कुंडलिनी शक्ति किताब – Kundalini Shakti Book/Pustak PDF Free Download
सन्तोष मान लेना पर्याप्त समझ बैठते हैं । परन्तु पाश्चात्य भौतिक वैज्ञानिकों की अन्वेषण-प्रणाली का आधुनिक युग इतने से ही सन्तोष मान लेना पर्याप्त नहीं समझता ।
इस में सन्देह नहीं कि आधिभौतिक विद्याओं का सूक्ष्माति सूक्ष्म तस्वान्वेत्रण करने के लिए पश्चिम के विद्वान् करोड़ों रुपये खर्च करके,
बहुमूल्य यन्त्रों का निर्माण कर के उन के द्वारा अति सूक्ष्म विषयों को सिद्ध करने का यत्न करते हैं और यणित-शास्त्र की सहायता से उनकी पुष्टि करते हैं। परन्तु धयात्म-विद्या प्राप्त करने के लिए किसी यन्त्र की आवश्यकता नहीं है ।
परमात्मा रचित सजीव मनुष्य-देह ही यन्त्र और प्रयोगशाला दोनों का काम देता है।
सम्भव है कि भाजी युग के विद्वान् आध्यात्मिक शक्ति के भी नियम, आधिभौतिक नियमों के सहश्य खोज निकाले और उन को गणित-शास्त्र के फारमूलों (सूत्रों) में बांध सके, परन्तु आज यह सब असम्भव-सा प्रतीत होता है।
हमारे महर्षियों की छोड़ी हुई विद्या-सम्बति के कोष स्वरूप पातञ्जल दर्शन और अन्य योग के शास्त्रों में आध्यात्मिक उन्नति का ध्येय मोक्ष बताया जाकर कुछ भौतिक सिद्धियों का वर्णन किया गया है पातञ्जल दर्शन के विभूति पाद में कुछ उच्च कोटि की सिद्धियों को प्राप्त करने के साधन लिखे हैं।
उन पर वैज्ञानिक दृष्टि में विचार करने से मालूम होता है कि उन में से हर-एक सूत्र में एक अति गहन वैज्ञानिक रहस्य भग हुआ है । परन्तु उस को समझने के लिए पहले समाधि लगाने का अभ्यास होना अनिवार्य है।
यहाँ पर पक्तिपान में गुरु अपने शिष्यों में जिस आध्यात्मिक शक्ति का सञ्चार करता है, वह शक्ति क्या और कसी हैं. उसका स्वरूप क्या है, वह कहाँ और किस प्रकार उत्पन्न किस प्रकार गिरायी जाती है, वह शरीर के बाहर कैसे आती जाती है, शिष्य के शरीर में प्रवेश कर के क्या करती है.
लेखक | स्वामी विष्णु तीर्थकर-Swami Vishnu Tirthakar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 98 |
Pdf साइज़ | 17.8 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
शक्तिपात कुंडलिनी महायोग – Shaktipat Kundalini Mahayoga Book Pdf Free Download