प्रथम विश्व युद्ध | First World War PDF In Hindi

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प्रथम विश्वयुद्ध से जुड़े तथ्‍य – Facts About The First World War PDF Free Download

प्रथम विश्व युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध- महत्वपूर्ण तथ्य

1914 ईस्वी में प्रारंभ हुआ प्रथम विश्वयुद्ध न केवल यूरोप की वरन विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना ही इससे पूर्व हुए समस्त युद्ध क्षेत्रीय स्तर पर लड़े गए थे अथवा दो तीन देशों के मध्य हुए थे, किंतु इस युद्ध में विश्व का लगभग प्रत्येक देश उलझा हुआ था तथा किसी न किसी पक्ष को समर्थन दे रहा था।

बिस्मार्क द्वारा प्रारंभ की गई गुटबन्दी एवं गुप्त राजनीति के परिणाम स्वरूप संपूर्ण यूरोप दो सैनिक दलों में विभक्त हो गया- मित्र राष्ट्र एवं केन्द्रीय शक्तिया- जिनके बीच युद्ध हुआ है

मित्र राष्ट्र (ब्रिटिश साम्राज्य, फ्रांस और रूसी साम्राज्य)

केन्द्रीय शक्तियां (जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी)

प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक चला। मित्र राष्ट्रों की विजय हुई।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण

दल प्रथा

प्रथम विश्वयुद्ध का एक अत्यंत महत्वपूर्ण कारण दल प्रथा का जन्म होना था।

सर्वप्रथम 1879 ईस्वी में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया के साथ वी-राष्ट्र संधि की शीघ्र ही इटली भी 1882 ईस्वी में इसमें सम्मिलित हो गया इस प्रकार त्रि-राष्ट्र संधि की स्थापना हुई।

बिस्मार्क के पतन के पश्चात 1894 में फ्रांस तथा रूस में संधि हो गई।

इंग्लैंड ने शानदार पृथकत्व की नीति का त्याग कर 1902 ईसवी में जापान के साथ संधि कर ली 11904 ईस्वी में इंग्लैंड ने फ्रांस से सुधि की 11907 ईस्वी से इसमें रूस भी सम्मिलित हो गया तथा हार्दिक मैत्री संबंध की स्थापना हुई इस प्रकार यूरोप के दो परस्पर विरोधी दलों में विभक्त हो जाने से युद्ध होना स्वाभाविक ही था।

उग्र राष्ट्रवाद की भावना

इस समय यूरोप में दो प्रमुख राष्ट्रवाद संबंधी आंदोलन चल रहे थे।

पैन स्लाव आंदोलन रूसी, पोलिश, Cahech, सर्व, बुल्गारिया और शौक स्लाव जाति स्वयं को संगठित करना चाहती थी।

पैन जर्मन आंदोलन यूरोप के विभिन्न राज्यों में रह रहे जर्मन लोगों को एक महान जर्मनी के अंतर्गत एकीकृत करना ।

फ्रांस व जर्मनी तथा इंग्लैंड व जर्मनी के निरंतर कटु हो रहे संबंधों का कारण भी राष्ट्रीयता की भावना ही थी।

सामाज्यवादी प्रतिस्पर्धा जर्मनी की महत्वाकांक्षा

यूरोप की महान शक्तियों में से प्रत्येक देश अधिक से अधिक उपनिवेश स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील था क्योंकि देश के सम्मान व आर्थिक कारणों से यह आवश्यक था औद्योगिक क्रांति ने उपनिवेशों के महत्व को और भी बढ़ा दिया था।

पुराने साम्राज्यवादी देशी (जैसे: ब्रिटेन और फ्रांस) बनाम नए साम्राज्यवादी देशों (जैसे: जर्मनी) के बीच संघर्ष.

सैनिकवाद की भावना एवं सैन्य गठबंधन यूरोप में 19वीं शताब्दी के अंत तक उग्र सैनिक भावना का जन्म हुआ तथा प्रत्येक देश में सेना के विस्तार एवं हथियारों के लिए प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गई प्रत्येक देश में यह भावना दृढ़ होने लगी कि राष्ट्रीय गौरव की रक्षा के लिए सैनिक शक्ति आवश्यक है।

संपूर्ण यूरोप दो सैन्य गठबंधनों में विभाजित हो गया। ट्रिपल एलायंस (1882) जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया हंगरी। ट्रिपल एंटेंटे (1907) ब्रिटेन, फ्रांस, रूस ।

नोट

हालांकि इटली जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ ट्रिपल एलायंस का सदस्य था, लेकिन यह केंद्रीय शक्तियों में शामिल नहीं हुआ, क्योंकि ऑस्ट्रिया-हंगरी ने गठबंधन की शर्तों के खिलाफ आक्रामक कदम उठाया था।

इन गठबंधों का पुनर्गठन और विस्तार किया गया क्योंकि युद्ध में अधिक देशों ने प्रवेश किया: इटली, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका मित्र राष्ट्रों में शामिल गए, जबकि ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया केंद्रीय शक्तियों में शामिल हो गए।

अंतर्राष्ट्रीय अराजकता मोरक्को संकट

ब्रिटेन और फ्रांस के बीच गुप्त समझौता जर्मनी को अफ्रीका में अपने उपनिवेशों के खोने का डर।

ब्रिटेन मोरक्को पर कब्जा करने के लिए फ्रांस को मोरक्को में हुए विद्रोह को नियंत्रित करने की अनुमति देता है और जर्मनी को पीछे हटना पड़ता है, किन्तु जर्मनी प्रतिशोध लेने का अवसर ढूंढने लगता है ।

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भाषा हिन्दी
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