आसन चिकित्सा | Aasan Chikitsa PDF In Hindi

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आसन चिकित्सा – Aasan Chikitsa Pdf Free Download

शीर्षासन के फायदे का सफल उदाहरण

मेरा लड़का जन्म से ही बीमार रहता था । एक के बाद दूसरा रोग उसे लगा ही रेहता था । ढाई वर्ष का हो चुका था लेकिन घुटनो के सहारे चलना भी उसके लिए अशक्य था ।

डॉक्टर , वैध , हकीम और अंत मे भूत-विध्या तथा तंत्र-मंत्र जननेवालों का भी सहारा लिया ,किन्तु सब व्यर्थ । बुढ़ापे मे भगवान का दिया हुया यह लौता लड़का ही हमे प्राणो से भी प्यारा था ; इसके लिए हम सर्वच्व अर्पण करने को भी तैयार थे ।

बच्चे का शरीर सफ़ेद हो गया था । कृमि रोग के साथ साथ हाथ पग भी सुखकर लकड़ी जेसे हो चुके थे । इसी अरसे मे विट्ठलदास नामके सिद्ध योगी से मुलाक़ात हुई । आसनो की और गुण्यतम शीर्षासन की महत्ता सुनकर अपने बच्चे पर उसका प्रयोग करने की मुझे जिज्ञासा हुई ।

पहले तो वह खूब रोया , घबराया लेकिन मे ने हिम्मत न हारी । दिन प्रतिदिन बच्चे को उल्टा करने का कार्यक्रम चलता गया । धीरे धीरे एक से बढ़ के दिन मे तीन चार बार शीर्षासन करने लगा ।

कुछ ही दिनो मे मेरे आश्चर्य के बीच ब्च्चे के शरीर का रंग बदलने लगा । एक के बाद एक शिकायते दूर होती गई । इस तरह जो लाभ काफी पैसा खर्च करने से पर भी नही होता था वह आसानी से हो गया ।

आज मेरा बच्छा पूर्ण स्वस्थ है । इसके लिए मे परम कृपालु परमेश्वर का जितना आभार मानु उतना कम है ।

–घेलाभाई छिमाभाई मेहता ,वेरावल , गुजरात  

अनुक्रम(Index)

1 शीर्षासन और जवाहरलाल

2 शीर्षासन से क्रमिरोग दूर हुआ

3 अनेक रोग-नाशक जड़ी-बूटी शीर्षासन

4 रोग और शीर्षासन

5 शीर्षासन और सूजन

6 जीवन परिवर्तन

7 शीर्षासन एक आशीर्वाद

8 रोग के फंदे से छूटा  

9 आसनो का चमत्कार

10 मुझे कहने का अधिकार है

11 तुम्हें आरोग्य की आवश्यकता है ?

[टा सेहुभाई देसाई आशे डोक्टर के उत्तम प्रतीक हूँ। रोगी को पीने की दवा देने के बदले आसन करने की, प्राकृतिक नियमों का पालन करने की सलाह देते हैं, ऐसा मैंने कई बार सुना है।

राष्ट्र के लिये जेल को महल बनाने घाले, प्रज्ञा के संस्कारों में अभिरुचि रखनेवाले और गरी डॉक्टर के रूप में प्रसिद्ध श्री संभाई आसन के सम्बन्ध मे अपना अनुभव यहाँ दर्शाते हैं । ]

आरोग्य मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है। जय मनुष्य घीमार होजाता है तब वह आरोग्य का मूल्याकन करता है ।

“पहला सुख निरोगी काया” – यह लोकोक्ति बिलकुल सत्य हूँ । रोगी होकर आरोग्य की सोज मे धैय, बोस्टरों के पास जाने की अपेक्षा मनुष्य को निरोगी रहने के सादा-मरल नियमों का पालन करना चाहिए।

स्वच्छ वायु, शुद्ध आहार और नियमित व्यायाम आरोग्य के समस्त नियमों का सार है। आरोग्यपी सुरक्षा के लिये रक्त को स्वच्छ और गति- मान रखना चाहिए। इसके लिये नियमित व्यायाम करना चाहिए |

व्यायाम अनेक प्रकार का है, परन्तु सभी मनुष्यों यो यह अनुकूल नहीं आता । अपने अनुमत्र से मैं कहता हूँ कि यदि तुम्हें आरोग्य की आवश्यक्ता हो तो आसन करो ।

आसनी से रक शुद्ध होजाता है, आसन करनेवाले को किसी भी प्रकार के रोग की सम्भावना नहीं रहती ।

निरोगी रहने की जड़ो दी है। सौ घर्ष तक जीने ‘ का बीमा है।

लेखक एच डी गाँधी – H. D. Gandhi
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 332
Pdf साइज़ 4.1 MB
Category स्वास्थ्य(Health)

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