भागवद्गीता गूढार्थ दीपिका | Bhagavad Gita With Gudartha Dipika PDF In Hindi

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भागवद्गीता गूढार्थ दीपिका -Shri Bhagavad Gita With Gudartha Dipika PDF Free Download

भागवद्गीता

जो पदार्थ किसोमी स्थानविये प्रत्यक्ष हो है तिस पदार्थकाही अन्य स्थानविषे अनुमान होवै है ।

सर्वथा अप्रत्यक्ष पदार्थका अनुमान होवै नहीं। जैसे गृहादिक स्थानोंबिपे प्रत्यक्ष जो अग्नि है

ता अफ्रिकी धूम विपे व्याप्ति निश्चयकारकै यह पुरुप पर्वतविपे धूमकूं देखिकरिकै यह पर्वत अग्नि वाला है या प्रकारका अनुमान करै है।

और जो पदार्थ किसीमी स्थानविषे प्रत्यक्ष नहीं हो है

ता पदार्थ के व्यामिका ज्ञानही संभवता नहीं। यात ता पदार्थका अनुमानभी होवै नहीं।

और या आत्माका तो नेत्रादिक इंद्रियोंकारिकै प्रत्यक्ष हो नहीं । यातैं अनुमान प्रमाणकारकैभी ता आत्मात्रे छेयत्वादिकोंका ग्रहण होइ सकै नहीं इति ।

शंका- हे भगवन् ! जो पदार्थ किसीभी स्थलचिपे प्रत्यक्ष हो है ता पदार्थकाही अन्य स्थलविषे अनुमान होवै है सर्वथा अप्रत्यक्ष पदार्थका अनुमान होवै नहीं।

यह जो आपने नियम का सो संभवता नहीं काहे नेत्रादिक इंद्रि योंका तथा धर्म अधर्मका किसीभी स्थलविषे प्रत्यक्ष होता नहीं। परंतु तिनोंत्रिपेभी अनुमानकी विषयता तौ देखणेमें आती है

ता अनुमानका यह प्रकार है रूपादि कोंकी प्रतीति करणकरिकै साध्य होणेकूं योग्य है क्रिया होणेतें जा जा किया हो है सा सा करण कारकै साध्य होये है।

जैसे छेदनरूप क्रिया कुठाररूप कर कारकै साध्य है इति ।

या प्रकार के अनुमानतें रूपादिकोंकी प्रतीतियोंका करण रूपकारकै नेत्रादिक इंद्रियोंकी सिद्धि हो है ।

तथा यह पुरुप धर्मवान् है सुखी होणेतें । तथा यह पुरुप अधर्मवान् है दुःखी होणेत इति ।

या अनुमानतें धर्मअधर्म की सिद्धि होवै है ।

तैसे सर्वथा अप्रत्यक्ष आत्माविपेभी अनुमानकी विपयता बनि सकै है। ऐसी अर्जुनकी शंकाके हुए श्रीभगवान् उत्तर कहें हैं (अधिकार्योयम् इति ) हे अर्जुन !

नानाप्रकारकी विक्रियावाले जो इंद्रियादिक पदार्थ है इंद्रियोंकारिकै प्रत्यक्ष हो नहीं ।

यातैं अनुमान प्रमाणकारकैभी ता आत्मात्रे छेयत्वादिकोंका ग्रहण होइ सकै नहीं इति ।

शंका- हे भगवन् ! जो पदार्थ किसीभी स्थलचिपे प्रत्यक्ष हो है

लेखक चिद्धनानंद गिरि-Chiddhananand Giri
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 1161
Pdf साइज़33.1 MB
Categoryधार्मिक(Religious)

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