जम्मू और कश्मीर का इतिहास | History of Jammu And Kashmir PDF In Hindi

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जम्मू कश्मीर राज्य का इतिहास – History of Jammu And Kashmir State PDF Free Download

जम्मू और कश्मीर का इतिहास

कश्मीर भारतवर्ष का उत्तर राज्य है जिसमें जम्मू कश्मीर, लद्दाख, बल्तिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र सम्मिलित हैं और कश्मीर राज्य क्षेत्रफल के विचार से भारत की सबसे बड़ी रियासत है।

यहाँ के निवासियों में अधिकांश मुसलमान हैं। किन्तु उसकी रहन-सहन, रीति-रिवाज एवं संस्कृति पर हिन्दू धर्म की पर्याप्त छाप है।

कश्मीर का इतिहास बहुत प्राचीन है कहते हैं कश्यप ऋषि ने कश्मीर घाटी को जन्म दिया था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार पांडव वंश के राजाओं ने भी कश्मीर पर राज्य किया था।

तीसरी शताब्दी में कश्मीर सम्राट अशोक के शासनाधीन रहा। बाद में कश्मीर गोनन्द वंश के एक राजा मिहिरकुल के भी अधीन रहा। जो बहुत ही निर्दयी व्यक्ति था ।

कश्मीर भारतीय राजाओं के भी अधीन रहा और भारतीय नरेश कश्मीर पर अपने राज्यपालों और उप-शासकों द्वारा शासन करते रहे।

मातृगुप्त ही गुप्त कश्मीर का एक ऐसा राज्यपाल था ये माना जाता है कि मातृगुप्त ही सम्राट कवि कालिदास था।

प्रवरसेन कश्मीर का एक ऐसा राजा हुआ जो प्रदेश जीत जीतकर पराजित राजाओं को फिर वापस कर देता था। सन् 611-619 में चन्द्रापीड एक शक्तिशाली राजा हुआ जिसकी महत्ता चीन का राजा भी स्वीकार करता था। कश्मीर के सिंहासन को ललितादित्य जैसे प्रतापी और वीर सम्राट ने भी सुशोभित किया।

कश्मीर में दिदा सूर्यमती और कोटा जैसी कुशल रानियाँ भी हुई। कोटा की रानी की मृत्यु से कश्मीर में हिन्दू राज्य का अंत हो गया।

सन् 1339 में हिन्दू-आधिपत्य की समाप्ति पर कश्मीर मुसलमान शासको के अधीन हो गया जैनुल आब्दीन (141669) के जमाने में कश्मीर ने फिर उन्नति की हिन्दू धर्म पुन जीवित हुआ।

फिर मुगलों का भी आधिपत्य कश्मीर पर रहा। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद कश्मीर सन् 1752 में पठान शासकों के अधीन हो गया। यह शासनकाल अपनी बर्बरता और निर्दयता के लिए कुख्यात रहा। इसी शासनावधि में असंख्य पंडित घास के बोरों में बंद करके डल झील में डुबों दिए गये थे और हिन्दुओं पर जज़िया फिर से लगाया गया था। सन 1818 में रणजीत सिंह की सेना ने कश्मीर पर अधिकार कर लिया, बाद में यह राज्य डोगर शासन के अधीन आ गया।

पन्द्रह अगस्त सन 1946 को इंडियन इण्डिपेंडेंस एक्ट के लागू हो जाने से देशी पर ब्रिटिश साम्राज्य की सर्वोच्च सत्ता समाप्त हो गई। भारत या पाकिस्तान में मिलने के लिए देशी राज्य स्वतंत्र हो गए।

पाकिस्तान में कश्मीर के विलयन के लिए जिन्ना दांव-पेच खेलने लगे। जब सफलता नहीं मिली तब कश्मीर की सीमा पर हमले शुरू कर दिये गए और सशस्त्र पाकिस्तानियों ने घाटी में घुसपैठ शुरू कर दी।

फिर नियमित रूप से कबाइलियों ने घाटी पर धावा बोल दिया। महाराज ने भारत सरकार से सहायता की याचना और भारत में अधिमिलन के लिए प्रार्थना की।

27 अक्टूबर, 1946 को महाराजा द्वारा हस्ताक्षरित अधिमिलन-पत्र को भारत के गवर्नर जनरल ने स्वीकार कर लिया और कश्मीर संवैधानिक दृष्टि से भारत का अंग हो गया।

भारत ने 28 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान को सूचित किया कि कश्मीर भारत में मिल गया है और यह आशा व्यक्त की कि पाकिस्तान आक्रमणकारियों को कश्मीर से हटाने में भारत को सहयोग देगा।

पाकिस्तान में इन अधिमिलन को मानने से इंकार कर दिया। दोनों में विवाद उठ खड़ा हुआ। भारत ने 1 जनवरी सन् 1948 को सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के विरूद्ध शिकायत की।

कश्मीर का मामला सुरक्षा परिषद में आ गया और तभी से कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में शतरज क मेहरचन्द महाजन को हटा दिया गया और 4 मार्च 1948 को शेख अब्दुल्ला नये प्रधानमंत्री बने।

1949 में महाराज हरीसिंह ने अपने सारे अधिकार युवराज कर्ण सिंह को सौंप दिये। युवराज कर्ण सिंह ने 1 मई 1957 को जम्मू-कश्मीर के लिए पृथक रूप से संविधान बनाने के लिए संविधान सभा गठन की घोषणा की और संविधान सभा के सदस्यों के चुनाव की व्यवस्था की।

जम्मू में हिन्दू प्रजा परिषद ने इस चुनाव का वहिष्कार किया। इसका कहना था कि एक देश में दो संविधान, दो प्रधान और दो ध्वज नहीं हो सकते।

इसके बाद 1952 में दिल्ली में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच समझौता हुआ।

इस समझौते के तहत महाराज का पद समाप्त करके कश्मीर में सदरे रियासत का पद सृजित किया गया और डॉ० कर्ण सिंह पहले सदरे रियासत बने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी श्रीनगर गये जहाँ उन्हें शेख ने नजरबंद कर दिया।

नजरबंदी में ही उनकी मृत्यु हो गयी और सारे देश में बबाल हो गया अतः सदरे रियासत डॉ० कर्ण सिंह ने शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त कर दिया।

उनके स्थान पर नये प्रधानमंत्री बख्शी गुलाम मोहम्मद बनाये गये उसके बाद शेख प्रायः जेल में रहे। 1975 के समझौते के तहत तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने उन्हें जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया।

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 270
PDF साइज़10 MB
CategoryHistory
Source/Creditsdrive.google.com

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