ब्रह्मर्षि वंश विस्तर | Brahmarshi Vansh Vistar PDF In Hindi

‘ब्रह्मर्षि वंश विस्तार’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Brahmarshi Vansh Vistar using the download button.

ब्रह्मर्षि वंश विस्तर – Brahmarshi Vansh Vistar Pdf Free Download

ब्रह्मर्षि वंश विस्तार

परम पूज्य बहलीन श्री श्री १०८ श्री स्वामी सहजानन्द सरस्वती जी की ११५वीं जयंती के अवसर पर उनकी अमर कृति “ब्रह्मर्षि वंश विस्तर” के छठे संस्करण का प्रकाशन करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है।

समाज द्वारा इस पुस्तक की जबरदस्त माँग ने इस पुस्तक के छठ़े संस्करण को प्रकाशित करने के लिये ट्रस्ट को प्रेरित किया । इस संस्करण के प्रकाशन में सहयोग के लिये

श्री सीताराम आश्रम ट्रस्ट, बिहटा, माननीय श्री यशवन्त सिन्हा, विदेश मंत्री, भारत सरकार का विशेष रूप से आभारी है, जिनके सहयोग से इसका प्रकाशन इतना जल्द संभव सका ।

साथ ही स्थानीय समाजसेवी श्री अजित कुमार सिंह सुपुत्र श्री शिव प्रसाद सिंह, बिहटा (पटना), ऐडवोकेट श्री शशि कुमार ठाकुर, सुपुत्र स्व० डा० एस०एन० ठाकुर, जगदेव पथ,

बैंक कॉलोनी पटना एवं श्री राकेश कुमार सिंह, सुपुत्र श्री विनेश कुमार सिंह ग्राम-पल्टू छतनी नौबतपुर ने भी इस पुस्तक के प्रकाशन में प्रशंसनीय सहयोग दिया है जिसके लिये ट्रस्ट उनका आभारी है ।

समाज के हित के लिये पूज्य स्वामीजी को इस पुस्तक को मूल रूप में बिना किसी प्रकार का हेर-फेर किये ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित कराया गया है, जिससे समाज को अधिक से अधिक

लाभ मिल सके समाज के सहयोग से ट्रस्ट उनकी अन्य कृतियों को भी यथाशीघ्र प्रकाशित कराने का प्रयास करेगा । केदारनाथ सिंह आजकल का समय बहुत ही विलक्षण है।

जिधर दृष्टिपात करिये उधर ही विचित्र लीलाएँ दृष्टिगोचर हो रही हैं ।

अपनी-अपनी डफली और अपने-अपने गीत’ की ध्वनि, जिधर आँख उठाइये और कान दीजिये, उधर ही गूँज रही है ।

सभी लोग डेढ़ चावल की खिचड़ी पका रहे हैं।सभी लोग डेढ़ चावल की खिचड़ी पका रहे हैं।

परन्तु यदि ग्रन्थकर्ता महाशय के बताये हुए वाराह पुराण को देखिए तो उसमें जाति-विचारका गन्ध भी नहीं है.

निरूपण तो दूर रहा। इसकी करनी है, अन्यत्र तथा एसियाटिक सोसाइटी पुस्तक का करें उसने प्रत्येक अध्याय के विषयों का पृथक सूचीपत्र भी दिया हुआ है और सम्पूर्ण पुराण का सारांश प्रति अध्याय के विषय सूधन द्वारा संक्षिप्त गद्यात्मक संस्कृत के ६० या ७० पूर्वी में लिखा है।

पं० ज्याला प्रसाद का पुराणदर्पण देखने से भी शीघ्र उक्त पुराण के विषयों का ज्ञान हो सकता है, और आद्योपान्त पुस्तक देखने से तो शंका भी नहीं रह सकती है।

यह तो हुई महाशयजी के बतायें पुराण की कथा अब दूसरे आधार ‘मुवल तन्त्र’ को देखिये प्रथम तो यह ही विचित्र है क्योंकि हस्व भु शब्द वाला नाम अप्रसिद्ध है। यदि ‘भूल’ ऐसा नाम हो तो बृहज्जोतिषार्णव प्रन्धान्तर्गत पृथ्वीनिरूपण प्रकरण में तीन ग्रन्थ तरह के मिलते है.

