आजीवन निरोगी कैसे रहें | How To Become Lifetime Healthy PDF

आजीवन निरोगी कैसे रहें – Ajivan Nirogi Kaise Rahen Book/Pustak PDF Free Download

आज के सामान्य परिवार एवं समाज की स्वाभाविक स्थिति ऐसी गई है कि वह अनुपयोगी एवं कष्टसाध्य रोगी व्यक्तियों की सेवा करना भार मानने लगा है।

इसका कटु अनुभव जीर्ण रोगों से आक्रान्त बच्चों एकु ए् जनों दोनों को करना पड़ रहा है। मूल गलती यह है कि प्राय: माता-पिता स्वस्थ रहने-रखने के रहस्य से अनभिज्ञ हैं।

फलत: अपने व बच्चों के गलत भोजनया गलत लालन-पालन के कारण वह स्वयं और उनके बच्चे रोगी होते हैं, और फिर कष्टसाध्य रोगों में फंस जाते हैं।

जवानी तक सभी की विकास की सहज प्राकृतिक देन होती लोग अपनी गल्तियों के फलस्वरूप उत्पन्न रोगों के झटके झेलते रहते हैं।

धीरे भरे वह चिड़चिड़े स्वभाव के बनते जाते हैं और कष्टसाध्य रोगों में फैस जाते है।

बुढापा तो अपने आप में एक रोग ही माना जाता है परन्तु आयुर्वेद और योग के अनुभवी जनों ने बुढ़ापे को रोग रहित व सुखमय बनाने के भी उपाय बताये हैं।

बुढ़ापे का अर्थ यह नहीं है कि लोग रोगों में अवश्य फैस जायें।

बुढ़ापे के कारण शरीर में शिथिलता तो आवेगी परन्तु आप अपने साधनमय जीवन से प्राय: रोगों से अवश्य बचे रह सकते हैं।

यहाँ उन उपायों को रखने का प्रयास किया जा रहा है। मानव की नाना प्रकार के भोगों को भोगने की स्वाभाविक रुचि होती है।

इसके लिए अर्थ, भोग-कला और निश्चिन्तता के साथ शक्तिशाली स्वस्थ सरीर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। जीविकोपार्जन, विद्या, जान विज्ञान, कला आदि की उपलब्धि के लिये भी स्वस्थ शरीर नितांत अपेक्षित है।

समाज में मान-सम्मान व प्रेम पाना सबसे अच्छा लगता है और इसके लिये विद्या व कला से युक्त व्यवहार-कुशल परोपकारी जीवन व प्रसन्न, हंसमुख चेहरा एवं सौहारई पूर्ण आकर्षक व्यक्तित्व |

लेखक डॉ। प्रकाश ब्रह्मचारी-Dr Prakash Brahmachari
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 77
Pdf साइज़76.2 MB
Categoryस्वास्थ्य(Health)

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