‘गायत्री मंत्र’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Gayatri Mantra’ using the download button.
गायत्री मंत्र – Gayatri Mantra PDF Free Download

शंकराचार्य कृत गायत्री मंत्र Lyrics
ओउम् भूर्भुव: स्व: । तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि । धियो यो न: प्रचोदयात् ॥
अर्थ :- हे प्राणों के प्राण, दु:ख विनाशक, सुखस्वरूप परमात्मा । आप सकल जगत उत्पादक, सर्वश्रेष्ठ एवं पाप विनाशक हो। हम आपका ध्यान करते है। आप हमारी बुद्धियों को श्रेष्ठ मार्ग पर प्रेरित कीजिये।
भावार्थ :- हे परमात्मा ! तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू । तेरा ही महान तेज है छाया हुआ सभी जगह । सृष्टि के कण-कण में तू हो रहा विद्यमान । तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया । ईश्वर हमारी बुद्धि को श्रेष्ठ मार्ग पर चला।
गायत्री मंत्र का जाप और फायदे – Gayatri Mantra Benifit
इस वेद मंत्र गायत्री महामंत्र के बारे में सारे वेद, पुराण, धर्म शास्त्रों में एक मत से कहा हैं कि जो कोई भी नियमित सूर्योदय के 2 घंटे पहले से लेकर सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक उगते सूर्य का ध्यान करते हुये जप करता हैं
उसके जीवन के सारे अभाव तो दूर हो ही जाते हैं, साथ मां गायत्री की कृपा से जप करने वाले साधक को ये 10 वरदान स्वतः ही मिलने लगते हैं।
शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों का सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इसके जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से 2 घंटे पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए।
दूसरा समय है दोपहर का- दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है, और तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
पहला वरदान – हर परेशानी हो जाती है दूर- नियमित गायत्री मंत्र का जप करने वाले साधक के जीवन की सभी समस्याएं, परेशानियां हमेशा के लिए खत्म हो जाती हैं।
दूसरा वरदान – गायत्री मंत्र का जप करते समय अगर सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का ध्यान करते हुये भाव करे की परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित कर रहा है। इससे साधक के जीवन में कभी कभी अंधकार प्रवेश नही कर पाता।
तीसरा वरदान – यदि किसी रोग से मुक्ति जल्दी चाहते हैं तो किसी भी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रख लें एवं उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ‘ऐं ह्रीं क्लीं’ का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें।
जप के पश्चात जल से भरे पात्र का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश होता है। यही जल किसी अन्य रोगी को पीने देने से उसका रोग भी नाश होता हैं।
चौथा वरदान – विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का 108 बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। पढऩे में मन लगने लगता है, एक बार में ही पढ़ा हुआ याद हो जाता हैं।
पांचवां वरदान – व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती, आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो गायत्री मंत्र का जप करे शीघ्र लाभ होगा। इसके साथ ही रविवार को अस्वाद व्रत भी रखे।
छटवां वरदान – किसी भी शुभ मुहूर्त में दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर 1000 गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं । इसमें समिधाएं पीपल की होना चाहिए।
गायत्री मंत्रों के साथ नारियल का बुरा एवं घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है। नारियल के बुरे मे यदि शहद का प्रयोग किया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।
सातवां वरदान – शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहे हैं तो मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे ‘क्लीं’ बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार 108 बार रोज जप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।
आठवां वरदान – यदि विवाह में देरी हो रही हो तो सोमवार को सुबह के समय पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ‘ह्रीं’ बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर 108 बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं । यह साधना स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं।
नवां वरदान – जो भी व्यक्ति गायत्री मंत्र का नियमित जप करता हैं उसकी त्वचा में स्वतः ही चमक आने लगती है। नेत्रों में तेज आता है, अनेक सुक्ष्म सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है एवं दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है।
दसवां वरदान – अगर किसी दंपत्ति को संतान सुख नहीं मिल रहा हो तो पति-पत्नी दोनों 1 माह तक सूर्योदय से पूर्व 1100 बार संतान प्राप्ति की कामना से गायत्री मंत्र का जप ‘यौं’ बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर करें, जप के समय दोनों सफेद वस्त्र ही धारण करें।
लेखक | Shankaracharya |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 14 |
PDF साइज़ | 2.1 MB |
Category | Religious |
Related PDFs
Mahishasuramardini Stotram PDF In Kannada
गायत्री मंत्र – Gayatri Mantra PDF Free Download