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हरिवंश राय बच्चन की प्रमुख रचनाएँ – Harivansh Rai Bachchan Poems Book PDF Free Download

हरिवंश राय बच्चन की कविताएं
आज फिर से
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
है कहां वह आग जो मुझको जलाए, है कहां वह ज्वाल पास मेरे आए,
रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ: आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी.
आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओः आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
मैं तपोमय ज्योती की, पर प्यास मुझको. है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको,
स्नेह की दो बूंदे भी तो तुम गिराओ: आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
कल तिमिर को भेद में आगे बदूंगा, कल प्रलय की आंधियों से मैं लडूंगा,
किन्तु आज मुझको आंचल से बचाओ; आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।
आज तुम मेरे लिए हो।
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो
प्राण कह दो. आज तुम मेरे लिए हो ।
रात मेरी रात का श्रृंगार मेरा.
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा.
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो. आज तुम मेरे लिए हो।
वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या.
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होठ का मधु-विष पिए हो
प्राण कह दो. आज तुम मेरे लिए हो ।
मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही.
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी.
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
लेखक | हरिवंश राय बच्चन-Harivansh Rai Bachchan |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 85 |
Pdf साइज़ | 256.5 MB |
Category | काव्य(Poetry) |
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