पत्र लेखन | Letter Writing PDF In Hindi

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हिंदी मे पत्र लेखन – Letter Writing In Hindi Note Free Download

पत्र लेखन कैसे लिखते हैं?

सरलता से पत्र लिखें –

पत्र लेखन हमेशा सरल, सीधा और स्पष्ट भाषा में होना चाहिए । पत्र लेखन में कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।

पत्र लेखन में अपना उद्देश्य अच्छे से लिखें –

पत्र में अपना उद्देश्य को अच्छे से समझाएं, उसमें किसी भी प्रकार की शंका या जिज्ञासा नहीं होनी चाहिए।

स्पष्टता के साथ पत्र लिखें –

पत्र के द्वारा हम जो भी बात बताना चाहते हैं वह स्पष्ट वाक्य में लिखें, उसके अंदर सरल और सीधे वाक्यों का प्रयोग कीजिए।

पत्र लेखन हमेशा प्रभावित होना चाहिए –

जब भी सामने वाले हमारा पत्र लेखन अच्छे से समझ जाता है और पढ़ पाता है तब हमारा पत्र प्रभावित कहलाता है। पत्र लेखन में अच्छे शब्द और मुहावरों का प्रयोग करके उसे प्रभावशाली बना सकते हैं।

संक्षिप्तता से भरा पत्र लेखन होना चाहिए –

पत्र लेखन में हमेशा काम की चीजें लिखी होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों का प्रयोग होना उचित नहीं होता।

पत्र लेखन में मौलिकता होना आवश्यक है –

मौलिकता का गुण बहुत ही अनिवार्य है जब हम पत्रलेखन लिखते हैं । पत्र लेखन लिखते समय पढ़ने वाले के विषय के बारे में ज्यादा से ज्यादा लिखें ।

पत्र लेखन की उपयोगिता अथवा महत्व नीचे बताए गए हैं-

आजकल दूर-दूर रहने वाले सगे-संबंधियों व व्यापारियों को आपस में एक दूसरे के साथ मेल जोल रखने एवं संबंध रखने की आवश्यकता पड़ती है, ऐसे में पत्र लेखन का महत्वपूर्ण किरदार है।

निजी अथवा व्यापारिक सूचनाओं को प्राप्त करने तथा भेजने के लिए पत्र व्यवहार विषय अत्यंत कारगार है।

प्रेम, क्रोध, जिज्ञासा, प्रार्थना, आदेश, निमंत्रण आदि अनेक भावों को व्यक्त करने के लिए पत्र लेखन का सहारा लिया जाता है।

पत्रों के माध्यम से संदेश भेजने में पत्र में लिखित सूचना पूर्व रूप से गोपनीय रखी जाती है।

पत्र को भेजने वाला तथा पत्र प्राप्त करने वाले के आलावा किसी भी अन्य व्यक्ति को पत्र में लिखित संदेश पड़ने का अधिकार नहीं होता है।

मित्र, शिक्षक, छात्र, व्यापारी, प्रबंधक, ग्राहक व अन्य समस्त सामान्य व्यक्तियों व विशेष व्यक्तियों से सूचना अथवा संदेश देने तथा लेने के लिए पत्र लेखन का प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान व्यावसायिक क्षेत्र में ग्राहकों को माल के प्रति संतुष्टि देने, व्यापार की ख्याति बढ़ाने, व्यवसाय का विकास करने के लिए इत्यादि अनेक कार्यों में पत्र व्यवहार का विशेष महत्व है।

पत्र लेखन के आवश्यक तत्व और विशेषताएं

पत्र लेखन से संबंधित कई सारे महत्व हैं, लेकिन इन महत्वों का लाभ तभी उठाया जा सकता है जब पत्र एक आदर्श पत्र की भांति लिखा गया हो।

नीचे इनके बारे में विस्तार से बताया गया है-

भाषा- पत्र के अंदर भाषा एक विशेष हिस्सा है। पत्र की भाषा आसान होनी चाहिए। भाषा नर्म एवं शिष्ट होगी तभी पत्र पाठक को प्रभावित कर सकते हैं।

कृपया, धन्यवाद जैसे आदि शब्दों का प्रयोग करके पाठक के मन को सीधे पत्र लिखने की भावना का महसूस कराना चाहिए।

संक्षिप्त- वर्तमान युग में सभी के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है।

इस कारण व्यर्थ के लंबे पत्र लेखक व पाठक दोनों का अमूल्य समय व्यर्थ नष्ट करते हैं।

मुख्य बातों को बिना किसी संदेह के लिखा जाना चाहिए। अनावश्यक रूप से लंबे शब्दों को लिखने का परित्याग किया जाना चाहिए।

स्वच्छता- पत्र की भाषा सरल व स्पष्ट भी होनी चाहिए। साथ ही पत्र को साफ कागज पर अक्षरों का ध्यान रखते हुए साफ साफ लिखना चाहिए।

यदि पत्र टाईप किया हुआ हो तो उसमे कोई गलती या काट – पीट नहीं होनी चाहिए। क्योंकि यह पाठक को अच्छी नहीं लगेगी।

रुचिपूर्ण- पत्र में रोचकता के बिना पाठक को प्रभावित नहीं किया का सकता, इसलिए पाठक के स्वभाव व सम्मान को ध्यान में रखकर पत्र को प्रारंभ करना चाहिए।

पत्र में पाठक के सम्बन्ध में प्रयोग होने वाले शब्दों आदरणीय, प्रिय, महोदय आदि शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।

उद्देश्यपूर्ण- पत्र जिस उद्देश्य के लिए लिखा जा रहा हो, उस उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही आवश्यक बातें पत्र के अंदर लिखनी चाहिए।

पाठक का उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पत्र का उद्देश्य पूर्ण होना परम आवश्यक है।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 6
PDF साइज़1 MB
CategoryNotes
Source/Creditseducationportal.uk.gov.in

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