एकग्रता और दिव्य शक्ति | Ekagrata Or Divya Shakti Book/Pustak Pdf Free Download

विचारकी क्रिया, उसकी रचना और उससे काम लेनेको यथार्थ रीतिकी व्याख्याका क्रम-वद्ध शिक्षाके रूपमें बड़ा अभाव है।
मानसिक विद्या और रहस्य-विद्याके विद्यार्थी अपने उत्कर्ष विशाल मार्गमें इस बिपयके अभावको एक बहुत बड़ा बाधक समझते हैं। इस लिए यह प्रायः निश्चित प्रतीत होता है कि यह व्याख्या उनके एक वरदान सिद्ध होगी।
सामान्यतः जिन रीतियोको अच्छा बताया जाता है वे मुझे बहुत ही असाम्य प्रतीत होती है। भला जिस मनुष्यने प्रति दिनके व्यवहा- में विचार पर शासन करना नहीं सीखा; जो दिन भरके कामके बाद घर जाने पर या सोते समय सब प्रकारको व्यापार-सम्बंधिनी चिन्ता ओंको निर्वासित नहीं कर सकता;
छोटी छोटी आदतें जिसके वशमे नहीं; जो आत्माको कोई ऐसी वस्तु समझ रहा है कि उसका खयाल करते ही उसकी सारी सोई हुई कल्पना-शक्ति जाग उठती है और उसके मानसिक नेत्रोंके सामने एक मूर्तिके स्थानमें सैकड़ों मूर्तियाँ आ-उपस्थित होती है
वह परमात्मा जैसे गंभीर विषय पर कैसे घ्यान लगा सकता है ! वह मूर्खकी तरह विश्वास करने लगता है कि मै मनको एकाग्र करनेका अभ्यास कर रहा हूँ । लेकिन जब अंतमें कोई परिणाम नहीं निकलता तब उसे माङ्म होता है कि मैंने कुछ नही किया ।
तब वह फिर उसे नये सिरेसे आरम्भ करता है। यह कोई बाशाके विरुद्ध बात नही । इस विषयको सरल बना नेके साधारण यत् मभी प्रसचता-पूर्वक स्वीकार किये जाते है। यह विषय सर्व-गुश और आध्यात्मिक शिक्षा सबसे बदकर इल रखता है।
वस्तुतः पुस्त को में बिस उ्यका वम्ा चौदा बर्न है उसे देखनेके लिए यह एक द्वार है। ज्ञान, स्वास्थ्य, आनन्द और अटका यह एक उन्मत्तकारी दर्शन है इसका प्रथम पाद अति कठिन होने के कारण यह बहुधा पुस्तकों में ही बंद पड़ा रहता है। जो लोग इस विषय पर अधिकार प्राप्त कर नहीं सके,
लेखक | संतराम-Santaram |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 160 |
Pdf साइज़ | 5.7 MB |
Category | Self Impovement |
एकग्रता की शक्ति – Concentration Power Shakti Book/Pustak Pdf Free Download