हिंदी के प्रसिद्ध लेखकों की कहानियों का संग्रह – Hindi Stories Book PDF Free Download
प्रसिद्ध कहानिया हिंदी में
आकाशदीप – जयशंकर प्रसाद
आखिरवीं विदा – सूर्यबाला
आद्रा – मोहन राकेश
आवारे – भगवतीचरण वर्मा
उड़ान -कृष्ण बलदेव वैद
उसने कहा था – चंद्रधर शर्मा गुलेरी
एक टोकरी भर मिट्टी – माधवराव सप्रे
कोसी का घटवार – शेखर जोशी
गदल – रांगेय राघव
चाल – रवींद्र कालिया
चित्र का शीर्षक – यशपाल
चीफ की दावत – भीष्म साहनी
जयदोल – अज्ञेय
टोबाटेक सिंह – सआदत हसन मंटो
दोपहर का भोजन – अमरकांत
पहेली – उपेन्द्रनाथ अस्क
ब्रह्मराक्षस का शिष्य – गजानन माधव मुक्तिबोध
मायादर्पण – निर्मल वर्मा
मारे गए गुलफाम – फणीश्वर नाथ रेणु
यही सच है – मन्नू भंडारी
राजा निरबंसिया – कमलेश्वर
राजा हरदौल – प्रेमचंद
रानी केतकी की कहानी – इंशा अल्ला खाँ
लिली – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
लिहाफ – इस्मत चुग़ताई
वापसी – उषा प्रियंवदा
“जानवी के तट पर। चंपा-नगरी की एक क्षत्रिय वालिका है । फिता इसी मणिभद्र के यहाँ प्रहरी का काम करते थे। माता का देहावसान हो जाने पर में भी पिता के साथ नाव पर ही रहने लगी। आठ वरस से समुद्र ही मेरा घर है।
तुम्हारे आक्रमण समय मेरे पिता ने ही सात दस्युओं को मारकर जल-समाधि ली। एक मास हुआ, मैं इस नील नभ के नीचे, नील जलनिधि के ऊपर एक भयानक अनंतता में निस्सहाय हूँ – अनाथ हूँ।
भणिभद्र ने मुझसे एक दिन धृणित प्रस्ताव किया। मैंने उसे गालियाँ सुनाई। उसी दिन से बंदी बना दी गई । ” चंपा रोष से जल रही थी।”मैं भी ताम्रलिप्ति का एक क्षत्रिय हैं, चंपा! परंतु दुर्भाग्य से जलदस्यु वनकर जीवन विताता हूँ।
अव तुम क्या करोगी?”‘मैं अपने अदृष्ट को अनिर्दिष्ट ही रहने देगी। वह जहाँ ते जाए ।” – चंपा की आँखें निस्सीम प्रदेश में निरुद्देश्य थीं। किसी आकांक्षा के लाल डोरे न थे। धवल अपांगों में वालकों के सदृश विश्वास था।
हत्या-व्यवसायी दस्यु भी उसे देखकर कौंप गया। उसके मन में एक संभमपूर्ण श्रद्धा यौवन की पहली लहरों को जगाने लगी। समुद्र-वृक्ष पर विलंबमयी राग-रजित संध्या थिरकने लगी। चंपा के असंयत कुंतल उसकी पीठ पर विखरे थे।
दुर्दांत दस्यु ने देखा, अपनी महिमा में अलौकिक एक तरुण बालिका! वह विस्मय से अपने हृदय को टटोलने लगा उसे एक नई बस्तु का पता चला। वह थी कोमलता! उसी समय नायक ने कहा – “हम लोग द्वीप के पास पहुँच गए।
बेला से नाव टकराई। चंपा निर्भीकता से कूद पड़ी। मॉझी भी उतरे युधगुप्त ने कहा – “जय इसका कोई नाम नहीं है, तो हम लोग इसे चंपा-द्वीप कहेंगे। चंपा की आँखें निस्सीम प्रदेश में निरुद्देश्य थीं।
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 234 |
Pdf साइज़ | 2.2 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
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ये सब बहुत ही अच्छी किताबे है। इन किताबों के बारे में आपने बढ़िया करके बताया है। में एक बार इन किताबो जरूर पडूंगा