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प्लासी का युद्ध – Battle Of Plassey 1757 Notes PDF Free Download
प्लासी
17वीं-18वीं शताब्दी में बंगाल
मुगल काल में: बंगाल मुगल साम्राज्य का सबसे उपजाऊ और सबसे अमीर प्रांत था और इसमें वर्तमान बांग्लादेश, बिहार और ओडिशा राज्य शामिल थे।
इस प्रांत की आधिकारिक शक्तियाँ बंगाल के नवाब के हाथों में थीं।
आर्थिक महत्त्व: बंगाल अपने प्रसिद्ध वस्त्रों, रेशम और नमक के लिये आर्थिक महत्त्व रखता था।
बंगाल से यूरोप को निर्यात होने वाली वस्तुओं में नमक, चावल, नील, काली मिर्च, चीनी, रेशम, सूती वस्त्र, हस्तशिल्प आदि शामिल थे।
अंग्रेज़ों के लिये महत्त्व: भारत में बंगाल अंग्रेज़ों के नियंत्रण में आने वाला पहला राज्य था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस प्रांत के व्यापार से बहुत लाभ कमाया।
बंगाल के विशाल संसाधन ब्रिटिश विस्तार के वित्तपोषण के रूप में काम आए।
एशिया से होने वाले कुल ब्रिटिश आयात में लगभग 60% बंगाल की वस्तुएँ शामिल थीं।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष 1690 के दशक में कलकत्ता की नींव रखी और ब्रिटिश वाणिज्यिक उपनिवेश की स्थापना की।
ब्रिटिश कंपनी मुगल सम्राट को बंगाल में स्वतंत्र रूप से व्यापार करने की अनुमति देने के बदले प्रतिवर्ष 3,000 रुपए (350 पाउंड) का भुगतान करती थी।
इसके विपरीत बंगाल से होने वाला कंपनी का कुल निर्यात प्रतिवर्ष लगभग 50,000 पाउंड से अधिक का था।
नवाबों और अंग्रेज़ों के बीच संघर्ष: ब्रिटिश कंपनी को प्राप्त विशेषाधिकारों का बंगाल के नवाबों ने कड़ा विरोध किया क्योंकि इससे प्रांतीय राजकोष को भारी नुकसान हुआ।
नतीजतन ब्रिटिश का वाणिज्यिक हित बंगाल सरकार से संघर्ष का मुख्य कारण बन गया।
अतः अंग्रेज़ों को बंगाल के सिंहासन पर नवाब के रूप में एक “कठपुतली” की आवश्यकता महसूस हुई, ताकि वे स्वेच्छा से उन्हें व्यापार रियायतें और अन्य विशेषाधिकार दे सकें तथा प्रांत में अपनी अप्रत्यक्ष लेकिन अंतिम शक्ति स्थापित कर सकें।
प्लासी का युद्ध
प्लासी की लड़ाई वर्ष 1757 में पश्चिम बंगाल के प्लासी क्षेत्र में भागीरथी नदी के पूर्व में लड़ी गई थी।
रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों ने बंगाल के अंतिम स्वतंत्र नवाब सिराजुद्दौला और उनके फ्रांसीसी सहयोगियों की सेना के खिलाफ मोर्चा संभाला।
पृष्ठभूमि
सिराजुद्दौला: बंगाल के नवाब अलीवर्दी खान की मृत्यु के बाद सिराजुद्दौला इस गद्दी का उत्तराधिकारी बना।
अलीवर्दी खान बिहार का उपराज्यपाल था, जिसने बंगाल के दीवान मुर्शिद कुली खान के पुत्र सरफराज खान की हत्या कर इस गद्दी को प्राप्त किया था।
सिराजुद्दौला अपने ही दरबार में कई प्रतिद्वंद्वियों से घिरा हुआ था, जिन्होंने प्लासी का युद्ध जीतने में अंग्रेज़ों की मदद की।
युद्ध से पहले की घटनाएँ: कर्नाटक में ब्रिटिश जीत ने सिराजुद्दौला को ईस्ट इंडिया कंपनी की बढ़ती ताकत से पहले ही आशंकित कर दिया था।
