कुमाऊ का इतिहास – History of Kumau Book PDF Free Download

बातों के दिग्दर्शन से क्या लाभ है ?वह कौन-सा देश है, जहाँ के इतिहास में मार-काट, राजनीतिक षड्यंत्र तथा’ दंभ-पाखंड व येन-केन प्रकारेण, राज-शक्ति प्राप्त कर अपने शत्र ओं का मान-मर्दन करने की अभिलाषा आदि-आदि बातों की झलक न रही हो।
भारत के प्रायः सारे प्रदेशों का इतिहास जहाँ पर उज्ज्वलताओं से परिपूर्ण है, वहाँ घोर अंधकारमय भी है।
इसी प्रकार कुमाऊँ के इतिहास में भी यदि कहीं-कहीं अमा नुषिक अत्याचारों तथा देश-द्रोह का चित्रपट देखने में आवेगा, तो कहीं-कहीं उज्ज्वल व रोचक चित्रांक भी देखने में आगे ।
मेरा उद्देश्य इतिहास लिखने का एक ही है कुमाऊँ के नव युवक जाने कि उनके प्रान्त का प्राचीन काल कैसा रहा है, और भविष्य में तमाम कूमचल को भारतीय राष्ट्रीयता के महासागर में ध्यान करने के लिये किन बातों का सुधार हो, ओर किन बातों को कायम किया जाये, तथा किन प्रथाओं को दूर किया जावें इत्यादि विषयों के विवेचन में उनको सहायता मिले।
राष्ट्रीयता के लिये यह अत्यन्त जरूरी है कि देश में जहाँ तक हो एक भाषा, एक भेष, एक भाव तथा एक धर्म का प्रचार हो।
किन्तु भारत ऐसे देश में जहाँ मनुष्य व समाज नाना वर्ग, जाति तथा सम्प्रदाय में विभाजित हो, वहाँ राष्ट्रीयता को स्थिर करना एक उच्च कोटि के राष्ट्र-निर्माता का गौरव-पूर्ण कार्य है।
समाज-सुधा रक व राष्ट्र-निर्माता को यह आवश्यक है कि यह अपने देश या प्रांत जाने कि उनके प्रान्त का प्राचीन काल कैसा रहा है, और भविष्य में तमाम कूमचल को भारतीय राष्ट्रीयता के महासागर में ध्यान करने के लिये किन बातों का सुधार हो, ओर किन बातों को कायम किया जाये।
लेखक | बद्रीदत्त पांडे- Badridutt Pandey |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 735 |
Pdf साइज़ | 474.1 MB |
Category | इतिहास(History) |
कुमाऊ का इतिहास – Kumau Ka Itihas Book/Pustak Pdf Free Download
Nice book,good content
Nice book