ध्यानाकर्षण | Dhyanakarshan Module SSA UP PDF In Hindi

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ध्यानाकर्षण मोड्यूल – Dhyanakarshan SSA UP Pdf Free Download

ध्यानाकर्षण

अंक आधारित मूल्यांकन हमें बच्चों की वास्तविक सीख स्तर को नहीं बता पाता है। यह इतना बताता है कि बच्चे ने 70 प्रतिशत या 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और इससे माना जा सकता है

कि बच्चे ने लगभग इतने प्रतिशत पाठ्यक्रम को समझा भी है कोई शिक्षक यदि जिज्ञासु है तो उत्तरपुस्तिका को देखकर वह यह जान सकता है कि बच्चे ने किन-किन बिन्दुओं को समझ लिया है।

इससे आगे इस प्रकार के मूल्यांकन का और कोई उपयोग नहीं होता है इस चर्चा से यह स्पष्ट है कि इस प्रकार का मूल्यांकन बच्चों के अधिगम स्तर के अंतर को समझने तथा इसे कम करने में मददगार नहीं है।

अब आप निश्चित रूप से यह सोच रहे होंगे कि वास्तविक अधिगम स्तर तथा अपेक्षित अधिगम स्तर के में अंतर को आखिर कैसे पता करे?

इसके बाद एक प्रश्न और भी है-अधिगम स्थिति में अंतर को ज्ञात करने के पश्चात एक शिक्षक होने के नाते आप क्या करेंगे?

अधिकांश शिक्षकों के लिए परेशानी यह है कि अधिगम स्तर में अंतर की स्थिति में बच्चे वर्तमान कक्षा के पाठ्यक्रम को कैसे पूरा कर पाएंगे उदाहरण के लिए,

यदि बच्चा वर्ण पहचान नहीं कर पा रहा है तो वह पाठ कैसे पढ़ाया, उसे कैसे समझेगा? उसी प्रकार यदि बच्चा एक या दो अंकों का जोड़ नहीं कर पा रहा है तो वह हासिल का जोड़,

या फिर गुणा-भाग और बीजगणित के सवालों को कैसे हल करेगा? आपने यह भी अनुभव किया होगा कि कुछ विद्यार्थी भाग के प्रश्न करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं |

यद्यपि उन्हें गुणा करना अच्छी तरह से आता है ये परिस्थितियों एक शिक्षक के लिए काफी कठिनाई पैदा करती है।

बच्चों का चिन्हांकन एक शिक्षक होने के नाते प्रोक्त स्थितियों में आप क्या करेंगे? अब हम चर्चा के दो बिन्दु-अधिगम स्तर में अंतर |

संख्यात्मक रूप से करने हेतु अवलोकन बिन्दु प्रदान करता है।

लर्निंग आउटकम की अवधारणा को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर और स्पष्टता से समझा जा सकता है- लर्निंग आउटकम बच्चों को प्राप्त दक्षता का मूल्यांकन करने और शिक्षकों को आगामी शिक्षण संबंधी दिशा प्रदान करने पर बल देते हैं।

परिणाम आधारित लर्निंग आउटकम प्राप्त करने के लिए शिक्षक अपने सोच, ज्ञान व अनुभव के आधार पर शिक्षण विधियों, नवाचारों एवं आई. सी. टी. का प्रयोग करने के लिए स्वतन्त्र होते हैं।

यह बच्चों को जानने, समझने एवं पुस्तकीय ज्ञान का व्यवहार में उपयोग करने के लिए बच्चों में तर्क, चिन्तन एवं कल्पना शक्ति के विकास पर बल देते हैं।

आइए, हम लर्निंग आउटकम को कुछ उदाहरणों के माध्यम से समझते हैं।

नीचे कक्षा 1 हिन्दी विषय के कुछ मूलभूत लर्निंग आउटकम दिए गए हैं- बच्चे परिवेशीय ध्वनियों, बोलियों, वाहन, घण्टी आदि की ध्वनियों को पहचानते हैं।

बच्चे प्रथम एवं अंतिम ध्वनि वाले शब्दों को पहचानते हैं, जैसे- पग, पर, पल, जग, पग हल, चल आदि ।

बच्चे वर्ण / अक्षर की आकृति को पहचानते हैं। बच्चे वर्णों को जोड़कर अमात्रिक शब्द बनाते एवं पढ़ते हैं, जैसे- जल, हल, नल, चल, मगर, डगर आदि ।

बच्चे वर्णों एवं अमात्रिक शब्दों को उनकी सही बनावट में लिखते हैं। इसी प्रकार सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकों में लर्निंग आउटकम निर्धारित किए गए हैं। अब हम लर्निंग आउटकम के व्यावहारिक पक्ष को एक उदाहरण से समझते हैं।

कक्षा 3 में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को गणित की कक्षा में जोड़-घटाना पर आधारित इबारती प्रश्नों को हल करना सिखाया गया।

लेखक UP Govt
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 142
Pdf साइज़31 MB
Categoryसरकारी(Govt)

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