ईश्वर अंक – Ishwar Ank Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
जगतके तीन महान् गुरु गौतम बुद्ध, ईसा एवं मुहम्मदके लेखों में इस बात का अकाट्य प्रमाय मिकते हैं कि उनं प्रार्थनासे ही प्रकाश मिला और वे प्रार्थनाके बिना जीवित नहीं रह सकते थे ।
काखों ईसाइयों, हिन्दुओं तथा मुसलमानोंको आज भी ईश्वर-प्रार्थनासे जितना आश्वासन मिलता है वैसा जीवनमें और किसी बातसे नहीं मिलता । आप अधिक-से-अधिक उन खोगोंको ठा अथवा आत्म-वलित कह सकते हैं ।
मैं तो यह कहूंगा कि यह मूठ मुझ सरयान्वेषीपर जादूका-सा काम करसी है, यदि झूठ ही हो तथापि वस्तुतः मेरे जीवनका एकमात्र यही सहारा रहा है, क्योंकि इसके बिना में एक पलभर मी जीवित नहीं रह सकता ।
राजनैतिक आकाश निराशाके बादलोंसे घिरा हुआ रहनेपर भी मेरी आन्तरिक शान्ति कभी भंग नहीं हुई। अधिक क्या, लोग मेरी इस आन्तरिक शान्तिको देखकर मुझसे ईर्ष्या करने लगते हैं।
यह शान्ति मुझे ईभर-प्रार्थनासे ही मिली और कहीं नहीं।मैं विद्वान् नहीं हूँ, मैं ने शास्त्रोंका अध्ययन नहीं किया है, किन्तु में विनयपूर्वक इस बातका दावा करता हूँ कि मेरा जीवन प्रार्थनामय है ।
सत्यकी भाँति प्रार्थना मेरे जीवनका अंग बनकर नहीं रही है। इसका आश्रय तो मुझे भाषश्यकतावश लेना पड़ा। मेरी ऐसी अवस्था हो गया कि मुझे प्रार्थनाके बिना चैन पड़ना कठिन हो गया ।
ईश्वरके अन्दर मेरा विमास ज्यों-ज्यों बदसा गया, प्रार्थनाके किये मेरी म्याकुलता भी उतनी ही दुर्दमनीय हो गयी। प्रार्थनाके बिना मुझे जीवन नीरस एवं शून्य-सा प्रसीत होने लगा।
मैं ্র में दृश्य अफ्रीका में या, उस समय में कई थार ईसाइयोंको सामुदायिक-प्रार्थनामें सम्मिलित हुआ, किन्तु उसका मुझपर प्रभाव नहीं पड़ा । मेरे ईसाई मित्र ईश्वर के सामने अनुनय-विनय करते थे, किन्तु मुझसे वैसा नहीं बन पड़ा ।
लेखक | हनुमान प्रसाद-Hanuman Prasad |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 750 |
Pdf साइज़ | 33 MB |
Category | धार्मिक(Religious) |
ईश्वर अंक – Ishwar Ank Book/Pustak Pdf Free Download