कृषि विद्या कपास की खेती | Krushi vidya Kapas ki kheti Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
की कई काम होता होता है और यह यहुत] बचाँ तक साँ वेता पता हैस कपास का वृक्ष दस बातड से पन्दरह सोलड फुट तक ऊचा] होता है। मुलायम भार्गी पर रोम होते हैं। यक्ष किरमिजी रा की झाई वाला है और पत्न तीन से सात पालो वा दल वाला होता है।
प्रत्येक पाली को जुबा -करने वाली खांच गहरी होती है । और पालियों के सिरे नोक – दार होते हैं । पत्तौ पर गहरे नीले रंग के छींटे होते हैं । फूल खास एक एक लगता है और पुष्प इंडी छोटी लाल और सिरे पर पीलो झाई वाली होती है। फल लम्बे गोल सिरे पर नोक दार और ३ वा ४ कोष बाले होते हैं ।
वीज नीले हरे रंग के होते हैं और उन पर छोटे और लम्बे दो प्रकार के तार की হई चिपटी रहती है। यह कपास का वृक्ष हिन्दुस्तान में होता है और इसको नरमा या देव कपास कहते हैं और शायद यही नादनयन नाम की कपास का पेड़ है जिसके बने सूत से जनेऊ बनाये जाते हैं वः देव मूत्तियों के वस्त्र युने जाते हैं।
तार इस राई का १ इंच होता है। यह रुई व्यापार के काम की नहीं होती पर अब इस की खेती होने लगी है और व्यापार के लिये उपयोगी बनाई गई है। हिन्द, गिनी, हवस मेनीगाल, मिश्र व अरब आदि में यह वृक्ष जंगलों में होता है।
(३) तोसरी जाति गोसीपिनम एक्यूमिनेटम है जिस को गोसिपिन्नम ब्राज़ीलिएन्सिस भी कहते हैं । इसका वृक्ष छोटा होता है और उसमें शाखा भी निकलती है । उंचाई १० से १५ फुट है। पत्र ५ से ७ पालो के होते हैं जिनके बीच
लेखक | गंगाशंकर पंचोली-Gangashankar Pancholi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 165 |
Pdf साइज़ | 2.7 MB |
Category | विषय(Subject) |
कृषि विद्या कपास की खेती | Krushi vidya Kapas ki kheti Book/Pustak Pdf Free Download