हिंदी की प्रतिनिधि कहानियां – Hindi Ki Story PDF Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
होण में आनो । कयामत आयी और पटन साहब पो वर्दी पहन कर आयी है।” “क्या ?””लपटन साहब या तो मारे गये हैं या कैद हो गये । उन की वर्दी पहन कर वह कोई जर्मन आया है । सूबेदार नें इस का मुंह नहीं देखा ।
मैंने देखा और बातें की हैं सौहरा साफ उर्दू बोलता है, पर किताबी उदूं| ओऔर मुझे पीने को सिगरेट दिया है ?””तो अब ?””अब मारे गये । धोखा है । सूबेदार होरा कीचड़ में चक्कर काटते फिरेंगे और यहाँ खाई पर धावा होगा ।
उधर उन पर बुले में धावा होगा। उठो, एक काम करो। पल्टन के पैरों के निशान देखते देखते दौड़ जाओ । अभी बहुत दूर न गये होंगे । सूबेदार से कहो कि एकदम लोट आवे । खन्दक की बात मूठ है। चले जाओ, सन्दक के पीछे से निकल जाओ । पत्ता तक न बड़के । देर मत करो।”
“हुकुम तो यह है कि यही.एसी तसी हुक्म की । मेरा हुकुम- जमादार लहनामिह जो इस वक्त यहाँ सब से बडा अफसर उसका हुकुम है। में लप टन की खबर लेता है ।”पर यहाँ तो तुम नेट ही हो ।”
“आठ नहीं, दस लागर । एक एक ‘लान के बराबर होता है। चले जाओ। अकालिया निस सब लोट कर खाई के मुहाने पर लहनासिंह दोवार मे विपक गया । उसने देखा कि पटन साहब ने जेब से बेल के बराबर सोन गोले निकाले।
तीनों को जगह-जगह खन्दक की दीवारों में बुसेड दिया और तीनों में एक हार सा बाँध दिया। तार के आग सूत की एक गुत्थी भी, जिसे सिंगडी के पास रखा बाहर की तरफ जा कर एक दियसलाई जला कर गुत्वी पर रखने
लेखक | कृष्ण चंद्र शर्मा-Krushna Chandra Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 208 |
Pdf साइज़ | 8.2 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
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