आहार एवं पोषण | Food And Nutrition PDF In Hindi

‘आहार एवं पोषण का परिचय’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Introduction To Diet And Nutrition’ using the download button.

पोषण एवं आहार – Nutrition and Food PDF Free Download

आहार एवं पोषण

प्रस्तावना

मानव जीवन की सर्वप्रथम आवश्यकता भोजन है।

भोजन हमारे शरीर को पोषित करता है।

भोजन कहा जाने वाला हर पदार्थ भिन्न-भिन्न पोषण योग्यता एवं क्षमता रखता है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए निश्चित मात्रा में पोषण की आवश्यकता होती है।

पोषण से अभिप्राय है ग्रहण किये गये भोजन द्वारा आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति होना।

भोज्य पदार्थों की पौष्टिकता तथा उनके महत्व का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है।

पोषण विज्ञान के अन्तर्गत आहार को ग्रहण करना, उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय आते हैं। यह ज्ञान शरीर के विभिन्न कार्यों जैसे- वृद्धि, विकास एवं निर्माण से संबंध रखता है।

अन्ततः यह ज्ञान शरीर के लिए व्यर्थ पदार्थों का निष्कासन करना व अन्य शारीरिक क्रियाओं से अवगत कराता है। आहार हमें मुख्यतः छः पोषण तत्व प्रदान करता है:

प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण तथा जल स्वस्थ रहने के लिए इन सभी पोषक तत्वों का उचित मात्रा में लेना अत्यन्त आवश्यक है।

आहार एवं पोषण सम्बन्धी परिभाषाएँ

आहार एवं पोषण विज्ञान का अध्ययन करते समय विशेष शब्दों का ज्ञान होना आवश्यक है।

भोज्य पदार्थ

शरीर द्वारा ग्रहण किये गए, पचाए गए वे सभी भोज्य पदार्थ जो व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि एवं विकास की प्रगति में सहायक हैं।

आहार

इसे व्यक्ति के भोजन की खुराक भी कहा जाता है। अर्थात् व्यक्ति भूख लगने पर एक बार में जितना भोजन ग्रहण करता है उस व्यक्ति का आहार कहलाता है।

पोषक तत्व

भोजन में उपस्थित ऐसे रासायनिक पदार्थ जो शरीर को पोषण प्रदान करते हैं पोषक तत्व कहलाते हैं।

पोषण विज्ञान

पोषण विज्ञान के अन्तर्गत भोजन में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कार्य, उनका चयापचय, उनके आपस में संबंध तथा स्वास्थ्य एवं बीमारी से उनके संबंध आते हैं।

वह सारी प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्ति भोजन लेते हैं जैसे- आहार ग्रहण करना, पचाना, उसे अवषोशित करना, उसके कार्य संपन्न करना तथा काम न आने वाले पदार्थों का उत्सर्जन पोषण विज्ञान के अन्तर्गत आते हैं।

स्वास्थ्य

स्वस्थ शरीर में केवल रोगों की अनुपस्थिति ही नहीं वरन् शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः अच्छे होने की स्थिति होती है। ऐसी स्थिति को स्वस्थ होना माना जाता है।

पोषण की स्थितियाँ

प्रत्येक व्यक्ति भोजन ग्रहण करता है तथा पोषण प्रक्रिया द्वारा शरीर उसका उपयोग करता है। परन्तु विभिन्न कारणवश निम्न प्रकार की पोषण स्थितियां देखने में आती हैं।

सुपोषण

सुपोषण से तात्पर्य पोषण की उस स्थिति से है जिसमें व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्था हो तथा उसमें अपनी उम्र के अनुसार कार्य करने की क्षमता हो। इस स्थिति में व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम होता है।

कुपोषण

यह पोषण स्थिति उत्तम पोषण के ठीक विपरीत अवस्था है।

जब भोज्य पदार्थ गुण व मात्रा में अपर्याप्त लिये जाएं जिससे भोजन द्वारा शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति न हो पाये, वह कुपोषण की स्थिति कहलाती है।

ऐसे व्यक्तियों की कार्यक्षमता क्षीण हो जाती है तथा वे विभिन्न बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।

अपर्याप्त पोषण

यह पोषण की वह स्थिति है जिसमें पोषण व्यक्ति की आयु व आवश्यकता के अनुरुप न हो।

इस स्थिति में एक अथवा एक से अधिक पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है।

ऐसी शारीरिक स्थितियां भी हो सकती हैं जिनके कारण भोज्य पदार्थ अवशोषित करने में बाधा उत्पन्न हो। इस स्थिति में शरीर की बढ़त, वृद्धि व शारीरिक निर्माण कार्य नहीं हो पाते।

अत्यधिक पोषण

यह भी एक प्रकार का कुपोषण है। इसमें शरीर की आवश्यकता से अधिक भोजन ग्रहण करने पर मोटापा व उससे सम्बन्धित बीमारियाँ देखी जाती है जैसे हृदय रोग, अधिक रक्तचाप आदि।

आजकल के युग में जीवनशैली परिवर्तन के कारण आहार में अनेक परिवर्तन देखे जाते हैं जिसके कारण विभिन्न पोषक तत्वों की अल्पता, अथवा अधिकता देखी जाती है।

आहार के कार्य

आहार के हमारे जीवन में तीन मुख्य कार्य हैं

शारीरिक कार्य

शरीर को स्वस्थ बनाये रखना भोजन का सबसे प्रमुख शारीरिक कार्य है।

इसके अतिरिक्त शरीर में उचित वृद्धि एवं विकास करना, उसे क्रियात्मक बनाये रखने के लिए उर्जा प्रदान करना तथा विभिन्न रोगों से लड़ने की शक्ति देना भोजन के शारीरिक कार्य है।

सामाजिक कार्य

भोजन हमारे सामाजिक सम्बन्धों को बनाता है व उनमें घनिष्ठता उत्पन्न करता है।

लगभग सभी सामाजिक कार्यक्रम भोजन के साथ ही सम्पन्न होते हैं।

शिशु जन्म, विवाह, मुंडन, नामकरण, जन्मदिन आदि में भोजन एक प्रमुख भाग होता है। शोक के अवसरों पर भी भोजन महत्त्वपूर्ण होता है।

बीमार व्यक्तियों से मिलने जाते समय अपनी भावनाओं का प्रदर्शन हम फल देकर करते हैं।

शुभ सूचनाओं को सुनाने के साथ खुशी दर्शाने के लिए भी मिठाई भेंट की जाती है। इस तरह से सुख व दुख के सभी सामाजिक अवसरों पर भोजन महत्वपूर्ण होता है।

मनोवैज्ञानिक कार्य

भोजन एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हमारी भावनाओं जैसे प्यार सुरक्षा की भावना आदि की भी संतुष्टि होती है।

मां जब अपने बच्चे के लिए उसकी पसंद का भोजन बनाती है तो यह उसका अपने बच्चे के प्रति प्यार तथा लगाव दर्शाता है।

दूसरी तरफ अपनी पसंद का भोजन खाकर बच्चा सुरक्षा का अनुभव करता है।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 121
PDF साइज़12 MB
CategoryBook
Source/Creditspdffile.co.in

पोषण एवं आहार – Nutrition and Food PDF Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!