121 दिमागी कसरतें – Dimagi Kasrate Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
दीवाली आते ही अपना भाग्य आजमाने वालों की भीड़ रमागंग में पाजीलू शी हवेली में जमा होने लगती थी। हर कोई अपनी समय के अनुसार सब लगता था। उस दिन भी यही हो रहा था। चारों ओर ताश के पत्तों के अंधार लगे हुए थे।
तभी शोर मच गया। हवेली की बिजली गुप्त हो जाने से पुष्प अंधेरा छा गया था। पंखे यार हो गए थे एक नौकर ने तत्काल पंपों रे पटन बंद कर दिए जिससे बिजली आने पर लोड बढ़ जाने से संतों की मोटरे न जल जाए।
याणीतू ने तत्काल सैकड़ो मोमबत्तियां अन दी। फिर भी बिजी की बात ने थी। अधिक भीड़ होने, पंखे न चलने और मोमबत्तिपों के जलने से काफी गर्मी हो गई थी।
रज्जू ने अपनी कमीज उतार दी । फिर भी चैन न मिला तो पत्ने बांटते हुए उसने मंगलू को पंखे बताने के लिए कहा।
रज्जू की पात पर तत्काल पिल्लू ने कहा, ‘खबरदार मंगल, पंखों का स्विच ‘ऑन’ न करना, वरना मोमबतिया युद्ध जाएंगी। ‘अरे पलाओ पंणे, देखते नहीं, कितनी गर्मी -गुरु भोला ने शेस से कहा। और शेरू ने तत्काल सभी पंखों के स्विच ‘आन’ कर दिए।
लेकिन आश्चर्य! कोई मोमबत्ती नहीं बुझी। क्या आप बता सकते है क्यों? दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए सुरेश ने अपना पेन निकाला।
हरे रंग के उस सुंदर पैन को देख कर सुजाता से जब सुरेश से उसका दाम पूछा तथ सुरेश ने मुस्करा कर कहा, “इसका दाम चुकाने के लिए मैंने जितने रुपए दिए उसके पांच गुना पेसे भी दिए
शो भी ला दो ऐसा ही पैन सुजाता ने का। कुछ दिनों के बाद सुरेश ने वैसा ही सुंदर लाल पैन खरीदा। यह पैन उसे पहले वैन से साट पैसे महंगा मिला। लेकिन इस बार उसने शितने रुपए दिए थे उनसे केवल दो ही पैसे उसे देने पड़े।
लेखक | हरीश चंद्र संसी-Harish Chandra Sansi |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 164 |
Pdf साइज़ | 57.7 MB |
Category | स्वास्थ्य(Health) |
121 दिमागी कसरतें – Exercises For Mind Book/Pustak Pdf Free Download