ध्यान कैसे करे? परिभाषा, विज्ञान, बाधाए और फायदे – Everything About Dhyana Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
अनुक्रमणिका
- ध्यानविषयक कतिपय बातें,
- परिपक्व जीवन,
- ध्यान में बैठने से पहले,
- ध्यानयोग,
- ध्यान के पाठ,
- मंत्र विज्ञान,
- भगवन्नाम का जप,
- विभिन्न धर्म परम्पराओं में जप,
- चेतना का विकास स्वामी ऋतजानन्द,
- ध्यान का विज्ञान,
- ध्यान की बाधाएँ और सहायताएँ,
- प्रशिक्षित मन,
- अद्वैत वेदान्त में ध्यान,
- ध्यान का मार्ग,
- ध्यान-निर्देश
ध्यान के सिद्धान्त एवं साधना का विस्तृत विवेचन प्रारम्भ करने के पूर्व हमें उसकी पट्टभूमि और सन्दर्भ को समझ लेना चाहिए। ध्यान में सफलता का शान्त जीवन के साथ घनिष्ट सम्बन्ध है।
सफलतापूर्वक ध्यान के लिए मन का शान्त होना आवश्यक है और मन की शान्ति के लिए दैनन्दिन जीवन की समग्र गतिविधियाँ शान्तिपूर्वक सम्पन्न की जानी चाहिए।
कर्म में आराधना का भाव ध्यान में बहुत सहायक होता है। हम चाहे किसी भी कर्म में क्यों न लगे हों, हमें सर्वदा यह भाव बनाये रखना चाहिए। कि हम भगवान् के सानिध्य में हैं।
तुम कह सकते हो कि ऐसे कार्यों के बीच जहाँ पूरा मनोनिवेश आवश्यक है, यह कठिन है। यह बात मान भी लें तो भी यह भी सत्य है कि ऐसे मनोनिवेश वाले कार्य के समाप्त होते ही हम अपना मन भगवान् में लगा सकते हैं।
और यदि हम ईमानदारी से अवलोकन करें तो पायेंगे कि कई कार्य ऐसे हैं जिनमें पूरा मनोनिवेश आवश्यक नहीं होता फिर भी हम उनमें डूब जाते हैं और अपना बहुत सा समय व्यर्थ गँवा देते हैं।
सोने के ठीक पहले और बाद का काल एवं सफ़ाई, खाना परोसना, देह की देखभाल आदि शारीरिक कर्मों के काल को प्रयत्नपूर्वक सचेतन प्रार्थना और भगवच्चिन्तन का रूप दिया जा सकता है।
लेखक | स्वामी ब्रह्मेशानंद-Swami Brahmeshanand |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 241 |
Pdf साइज़ | 44.1 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
ध्यान कैसे करे? परिभाषा, विज्ञान, बाधाए और फायदे | Everything About Dhyana Book/Pustak Pdf Free Download