मन में रस लिया।
पर उसकी आज्ञा नुसार जब मैंने जेब में से निकाल कर कागज़ के उस टुकड़े को देखा तो मन आश्चर्य हुआ कि वह संस्कृत का का त्यों ब जिखा हुआ है !
एक घंटा पिले उसगज़ पर उस वाक्य को लिखते समय अपनी बात की पुष्टि के लिये उसने यह भी मूचित कर दिया था कि यह व्यक्ति इसी वाक्य को अपने मन में निश्चित करेगा और यदि सत्य निकला।
मेरे दूसरे साथी से भी जिनकी जेब में भी भी वैसा दी कागज का टुकड़ा रखा हुआ था अपने मन में कोई वाक्य सोच लेने के लिये कड़ा गया ।
यह संस्कृत बिल्कुल नहीं जानता ऐसा समझ कर मैंने संस्कृत भाषा के एक उम्बे वाक्य को मन में रस लिया।
लेखक | स्वामी विवेकानंद-Swami Vivekanand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 47 |
Pdf साइज़ | 3.9 MB |
Category | Self Improvement |
मन की शक्तियां तथा जीवनगठन की साधना – Man Ki Shaktiya Tatha Jivanagathan Ki Sadhana Book/Pustak Pdf Free Download