मानव जनन नोट्स | Human Reproduction Notes PDF In Hindi

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मानव जनन कक्षा 12 नोट्स – Human Reproduction Class 12 Notes PDF Free Download

मानव जनन

जैसाकि आप जानते हैं मानव लैंगिक रूप से जनन करने वाला और सजीवप्रजक या जरायुज प्राणी है।

मानवों में जनन घटना के अंतर्गत युग्मकों की रचना ( युग्मकजनन) अर्थात् पुरुष में शुक्राणुओं तथा स्त्री में अंडाणु का बनना, स्त्री जनन पथ में शुक्राणुओं का स्थानांतरण (वीर्यसेचन) और पुरुष तथा स्त्री के युग्मकों का संलयन (निषेचन) जिसके कारण युग्मनज (जाइगोट) का निर्माण होता है, शामिल हैं।

इसके बाद कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) की रचना तथा परिवर्धन और इसका गर्भाशय की दीवार से चिपक जाना (अंतर्रोपण), भ्रूणीय परिवर्धन (गर्भावधि) और शिशु के जन्म (प्रसव) की क्रियाएँ घटित होती हैं।

आपने पढ़ा है कि ये जनन घटनाएँ यौवनारंभ के पश्चात् सम्पन्न होती हैं।

पुरुष और स्त्री के बीच महत्त्वपूर्ण रूप से जनन घटनाएँ होती हैं; उदाहरण के लिए एक वृद्ध पुरुष में भी शुक्राणु बनना जारी रहता है, लेकिन स्त्रियों में अंडाणु की रचना 50 वर्ष की आयु के लगभग समाप्त हो जाती है।

आइये, हम मानव में स्त्री और पुरुष के जनन तंत्रों की चर्चा करते हैं।

पुरुष जनन तंत्र

पुरुष जनन तंत्र शरीर के श्रोणि क्षेत्र (पेल्विस रोजन) में अवस्थित होता है (चित्र 3.1 अ)। इसके अंतर्गत एक जोड़ा वृषण, सहायक

नलिकाओं के साथ-साथ एक जोड़ी प्रथियों तथा बाह्य जननेंद्रिय शामिल होते हैं।

शरीर में वृषण उदर गुहा के बाहर एक थैली / घानी में स्थित होते हैं जिसे वृषणकोष (स्क्रोटम) कहते हैं।

वृषणकोष धृषणों के तापमान को (शरीर के तापमान से 2-2.5 डिग्री सेंटीग्रेड) कम रखने में सहायक होता है जो शुक्राणुजनन के लिए आवश्यक है।

वयस्कों में प्रत्येक वृषण अंडाकार होता है, जिसकी लम्बाई लगभग 4 से 5 सेमी. और चौड़ाई लगभग 2 से 3 सेमी. होती है।

वृषण सघन आवरण से ढका रहता है। प्रत्येक वृषण में लगभग 250 कक्ष होते हैं। जिन्हें वृषण पालिका (टेस्टिकुलर लोब्युल्स) कहते हैं।

प्रत्येक वृषण पालिका के अंदर एक से लेकर तीन अति कुंडलित शुक्रजनक नलिकाएँ (सेमिनिफेरस ट्यूबुल्स) होती हैं जिनमें शुक्राणु पैदा किए जाते हैं।

प्रत्येक शुक्रजनक नलिका का भीतरी भाग दो प्रकार की कोशिकाओं से स्तरित होती हैं, जिन्हें नर जर्म कोशिकाएँ (शुक्राणुजन स्पर्मेटोगोनिया) और सर्टोली कोशिकाएँ।

कहते हैं (चित्र 3.2 ) नर जर्म कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन (या अर्धसूत्रण) के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण करती है जबकि सर्टोली कोशिकाएँ जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती हैं।

शुक्रजनक नलिकाओं के बाहरी क्षेत्र को अंतराली अवकाश (इंटरस्टीशियल स्पेस) कहा जाता है। इसमें छोटी-छोटी रुधिर वाहिकाएँ और अंतराली कोशिकाएँ (इंटरस्टीशियल सेल्स) या लीडिंग कोशिकाएँ (इंटरस्टीशियल सेल्स) होती हैं

लीडिंग कोशिकाएँ पुंजन (एंड्रोजन) नामक वृषण हार्मोन संश्लेषित व स्रवित करती हैं। यहाँ पर कुछ अन्य कोशिकाएँ भी होती है जो प्रतिरक्षात्मक कार्य करने में सक्षम होती हैं।

स्त्री जनन तंत्र

स्त्री जनन तंत्र के अन्तर्गत एक जोड़ा अंडाशय (ओवरी) के साथ-साथ एक जोड़ा अंडवाहिनी (ओविडक्ट), एक गर्भाशय (यूटेरस) एक गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) तथा एक योनि (वेजाइना) और बाह्य जननेन्द्रिय (एक्सटर्नल जेनिटेलिया) (चित्र 3.3 अ) शामिल होते हैं जो श्रोणि क्षेत्र में होते हैं।

जनन तंत्र के ये सभी अंग एक जोड़ा स्तन ग्रंथियों (मैमरी ग्लैंड्स) के साथ संरचनात्मक तथा क्रियात्मक रूप में संयोजित होते हैं;

जिसके फलस्वरूप अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) निषेचन (फर्टिलाइजेशन), सगर्भता (प्रेगनेन्सी), शिशुजन्म तथा शिशु की देखभाल की प्रक्रियाओं में सहायता मिलती है।

अंडाशय स्त्री के प्राथमिक लैंगिक अंग हैं जो स्त्री युग्मक (अंडाणु / ओवम) और कई स्टेरॉयड हॉर्मोन (अंडाशयी हार्मोन) उत्पन्न करते हैं।

उदर के निचले भाग के दोनों ओर एक-एक अंडाशय स्थित होता है (चित्र 3.3 ब)। प्रत्येक अंडाशय की लम्बाई 2 से 4 से.मी. के लगभग होती है और यह श्रोणि भित्ति तथा गर्भाशय से स्नायुओं (लिगामेंट्स) द्वारा जुड़ा होता है।

प्रत्येक अंडाशय एक पतली उपकला (एपिथिलियम) से ढका होता है जो कि अंडाशय पीठिका (ओवेरियन स्ट्रोमा) से जुड़ा होता है।

यह पीठिका दो क्षेत्रों एक परिधीय बस्कुट (पेरिफेरल कॉर्टेक्स) और एक आंतरिक मध्याश (मेला) में विभक्त होता है।

अंडवाहिनियाँ (डिम्बवाहिनी नलिका फेलोपियन नलिका) गर्भाशय तथा योनि मिलकर स्त्री सहायक नलिकाएँ बनाती हैं।

प्रत्येक डिम्बवाहिनी नली लगभग 10-12 से.मी. लम्बी होती है, जो प्रत्येक अंडाशय की परिधि से चलकर गर्भाशय तक जाती है (चित्र 3.3 ) अंडाशय के ठीक पास डिबवाहिनी का हिस्सा कीप के आकार का होता है. जिसे कीपक (इफन्डीवुलम) कहा जाता है।

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भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 23
PDF साइज़10 MB
CategoryEducation
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