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बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी – Best Moral Stories with Pictures PDF Free Download
Best Moral Stories in Hindi for Kids
प्यासा कौआ
एक समय की बात है। कड़कड़ाती धूप में एक प्यासा कौआ इधर उधर पानी की खोज में तड़प रहा था।
अत्यधिक प्यास के कारण उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसका अन्तिम समय आ गया है।
तभी उसकी नजर पास के एक पेड़ के नीचे रखे घड़े पर पड़ी। उसे देखकर कौए के जान में जान आई।
वह उड़कर जब उसके पास पहुँचा तो उसने देखा कि पानी घड़े में बहुत कम था जिसकी वजह से वह अपनी चोंच से पानी तक पहुँच नही पा रहा था।
कौए ने कई बार प्रयास किया पर हर बार वह असफल रहा।
कौआ घड़े के पास थककर बैठ गया। तभी उसकी नजर पास पड़े कंकड़ों पर पड़ी। अब उसको एक तरकीब सूझी।
उसने विचार किया कि यदि वह एक एक करके कंकड़ों को घड़े में डालेगा तो पानी धीरे-धीरे ऊपर आ जायेगा और वह उसे पी कर अपनी प्यास बुझा लेगा।
निरंतर प्रयास और कड़ी मेहनत करके वह इतने कंकड़ घड़े में डाल देता है कि पानी ऊपर आता है और वह उसे पीकर अपनी जान बचा लेता है।
सोने का अण्डा
रामपुर गाँव में एक गरीब किसान रहता था। वह रोज की ही तरह अपने खेतों से काम करके घर वापस आ रहा था।
उसे रास्ते में एक घायल मुर्गी दिखाई देती है जिसके काफी खून निकल रहा था। गरीब किसान ने उसके देखते ही उठाया और घर ले जाकर उसकी मरहम पट्टी की। कुछ ही दिनों में मुर्गी पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी।
मुर्गी ने गरीब किसान से कहा कि तुमने मेरी इतनी सेवा की है इसके बदले में मै तुम्हें रोज एक सोने का अण्डा दूंगी।
मुर्गी अपने कहे अनुसार रोज सुबह एक सोने का अण्डा देती जिसे गरीब किसान बाजार ले जाकर अच्छे दामों में बेच दिया करता था।
देखते ही देखते गरीब किसान के पास काफी पैसे हो गये, अब वह बहुत अमीर हो गया था।
एक दिन उसने सोचा कि मुझे रोज मुर्गी को खाना देना होता है, उसकी सेवा करनी पड़ती है तब एक सिर्फ एक अण्डा मुझे मिल पाता है क्यों न मैं इसके पेट से सारे अण्डे एक साथ निकालकर बेच दूं।
ऐसा सोचकर उसने मुर्गी का पेट चाकू से काट दिया परन्तु उसे एक भी अण्डा नही मिला और जो एक अण्डा रोज मिलता था वह उससे भी हाथ धो बैठा।
सुनहरी चिड़िया
एक जंगल में एक सुनहरी चिड़िया रहती थी। वह मीठे गीत गाया करती थी। जब वह गाना गाती तो उसकी चोंच से चमकदार मोती गिरते। एक दिन एक बहेलिए ने उसे पकड़ लिया।
उसने उसे अपने घर ले जाकर एक सोने के पिंजरे में रख दिया। वह उसे अच्छा खाना देता, लेकिन चिड़िया दुखी रहती। वह आजादी का आनंद लेना चाहती थी। अब वह पिंजरे में गाना भी नहीं गाती थी।
इस वजह से बहेलिए को एक भी मोती नहीं मिल पा रहा था। तंग आकर बहेलिए ने उस सुनहरी चिड़िया को राजा को उपहार स्वरूप भेंट कर दी। राजा ने वह चिड़िया राजकुमारी को दे दी।
राजकुमारी एक अच्छी लड़की थी। वह बहुत दयालु थी। उसने सुनहरी चिड़िया को आजाद कर दिया। चिड़िया अपनी आजादी से बहुत खुश थी, इसलिए वह पुन: गाने लगी।
फलस्वरूप उसकी चोंच से राजकुमारी के कमरे में मोती गिरने लगे। उस दिन से वह सुनहरी चिड़िया रोज राजकुमारी से मिलने आती और उसके लिए गाना गाती। वह जैसे ही गाना गाती वैसे ही उसकी चोंच से मोती झडते। यह उसकी तरफ से प्यारी राजकुमारी के लिए तोहफा था।
कुत्ता और खरगोश
एक कुत्ते और एक खरगोश के बीच बहुत पक्की दोस्ती थी। खरगाश का स्वभाव सीधा-सादा था, जबकि कुत्ता बहुत चालाक था।
एक दिन कुत्ते ने अचानक खरगोश को पकड़कर जोर से काट लिया। खरगोश दर्द के मारे मरा जा रहा था।
अब कुत्ता खरगोश के घाव को चाट-चाटकर उसे आराम पहुँचाने की कोशिश करने लगा। खरगोश कुत्ते के व्यवहार को देखकर दंग था और समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या करे।
वह जानने की कोशिश कर रहा था कि कुत्ता क्या चाहता है। “पहले मुझे यह बताओ, तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन?
अगर तुम मेरे सच्चे दोस्त हो, तो तुमने मुझे इतने जोर से काटा क्यों? अगर तुम दुश्मन हो तो अब मेरे घावों को चाट क्यों रहे हो?
या तो मुझे मार डालो या मुझे अपनी मर्जी से जीवन जीने दो।”
बंदर की जिज्ञासा और कील
एक व्यापारी ने एक मंदिर बनवाना शुरू किया और मजदूरों को काम पर लगा दिया। एक दिन, जब मजदूर दोपहर में खाना खा रहे थे, तभी बंदरों का एक झुंड वहाँ आ गया।
बंदरों को जो सामान हाथ लगता, उसी से वे खेलने लगते। एक बंदर को लकड़ी का एक मोटे लट्टे में एक बड़ी-सी कील लगी दिखाई दी।
कील की वजह से लट्टे में बड़ी दरार सी बन गई थी। बंदर के मन में आया कि वह देखे कि आखिर वह है क्या।
जिज्ञासा से भरा बंदर जानना चाहता था कि वह कील क्या चीज है। बंदर ने उस कील को हिलाना शुरू कर दिया।
वह पूरी ताकत से कील को हिलाने और बाहर निकालने की कोशिश करता रहा। आखिरकार, कील तो बाहर निकल आई लेकिन लट्टे की उस दरार में बंदर का पैर फँस गया।
कील निकल जाने की वजह से वह दरार एकदम बंद हो गई। बंदर उसी में फँसा रह गया और पकड़ा गया। मजदूरों ने उसकी अच्छी पिटाई की।
Author | – |
Language | Hindi |
No. of Pages | 94 |
PDF Size | 2 MB |
Category | Story |
Source/Credits | pdffile.co.in |
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