खण्डन खण्ड खाद्य – Khandana khanda khadya Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
भगवती अन्तभून हो गयी। चिन्तामसि-मन्त्र का जप और देवी के घर से हर्ष ने वर्क, बलकार, वेद, पेशव चादि निसि विधायों में असाधारण पाण्डित्य प्राप्त कर लिया।
फलस्वरूप उत्पमा के ऐलो अपूर्व उत्तर देने लगे, जिन्हें परिसत भी समझ न पाते थे।
किनु लोगों को यह समझ में न जाने से उनके देख की सिद्धि नहीं दो खकती थी इसलिए पुनः इन्दोंने वाम्दे से की उपासना को।
वाग्देवी ने प्रत्य्ष रोकर चाहा वम बह कतिप्रक्ञा सो मुम्हारे लिए हितकर हो रही है। इसलिए मध्यरात्रि में सिर पर पानी देते जर उब यह पूरा तर हो जाय, तो दही खाकर सो जानो।
इससे कर बरकर मोदी जूता खा आायगी फिर तुन्हारी पाणी सभी समझ पायेंगे। शोर ने दाना हो पिया और सक-मनोरध हुए ।
फिर वेकन्यकुब्जाधीश्वर के चार गावे धीर दरबार के दो स्लोक पढड़े । एक शोर राजा की धरंसा का इरनरा यपने चिता हे विजेता इस ने पविडत को सरख कर कहा गया था, जो परमार उपस्थित था।
लोड इनाना प्रभावशाली रहा कि उसे सुनते ही उक्त परिडा ने अपनी एस मान हो ।
राजा ने प्रसन्न हो श्रीहर्ष को अपना राजकवि बना लिया, और ताम र सन दिया, जो कत्कालीन बहुत यया सम्मान माना जाता रोमा परान्होने बनेय पन्थ रथ, जिनमें सगानसरह डाय और निपची-परित भाजपचर।
रजा के चिोरीपद पर रहने जपांच परित मात्राम्य लिया। टाता है कि कारमीर के शादी तय -क्ध श्र इनके नैर्य की तुलना में भारती ने इनके के बि निर्दय दिया और कश्मीर के अन्य को भोला दी ;
कारण इन्दीने अपने पिया में बरी को निन्दा की थी किन्तु जीर्ष ने बाद में अपने इस श कामाठीपर कर कन्द मना लिया ।
धे सपना महाकाव्य से संरके न रामायण के पास गये, तो दरबारी परिडता ने इन्द दरवार से मिलान नही दिया । एक दिन ये एक कुर के पास अप करने
लेखक | श्री हर्ष-Sri Harsh |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 6110 |
Pdf साइज़ | 46.3 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
खण्डन खण्ड खाद्य – Khandana khanda khadya Book/Pustak PDF Free Download