इकहत्तर कहानियाँ | Ikahattar Kahaniyan PDF In Hindi

‘इकहत्तर कहानियाँ’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Ikahattar Kahaniyan’ using the download button.

इकहत्तर कहानियाँ – Ikahattar Kahaniyan Pdf Free Download

इकहत्तर कहानियाँ

कुछ सोचता हुआ बोला, “मैंने कुछ और भी मूर्तियां बनाई हैं-मिट्टी की। दिन की रोशनी में आप आते तो दिखलाता। आपके चेहरे के भावों से लगता हैं, आप कला के अच्छे पारखी हैं…।”

कहते-कहते वह सहसा चुप हो आया। फिर तनिक रुककर बोला- “आपको भी यही लगता है कि मैंने हत्या की है?” उस अंधकार में मैं महसूस कर रहा था, वह अपलक मेरी ही ओर देख रहा है। “किसी से कहिएगा तो नहीं…”

वह मुझे पुलिस अधिकारी से कुछ दूर एकान्त में ले जाता हुआ बोला, “यह भूल… यह भूल मुझसे नहीं, मेरे बेटे से हुई थी। भरी जवानी में उसे फांसी के तख्ते पर झूलते या उमर कैद की सज़ा काटते में केसे देख सकता था इसलिए जुर्म मैंने खुद ओढ़ लिया । …

य मुझे अब जीना ही कितना है-हद-से-हद साल छह महीने बस…!” उसका स्वर भारी हो आया। “बच्चे कभी मिलने आते हैं?” मैंने असा मोन तोड़ते हुए कहा। यह कुछ भी बोल न पाया प्रत्युत्तर में ।

“चिट्ठी-पत्री आती है… 2. “न्नां… ” कहीं खोया-खोया-सा वह बोला, “कौन लिखेगा मुझे चिट्टी….. सब मुझसे घृणा करते हैं। यही समझते हैं कि यह सब बुढ़ापे में मैंने ही किया। सगे-संबंधी कतराते हैं। पत्नी मेरा मुंह तक नहीं देखना चाहती…।

जिस बेटे के लिए मैंने यह सब किया, वह मुझे कब का मरा मान चुका है…।

ये सारे कैदी, जिनकी चादरें मुझसे भी अधिक मैली हैं, मुझ पर थूकते हैं…।

किन्तु मुझे इस सबसे दुःख नहीं होता। मेरे बच्चे सुख से रह रहे हैं इससे अधिक मुझे और क्या चाहिए?” उसकी आवाज भीग आई थी किन्तु वह अपनी रौ में बोलता रहा, “यहां मजदूरी के मुझे साढ़े चार रुपए रोज मिलते हैं अब तक मेरे खाते में जितने भी रुपए जमा हैं, सब मैंने उनके नाम करवा दिए हैं। मेरे मरने के बाद उन्हें अच्छी रकम मिल जाएगी…बहुत अच्छी…।”

उसकी लड़खड़ाती आवाज में कहीं अपरिमित संतोष का-सा भाव उभर रहा था। इससे अधिक वह कुछ बोल न पाया। उस सघन अंधकार में धूल उड़ाती हुई हमारी जीप जब लोटने लगी, तब मैंने सहसा मुड़कर देखा वह वैसा ही पाषाणवत् खड़ा था ।

कुछ सोचता हुआ बोला, “मैंने कुछ और भी मूर्तियां बनाई हैं-मिट्टी की। दिन की रोशनी में आप आते तो दिखलाता। आपके चेहरे के भावों से लगता हैं, आप कला के अच्छे पारखी हैं…।”

कहते-कहते वह सहसा चुप हो आया। फिर तनिक रुककर बोला- “आपको भी यही लगता है कि मैंने हत्या की है?” उस अंधकार में मैं महसूस कर रहा था, वह अपलक मेरी ही ओर देख रहा है।

“किसी से कहिएगा तो नहीं…” वह मुझे पुलिस अधिकारी से कुछ दूर एकान्त में ले जाता हुआ बोला, “यह भूल… यह भूल मुझसे नहीं, मेरे बेटे से हुई थी। भरी जवानी में उसे फांसी के तख्ते पर झूलते या उमर कैद की सज़ा काटते में केसे देख सकता था इसलिए जुर्म मैंने खुद ओढ़ लिया । …

य मुझे अब जीना ही कितना है-हद-से-हद साल छह महीने बस…!” उसका स्वर भारी हो आया। “बच्चे कभी मिलने आते हैं?” मैंने असा मोन तोड़ते हुए कहा। यह कुछ भी बोल न पाया प्रत्युत्तर में ।

“चिट्ठी-पत्री आती है… 2. “न्नां… ” कहीं खोया-खोया-सा वह बोला, “कौन लिखेगा मुझे चिट्टी….. सब मुझसे घृणा करते हैं।

यही समझते हैं कि यह सब बुढ़ापे में मैंने ही किया। सगे-संबंधी कतराते हैं। पत्नी मेरा मुंह तक नहीं देखना चाहती…। जिस बेटे के लिए मैंने यह सब किया, वह मुझे कब का मरा मान चुका है…।

ये सारे कैदी, जिनकी चादरें मुझसे भी अधिक मैली हैं, मुझ पर थूकते हैं…।

किन्तु मुझे इस सबसे दुःख नहीं होता। मेरे बच्चे सुख से रह रहे हैं इससे अधिक मुझे और क्या चाहिए?” उसकी आवाज भीग आई थी किन्तु वह अपनी रौ में बोलता रहा, “यहां मजदूरी के मुझे साढ़े चार रुपए रोज मिलते हैं अब तक मेरे खाते में जितने भी रुपए जमा हैं, सब मैंने उनके नाम करवा दिए हैं।

मेरे मरने के बाद उन्हें अच्छी रकम मिल जाएगी…बहुत अच्छी…।” उसकी लड़खड़ाती आवाज में कहीं अपरिमित संतोष का-सा भाव उभर रहा था। इससे अधिक वह कुछ बोल न पाया।

उस सघन अंधकार में धूल उड़ाती हुई हमारी जीप जब लोटने लगी, तब मैंने सहसा मुड़कर देखा वह वैसा ही पाषाणवत् खड़ा था ।

लेखक हिमांशु जोशी – Himanshu Joshi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 426
Pdf साइज़ 24.3 MB
category कहानिया(Story)

इकहत्तर कहानियाँ – Ikahattar Kahaniyan ebook Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!