औषधीय खरपतवार | Medicinal Weeds PDF In Hindi

खरपतवार के नाम और फोटो – Weed Science Book Pdf Free Download

खरपतवार के नाम और फोटो

भण्डाकार, चिकनी, तीन शिराओं युक्त पतली तथा किनारों पर दांतिदार ।

पर्णवृन्त मुलायम एवं पर्णफलक से लम्बा होता है टहनी के शीर्ष व पत्ती से लम्बे एवं सीधे पुष्प कणिश (स्पाइक) निकलते हैं जिनमें डण्डल एवं रहित एकलिंगी (नर व मादा) पुष्प अलग-अलग होते हैं।

ऊपर शिखर पर ोटे नर पुष्पों के गुच्छे तथा नीचे की तरफ 3-5 के समूहों में बिखरे हुए प होते हैं। मादा पुष्प में पत्तीनुमा कटा हुआ सहपत्र होता है।

फल का (कैप्सूल) त्रिपालीय व छोटी तथा बढ़े हुए रोमिल सहपत्र से ढ़की रहती टिका के प्रत्येक कक्ष में सूक्ष्म, अण्डाकार व हल्का भूरा एक-एक बीज इसका पूरा पौधा, विशेषकर पुष्पन के समय,

औषधीय गुणों से भरपूर में एकेलिफिन’ क्षाराभ एवं सायनोजेनेटिक’ ग्लुकोसाइड की प्रचुर मात्रा पुष्पन के समय जड़ सहित पूरा पौधा उखाड़कर सुखा लिया जाता है अकेला नामक दवा बनती है यह कफनिस्सारक, मूत्र वर्धक, वामक तावर होता है।

पुरानी कास (ब्रोंकाइटिस), दमा, गठियावात तथा ठंड या) में इसका चूर्ण आरोग्यकारी है। बच्चों में श्वास नली शोथ होने पर का ताजा अर्क तीव्र वमन कराने के लिए प्रयोग किया जाता है इससे गो से स्राव बढ़ता है।

कफ युक्त कास एवं दमा में इनका अर्क शहद के ने से तुरन्त आराम मिलता है। पत्तियां दस्तावर होती हैं। बच्चों में कोष्ठ ने पर इनका अर्क मलाशय में प्रवेश कराने से दस्त खुल जाते हैं। लहसुन |

पतियों का अर्क या क्वाथ उदरकृमि एवं खसरा में उपयोगी है ।दर्द एवं वात विकार में ताजी पत्तियों का अर्क तेल के साथ मालिश करने राहत मिलती है।

जड का अर्क या चूर्ण का कम मात्रा में प्रयोग कफ क एवं उत्क्लेशक होता है जबकि ज्यादा मात्रा में प्रयोग दस्तावर एवं होता है।

लेखक वंदना उमराव-Vandana Umarav
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 73
Pdf साइज़2.5 MB
Categoryआयुर्वेद(Ayurveda)

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