जाट इतिहास – Jat History Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
नूह की किर्ती और मनु भलय संवाद फी कवायें इस कथन की साक्षी हैं। इस तरह छः मन्वन्तर तक सब का साथ रहना सिद्ध होता है।
कुछ लोग इस बात को सिद्ध करने में भी लगे हुए हैं कि ऋग्वेद की रचना क्यों के भारत में आने से पहिले ही आरम्भ हो चुकी थी स्वर्गीय जस्टिस पार्शीटर का मत है कि ईसा से २२०० वर्ष पहिले आर्य भारत श्रा चुके थे।
देशी विदेशी विद्वान इस विषय में ६००० वर्ष से अधिक समय बताने में अभी तक असमर्थ हैं। किन्तु पुराण नौ लाख वर्ष सो भगवान् राम के शासन समय का दिग्दर्शन कराते हैं ।
भगवान राम के आदि पूर्वज राजा इच्वाकु अयोष्या में उन से कई सहस वर्ष पूर्व प्राधाद हुए थे। यह विपय अभी विवादास्पद है।
जिस समय यह आर्य टोलियों भारत में आई, उस समय इनके रास्ते में तथा भारत में आने के बाद कई विभाग हो गये पहिली टोली के आर्यों में से कुब वो कास्पियन,
ईगन आदि देशों में रह गये जो शक कहलाने लगे और कुछ भारत में आने के बाद पूर्व उत्तर और मध्य देश में फैल गये दूसरी टोली के ऐत पार्यों के कुछ साथी कुमायूँ या चितराल के रास्तों के मध्य से पामीर और कपिशा-फरमीर की ओर फैल गये जो दरद और खस कहलाने लगे।
कुछ गंगा यमुना के द्वाये तथा पंचनद के बीच में फैल कर आवाद हो गये?|
मारत में बाबाद होने के पश्चात् भी अति काल तक आर्य लोग ईरान, तिय्यद, मलाया, चीन, सिंहल आदि देशों में जाते आते रहे । कुछ लोग तो मुदरवर्ती देश जर्मनी, इटली, नारे, यायरलैस्ड, अमरीका अमरीका आदि तक पहुँचे और यहाँ पस्तियों पसा पर रहने लग गये।
लेखक | देशराज जधीना-Deshraj Jadhina |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 850 |
Pdf साइज़ | 39.8 MB |
Category | इतिहास(History) |
जाट इतिहास – Jat History Book Pdf Free Download