भारतीय प्रतिमा विज्ञान – Bhartiya Vastu Shastra PDF Free Download

इस सम्बन्ध में यह संकेत अनुचित न होगा कि प्राचीन भारतीय वास्तु-शास्त्र का अध्ययन एवं अनुसन्धान अत्यन्त कठिन है।
बड़े अध्यवसाय, अपरिमित लगन तथा सतत अध्ययन के बिना भारतीय विज्ञान ( Indology ) की इस शाखा पर सन्तोषजनक परिणाम नहीं निकल सकता ।
विगत कई वर्षों के सतत चिन्तन एव अनुसन्धान का ही परिणाम है कि बिना किसी पथ-प्रदर्शन एवं इस विषय की नाना कठिनाइयों के सुलझाव के मी
एवं आवश्यक प्रशापोत के भी इस अज्ञेव, दुरात्तोक, गूढार्थ, बहुविस्तर वास्तु सागर के सन्तरण की ‘उडुपेनेव सागरम्’ मैंने चेष्टा की है।
अस्तु, एक विशेष गित यहाँ पर यह अभिप्रेत है कि वैदिक-देयों की अपेक्षा इन देवों एवं देवियों का पौराणिक एवं आग मि तथा तांचिक देवो देवियों एवं प्रतीकों के साथ विशेष साम्य है-इसका क्या रहस्य है।
लेखक ने पूजा-परम्परा के सांस्कृतिक दप्टिकोण के समीक्षायसर पर यह बार-बार [संकेत किया है कि इस देश में चार्मिक- परासथ की दो समानान्तर धाराचे वैदिक पुग से पह रही हैं।
प्रथम वैदिक धर्म एवं उसकी पृष्ठ भूमि पर पश्षवित स्मारत चर्म दूसरी श्रवेदिक (जिसे द्वाषिकी कदिए, मौलिक कदिए, या देशी कहिए) धार्मिक धारा
जिसके तट पर बहुत देर से हम विचरण कर रहे हैं और जिसका उद्गम इसी देश की भूमि पर हुआ है। वैदिक धारा में आ्रार्थ-परम्परा का प्राचाग्य है।
प्रयेदिक में अनार्या विद-इस देश के मूल निवासियों की भार्मिक परम्परा का माषस्य है । इन दोनों के दो प्रयाग पुराण एवं आगम यने त्रियेणी में संत्रों की रस्वती’ ने भी योग किया ।
आर्य- गंगा एवं प्रनार्यमुना के इसी संगम पर भारतीय धर्म ( जो आर्य एवं नार्य का राम्मिमित स्वरूप के ) क मदान्, अभ्युदय हुआ जो आज मी बैसा दी चला आ रहा है।
मोरेन्जदादी और हत्या के अतिरिक्त अन्य जिन महत्वपूर्ण पदार्थ न स्थानों का ऊपर संकेत किया जा चुका है-उन पर प्राप्त मुद्राओं की थोकी समीक्षा के उपरान्त इस अध्याय को विस्तारभय से समास करना है।
लेखक | द्विजेन्द्रनाथ शुक्ल-Dvijendranath Shukla |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 345 |
Pdf साइज़ | 47 MB |
Category | ज्योतिष(Astrology) |
भारतीय वास्तु शास्त्र प्रतिज्ञा विज्ञान – Bhartiya Vastu Shastra Pratima Vigyan Book/Pustak Pdf Free Download