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हिंदी निबंध के प्रकार – Hindi Nibandh Lekhan PDF Free Download
निबन्ध किसे कहते है ?
निवन्ध का अर्थ है किसी विषय को लेकर लिलो गई छोटी-सी सुसंगत धात्म सम्पूर्ण गद्य-रचना । इस परिभाषा से यह स्पष्ट हो जाएगा कि निबन्ध छोटा होना चाहिए; यह सुसंगत होना चाहिए,
अर्थात् उसमें जो बात कही गई है, वह भस म्बद्ध मोर बेतुकी न हो। वहीं की इंट कही का रोड़ा लेकर बेमतलब का मानम अंग्रेजी में जिसे ‘ऐस्से’ कहा जाता है, उसे हिंदी में ‘निबन्ध’ कहते हैं।
‘ऐस्से’ मूलतः फ्रांसीसी भाषा का शब्द है । अंग्रेजी में ‘ऐस्से’ को जो परिभाषाएं की गई हैं, उन सबमें इस बात पर जोर दिया गया है कि ‘ऐस्से सब प्रकार के बंधनों से मुक्त स्वच्छंद रचना है।
‘ऐस्से अर्थात् निबंध किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है धौर लेखक उस विषय के चाहे जिस पहलू को लेकर चाहे जितनी बड़ी रचना लिख सकता है। अंग्रेजी विचारकों के अनुसार ऐस्से का कोई परिणाम नियत नहीं किया जा सकता ।
वह दो पृष्ठ का भी हो सकता है और दो सो पृष्ठ का भी । बल्कि कुछ विचारकों ने तो यहां तक कहा है कि ‘निबंध अनियमित मौर भसम्बद्ध रचना’ को बढ़ते हैं। यह रचना ‘मन को स्वच्छन्द उड़ान का फल’ होती है। जब इस विषय में
निबंध के प्रकार
निबंध चार प्रकार के माने जाते हैं: (१) वर्णनात्मक, (२) विवरणात्मक (३) विचारात्मक और (४) भावात्मक । वर्णनात्मक निबंधों में दर्जन नता होती है। वस्तुओं और दृश्यों के वर्णन को घटनाओं के विवरण से समझना चाहिए ।
घटनामों का विवरण विवरणात्मक निबंधों में होता है। दिए रात्मक निबंधों में विचार होते हैं; युक्ति प्रत्युक्ति देकर उनके आधार पर निष्कपं निकालने का प्रयत्न किया जाता है।
भावात्मक निर्बंधों में प्रधानता होती है। इनमें बुद्धि की अपेक्षा हृदय को अधिक प्रभावित करने प्रयत्न किया जाता है ।
निदम्ध के सम्बंध में बहुत-सी प्राचीन परिभाषाधों को लेकर काफी वियार« विमश चलता है। पहले बदहुत समय तक हिंदी में निदनन््ध को प्रस्ताव” कहा जाता था।
कुछ समय बाद सोगों ने भनुभव किया कि ‘प्रस्ताव’ शब्द विद्यालयों मे लिखें जाने दाले मिवंधों के लिए उपयुक्त दाब्द नहीं है, इसलिए ‘निर्बंध’ दब्द चूनां गया ॥
परंतु वस्तुतः जिन निवंधों का विवेचन हम इस पुस्तक में करने चले हैं या विद्या लथगों में या महाविद्यालयों में निदन्ध नाम से जो कुछ लिसना भ्रभीष्ट होता है, उनको “निबन्ध’ न क्ककर ‘परिबन्ध’ कहना भधिक उचित होगा ।
निबर्ध भौर परिबन्ध का भ्रत्तर स्पष्ट करके समझ लेना उचित है । प्रंरेजी में जिसे ‘ऐस्से! कहा जाता है, उसे हिंदी में निबन्ध’ कहते हैं । ‘ऐस्से” मूलतः फ्रांसीसो भाषा फा शब्द है|
भंग्रेजी में ‘ऐस्से! की जो परिभाषाएं की गई हैं, उन सदमे इस घात पर जोर दिया णया है कि ‘ऐस्से सब प्रकार के बंघनों से मुक्त स्वच्छद रचना है 7 ऐस्से धर्याद् निदंध किसी भी वियय पर लिखा जा सकता हैभौर लेखक उस विषय के चाहे जिस पहलू को लेकर चाहे जितनी बड़ी रचना लिख सकता है। प्नंग्रेदी विदा रकों के भनुसार ऐस्से का कोई परिणाम नियत नहीं किया जा सकता ।
वह दो पृष्ठ का भी हो सकता है भौर दो सौ पृष्ठ का भी । बल्कि कुछ विदारकों ने तो हां तक कहा है कि “निबंध नियमित भौर भ्रसम्बद्ध रचना! को बढ़ते हैं। यह रचना ‘मन की स्वच्छाद उड़ान का फल होती है।
जब इस विषय में प्रतेक घुरुघर विचारों में सहमति है कि ‘निबन्ध मन की उन्मृक्त उड़ान है; भस्तध्यस्त विचारों का उझ्सम्दद्ध प्रकाशन है, तो हमे विरोध न करके उसे स्वीकार कर लेता चाहिए।
क्योकि निबम्ध की यह परिभाषा गलत नहीं है। जब हम महान निबन्धकारों के निबन्धों को पढ़ते हैं तो यही प्रमाव पड़ता है कि किसी सौजी क्षण में उनके भन ले किसी एक दिशा भे उड़ान ली भ्ौर उन्होंने किसी भी विषय के एक पहलू को लेकर निदन््ध की रचना फर डाली १ प्रंफ्रेड़ी निवन्धकारों में देकन, चास्सें लैम्व इत्यादि के भोर हिन्दी में ध्रतापनाराषण मिश्र भौर झाचाय रामचर्दर घुक्ल इत्यादि के निदन्ध इस मन्तब्य की पुष्टि करते हैं ।
लेखक | प्रो. विराज – Pr. Viraj |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 256 |
PDF साइज़ | 3.5 MB |
Category | निबंध (Essay) |
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