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लोहड़ी का त्योहार पंजाबी गीत – Lohri Festival Punjabi Geet Book/Pustak PDF Free Download

लोहड़ी क्यों मनाई जाती है
आज के समय में हु से लोग अपने व्हाट्सप्प या फेसबुक पर festiv status लगते है| आप इन लोहरी स्टेटस को शेयर कर सकते है।
लोहरी का इतिहास बहुत पुराना है | लोहरी का त्यौहार पंजाब व आसपास के प्रदेशों में खुशहाली के साथ मनाया जाता है |
यह रबी फसलों की फसल काटने का अवसर है, जो कि सर्दियों में बोई गयी जाता है। तो इस त्योहार का मुख्य आकर्षण सर्दियों के भोजन जैसे सरसों का साग (सरसों दा साग), मक्के दी रोटी, तिल, रेवड़ी, गजक आदि होते हैं।
तिल और गुड़ को पारंपरिक भोजन के रूप में खाया जाता है | तिल और रोरि (गुड) के शब्दों को एक साथ मिलाकर ‘तिलोही’ बनता हैं, और अंततः इस त्यौहार को लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।
लोहड़ी का त्योहार पंजाबी गीत Lohri Lyrics
सुन्दिरिये मुन्दिरिये हो तेरा कौन विचारा-हो
दुल्ला मही वाला हो दुल्ले ने घी ब्याही-हों
सैर शक्कर पाई- हो कड़ी दा लाल पटाका हो
कुड़ी दा सालू फाटा-हौ साल कौन समेटे- हाँ
चाचा चूरी कुट्टी-हों जमीदारी लूटी हो
जमींदार सुधार्य हो बड़े भोले आये-हों
इक भोला रह गया-हों सिपाही पकड़ के लै गया हों
सिपाही ने मारी ईट, भाँवे रो, ते भाँवे पीट
सानू दे दे, लोहड़ी तेरी जीवे, जोड़ी।
असी गंगा चल्ले शावा !
सस सौरा चल्ले शावा !
जेठ जेठाणी चल्ले शावा !
देयोर दराणी चल्ले शावा !
पियारी शौक़ण चल्ली शावा !
असी गंगा न्हाते शावा !
सस सौरा न्हाते शावा !
जेठ जठाणी न्हा शावा !
देयोर दराणी न्हा शावा ! –
पियारी शौक़ण न्हाती शावा
शौक़ण पैली पौड़ी शावा –
शौक़ण दूजी पौड़ी शावा !
शौक़ण तौजी पौड़ी – शावा !
मैं ते धिक्का दित्ता शावा ! –
शौक़ण विच्चे रुड़ गई शावा !
सस सौरा रोण शावा !
जेठ जठाणी रोण शावा !
देयोर दराणी रोण शावा !
पियारा ओ वी रोवे शावा !
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 4 |
Pdf साइज़ | 0.07 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
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