इसके अलावा कंपनी के अधिकारियों ने अपने व्यापार विशेषाधिकारों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जिससे नवाब के वित्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
अंग्रेज़ों ने भी नवाब की अनुमति के बिना कलकत्ता की किलेबंदी की, जिसे नवाब ने अपनी संप्रभुता के विरुद्ध समझा।
इससे क्रुद्ध होकर नवाब ने कलकत्ता की ओर कूच किया और जून 1756 में फोर्ट विलियम पर कब्ज़ा कर लिया।
फोर्ट विलियम के आत्मसमर्पण के कुछ ही समय बाद 20 जून, 1756 को सिराजुद्दौला ने कलकत्ता की एक छोटे सी काल कोठरी में 146 ब्रिटिश कैदियों को कैद कर लिया, जिनमें से 123 कैदियों की दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना को ‘कलकत्ता के ब्लैक होल’ (Black Hole of Calcutta) के रूप में जाना जाता है।
इस घटना ने नवाब और अंग्रेज़ों के बीच की दुश्मनी को सबके सामने ला दिया।
रॉबर्ट क्लाइव का आगमन
अंग्रेज़ों की बंगाल के नवाब के हाथों इस बुरी हार के बाद मद्रास से रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में एक मज़बूत बल नवाब को उखाड़ फेंकने और बंगाल में ब्रिटिश स्थिति को मज़बूत करने के लिये भेजा गया।
नवाब के असंतुष्ट अनुयायियों जैसे- मीर ज़ाफर और अन्य बंगाली जनरलों को अंग्रेज़ों के साथ गठबंधन करने के लिये रिश्वत दी गई।
सिराजुद्दौला का रिश्तेदार मीर ज़ाफर ने अंग्रेज़ों से बंगाल की गद्दी के बदले उनका समर्थन करने की गुप्त संधि कर ली थी।
युद्ध के परिणाम
प्लासी के युद्ध (The Battle of Plassey) के परिणाम अत्यंत ही व्यापक और स्थायी निकले. इसका प्रभाव कम्पनी, बंगाल और भारतीय इतिहास पर पड़ा.
- मीरजाफर को क्लाइव ने बंगाल का नवाब घोषित कर दिया. उसने कंपनी और क्लाइव को बेशुमार धन दिया और संधि के अनुसार अंग्रेजों को भी कई सुविधाएँ मिलीं.
- बंगाल की गद्दी पर एक ऐसा नवाब आ गया जो अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली मात्र था.
- प्लासी के युद्ध (The Battle of Plassey) ने बंगाल की राजनीति पर अंग्रेजों का नियंत्रण कायम कर दिया.
- अंग्रेज़ अब व्यापारी से राजशक्ति के स्रोत बन गये.
- इसका नैतिक परिणाम भारतीयों पर बहुत ही बुरा पड़ा. एक व्यापारी कंपनी ने भारत आकर यहाँ से सबसे अमीर प्रांत के सूबेदार को अपमानित करके गद्दी से हटा दिया और मुग़ल सम्राट तमाशा देखते रह गए.
- आर्थिक दृष्टिकोण से भी अंग्रेजों ने बंगाल का शोषण करना शुरू कर दिया.
- इसी युद्ध से प्रेरणा लेकर क्लाइव ने आगे बंगाल में अंग्रेजी सत्ता स्थापित कर ली.
- बंगाल से प्राप्त धन के आधार पर अंग्रेजों ने दक्षिण में फ्रांसीसियों पर विजय प्राप्त कर लिया.
लेखक | – |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 6 |
PDF साइज़ | 2 MB |
Category | History |
Source/Credits | drive.google.com |
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