(१) भूगोल वर्णनाध्याय, (२) भूवल निरूपणाध्याय, (३) मानाध्याय गणित नाममालाध्याय परन्तु इन ग्रन्थों में जातिनिरूपण प्रसंग ही नहीं इस बात को लोग क्रमिक तीनो नामो प्रसंग तथा प्रन्ध नाम से भी अच्छी तरह समझ सकते है।

साथ ही यह भी याद रखना चाहिये कि ग्रन्थकर्ता ने जाति विषयक दो प्रकरण अलग ही बनाये है. (१) ब्राह्मणोत्पत्तिमार्त्तण्ड, (२) वर्णसंकरजातिनिरूपण।

यदि ऐसा कहा जाये कि इस नाम का कोई तंत्र ग्रन्थ है सो भी नहीं मालूम होता क्योंकि मिथिला तथा अन्य देशीय बड़े- बड़े पण्डितों और तांत्रिकों से पूछने पर भी इस नाम के तंत्र ग्रन्थ का पता न लगा।

मुद्रित तन्त्र ग्रन्थों में तो इसका नाम भी है क्योंकि मुद्रित तन्त्र ग्रन्थ ये है,

(१) आश्चर्य योग रत्नमाला (२) आसुरी (३) इन्द्रजाल, (४), (५) काम राम. (६) क्रियो गुप्तसाधन, (८) गौतम (१) गन्योननिर्णय (१०) दत्तात्रेय (१५) धन्वन्तरितंत्र !! शिक्षा, (१२) निर्वाण (१३) मंत्रमहा १४) (१५) माहेश्वरी ( (१७) योगिनी (१८) (१५) बच्चा (२०) सिद्धशंकर इत्यादि।

इनके अतिरिक्त ‘एसियाटिक रिसर्वेज (Asiatic Researches) नामक अंग्रेजी में जो सं १८०१० हिन्दू जातियों के निरूपण प्रकरण के पृष्ठ ६२ मे नाम ‘दुर्गामहाच’ नामक तन्त्र के आधार पर गिनाये है, जिसका भावार्थ यह है कि

(१) काली, (२) गुण्डमाला, (३) तारा, (४) निर्वाण, (५) सर्वरत्तरण, (६) बौर, (७) (०) भूत (१) शान, (१०) कालिकाकल्प (११) (१२) (३ सोल (१४), (१५) मायावन्त्र (१६) (१७) विश्वेश्वर (१८ समय तन्त्र, (११) महायागल, (२०) रुद्रयामल, (२१) शंकरचामल, (२२) गायत्री. (२३) कालिकाकुलसर्वस्व (२४) कुलार्णव. (२५) योगिनी तन्त्र (२६) महिषमर्दिनी हे भैरवि ।

यही तन्त्रग्रन्थ सर्वसाधारण में प्रचलित है। इनके अतिरिक्त तन्त्र का पता नहीं चलता। यह भी रखना चाहिये कि जाति-निरूपण का जहां कही प्रसंग आया है.

लेखक सहजानंद सरस्वती-Sahajanand Saraswati
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 156
Pdf साइज़14 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

ब्रह्मर्षि वंश विस्तर – Brahmarshi Vansh Vistar Pdf Free Download

2 thoughts on “ब्रह्मर्षि वंश विस्तर | Brahmarshi Vansh Vistar PDF In Hindi”

  1. कृपया मुझको ब्रह्मर्षि वंश विस्तार पुस्तक का पीडीपी दीजिए

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!