मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ – All Stories Collection of Premchand PDF Free Download

प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ की यादी
- आत्माराम…..
- दुर्गा का मंदिर..
- बड़ें घर की बेटी..
- पंच- परमेश्वर..
- शंखनाद..
- नाग पूजा
- विश्वास.
- नरक का मार्ग.
- स्त्री और पुरुष..
- उध्दार
- निर्वासन.
- नैराश्य लीला.
- कौशल.
- स्वग की देवी.
- आधार..
- एक आँच की कसर..
- माता का हृदय..
- परीक्षा..
- तैंतर…
- नैराश्य..
- पूस की रात..
- झांकी.
- गुल्ली डंडा.
- ज्योति..
- दिल की रानी..
- धिक्कार.
- बोहनी…
- बंद दरवाजा..
- तिरसूल..
- स्वांग..
- नवी का नीति-निर्वाह..
- मंदिर और मस्जिद..
- प्रेम-सूत्र.
- तांगेवाले की बड़.
- शादी की वजह..
- मोटेराम जी शास्त्री,
- पर्वत यात्रा.
- कवच.
- धिक्कार..
- लैला..
- नेउर..
- शूद्र.
- अमृत..
- अपनी करनी..
- गैरत की कटार..
- घमंड का पुतला..
- विजय…
- वफ़ा का खजर..
- मुबारक बीमारी…
- वासना की कड़ियाँ..
- पुत्र प्रेम.
- इज्जत का खून..
- होली की छुट्टी.
- नादान दोस्त..
- प्रतिशोध..
- देवी..
- खुदी…
- बड़े बाबू…
- राष्ट्र का सेवक..
- आखिरी तोहफ़ा..
- क़ातिल..
- आखिरी मंजिल….
- आल्हा..
- दण्ड.
- सैलानी बंदर..
- नशा….
- स्वामिनी
- ठाकुर का कुआं…
- दूसरी शादी..
- सौत..
- देवी.
- पैपुजी..
- क्रिकेट मैच..
- कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला…….
- मैकू
- नसीहतों का दफ्तर…
- राजहठ..
- त्रियाचरित्र..
- मिलाप…
- मनावन.
- अंधेर..
- सिर्फ एक आवाज..
- नेकी.
- बाँका जमींदार..
- अनाथ लड़की.
- कर्मों का फल..
- सभ्यता का रहस्य..
- समस्या
- दो सखियां.
- सोहाग का शव.
- आत्म-संगीत.
- एक्ट्रेस.
- ईश्वरीय न्याय,
- ममता.
- मंत्र.
- प्रायश्चित…
- कप्तान साहब.
- इस्तीफा..
- अलग्योझा..
- सेवासदन
- ईदगाह…
- माँ
- बेटों वाली विधवा..
- बड़े भाई साहब.
- शांति..
- समर-यात्रा..
- शांति..
- गबन
- बैक का दिवाला..
- कफ़न
- निर्मला
- वरदान
- सद्गति
आत्माराम कहानी का अंश
वेदों-ग्राम में महादेव सोनार एक सुविख्यात आदमी था। वह अपने सायबान में प्रातः से संध्या तक अँगीठी के सामने बैठा हुआ खटखट किया करता था।
यह लगातार ध्वनि सुनने के लोग इतने अभ्यस्त हो गये थे कि जब किसी कारण से वह बंद हो जाती, तो जान पड़ता था, कोई चीज गायब हो गयी।
वह नित्य-प्रति एक बार प्रातःकाल अपने तोते का पिंजड़ा लिए कोई भजन गाता हुआ तालाब की ओर जाता था।
उस धँधले प्रकाश में उसका जर्जर शरीर, पोपला मुँह और झुकी हुई कमर देखकर किसी अपरिचित मनुष्य को उसके पिशाच होने का भ्रम हो सकता था।
ज्यों ही लोगों के कानों में आवाज आती ‘सत्त गुरुदत्त शिवदत्त दाता, लोग समझ जाते कि भोर हो गयी।
लेखक | प्रेमचंद-Premchand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 1170 |
Pdf साइज़ | 10 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
प्रेमचंद की सभी रचनाएँ का संग्रह – All Stories of Premchand Book/Pustak Pdf Free Download
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