कोई दीवाना कहता है | Koi Deewana Kahta Hai All Poem PDF

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कोई दीवाना कहता है काव्य संग्रह – Koi Deewana Kahta Hai PDF Free Download

बाँसुरी चली आओ

तुम अगर नहीं आयीं, गीत गा न पाऊँगा

साँस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाऊँगा

तान भावना की है, शब्द-शब्द दर्पण है

बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमन्त्रण है।

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है।

तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है

शाम की उदासी में याद संग खेला है

कुछ गलत न कर बैठे, मन बहुत अकेला है

औषधि चली आओ, चोट का निमन्त्रण है,

बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमन्त्रण है।

तुम अलग हुई मुझ से साँस की ख़ताओं से

भूख की दलीलों से, वक्त की सज़ाओं से

दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है

आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है

कँचनी कसौटी को, खोट का निमन्त्रण है

बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमन्त्रण है।

नुमाइश

कुल नुमाइश में फिर गीत मेरे बिके

और मैं क़ीमतें ले के घर आ गया

कल सलीबों पे फिर प्रीत मेरी चढ़ी

मेरी आँखों पे स्वर्णिम धुआँ छा गया

कल तुम्हारी सु-सुधि में भरी गन्ध फिर

कल तुम्हारे लिए कुछ रचे छन्द फिर मेरी रोती-सिसकती सी आवाज़ में

लोग पाते रहे मौन आनन्द फिर कल तुम्हारे लिए आँख फिर नम हुई कल अनजाने ही महफ़िल में, मैं छा गया

कल सजा रात आँसू का बाजार फिर

कल ग़ज़ल-गीत बनकर ढला प्यार फिर

कल सितारों-सी ऊँचाई पाकर भी मैं ढूँढता ही रहा एक आधार फिर

केल मैं दुनिया को पाकर भी रीता रहा आज़ खोकर स्वयं को तुम्हें पा गया

लेखक कुमार विश्वास- Kumar Vishwas
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 94
PDF साइज़1.2 MB
CategoryPoetry

कोई दीवाना कहता है काव्य संग्रह – Koi Deewana Kahta Hai PDF Free Download

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