1001 हिन्दी जोक्स ई बूक | Hindi Jokes E-Book PDF

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1001 हिन्दी जोक्स ई बूक – Hindi Jokes Pdf Free Download

हिन्दी जोक्स ई बूक

उसे और ज्यादा आश्चर्य हुआ. उसने फिर पूजा- पर ऐसी ही सजा तो अमरीकन और तमाम अन्य देशों के नर्क में भी है वहाँ तो अंदर जाने वालों की ऐसी भीड़ नहीं दिी. किसी ने उसकी जिज्ञासा शांत की-चूंकि यहाँ भीड़ के कारण बदहाली है,

मेंटेनेंस बहुत पटिया है बिजली आती नहीं अतः बिजली की कुर्सी काम नहीं करती, विस्तर से कीलों को लोग चोरी कर से जा चुके हैं और कोडे लगाने वाले भारतीय राक्षस, भारतीय शासकीय सेवा में रह पुके है जो आते तो हैं, परंतु हाजिरी रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कटीन चले जाते है….

आज का चुटकुला 1000 देवी चिन्ह एक पुजारी और एक पादरी की अापना में मिल गई और जरा जोरदार से मिट्टी. दोनीही कार मुरी तरह से टूटपूट गई, है क रूप से न तो पुजारी और न पादरी को कोई खास घोटे |

जब ये दोनों अपनी अपनी बाहर ो े पदरी तियास को देखा और क तो तुम पादरी हो ह म ी पूजा मारी कारे कसी टपूट गई हैं, परंतु सौभाग्य से हमें कोई पहुची हैदर की. कृपा है और उसका यह संदेश हम दोनों के लिए है कि आपस में दोस्त और बकी की जिंदगी प्यार और पति से दोस्त के रूप में साय साय गुजरी |

आखिर में पुजारी को लगा कि सचमुच इधर की कृपा से उसका पुनर्जन्म हुआ है और पादरी की बातों में दम है उसने बोतल ली और शराब की एक श्रृंट भरी, उसका मुँह कड़वा हो गया. जैसे तैसे उसने पहला पूंट भरा और बोतल पादरी को वापस किया.

पादरी ने कहा – देखो तुमने कि पहला एंट मरा है, इसलिए अब तुम इस बोतल का आधा हिस्सा प्रसाद के रूप में प्राप्त करें.

बाकी का हिस्सा फिर में पी मुंगा.प्रतियाद करते हुए पुजारी ने दूसरा पेट भरता. तीसरा पेट भरते तक उसे आनंद आने लगा था. देखते ही देखते बोतल में सिर्फ दो घूँट |

एक पुजारी और एक पादरी की कारें आपस में भिड़ गईं, और जरा जोरदार से भिड़ीं. दोनों ही कारें बुरी तरह से टूटफूट गईं, परंतु उतने ही आश्चर्यजनक रूप से न तो पुजारी और न पादरी को कोई खास चोटें आईं.

जब वे दोनों अपनी अपनी कारों से बाहर निकले तो पुजारी ने पादरी के लिबास को देखा और कहा तो तुम पादरी हो! वाह! मैं भी पुजारी हूं. हमारी कारें कैसी टूटफूट गई हैं, परंतु सौभाग्य से हमें कोई खास चोटें नहीं पहुँची.

यह ईश्वर की बड़ी कृपा है और उसका यह संदेश हम दोनों के लिए है कि हम आपस में दोस्त बन जाएँ और बाकी की जिंदगी प्यार और शांति से दोस्त के रूप में साथ-साथ गुजारें.

पादरी ने कहा हाँ मैं तुम्हारी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ. यह तो ईश्वरीय इच्छा ही प्रतीत होती है.

पादरी ने आगे कहा और जरा इसे देखो एक और चमत्कार. मेरी कार पूरी तरह से बरबाद हो गई है परंतु यह ब्लैक लेबल व्हिस्की की बोतल पूरी तरह ठीक ठाक है. इसमें एक खरोंच भी नहीं आई है.

अवश्य ही ईश्वर चाहता है कि हम अपनी इस नई दोस्ती का जश्न व्हिस्की पीकर मनाएँ. फिर उसने बोतल खोली और पुजारी की ओर बढ़ाई.

पुजारी ने हाथ जोड़ लिए और कहा राम ! राम !! मैंने जिंदगी में कभी भी शाकाहार और दूध घी के अलावा कुछ नहीं खाया पिया. मेरा धर्म भ्रष्ट मत करो. –

परंतु पादरी ने पुजारी को फिर समझाया देखो यदि तुम ईश्वरीय संदेश को नहीं मानोगे तो भगवान को सचमुच अप्रसन्न कर दोगे.

आज का चुटकुला एक बार एक ग्रंथी, मौलवी और पँडित फुरसत के लम्हों में गुफ्तगू कर रहे थे।

चर्चा का विषय था कि ये लोग पूजा के दौरान मिली दक्षिणा किस तरह उपयोग करते हैं। विषय बड़ा नाजुक था।

सवाल व्यक्तिगत आवश्यकताओं और पूजास्थल की देखभाल के बीच दक्षिणा के धन के सामंजस्य का था।

पुजारी बोले “भाई मैं तो दैनिक आरती के बाद पूजा का थाल बीच हाल में रख देता हूँ। भक्तजन अपने स्थान से दान दक्षिणा के सिक्के उछाल देते हैं।

जितने थाली में गिरते हैं उतने मेरे दैनिक खर्च के लिये उपयोग हो जाते हैं, शेष प्रभु के भोग, अँगार और मंदिर के रखरखाव में । “

मौलवी जी का भी कमोबेश यही तरीका निकला। वे बोले ” मैं भी नमाज के बाद अपनी चार फैला देता हूँ।

नमाजी खैरात उछालते हैं अल्लाह के फजल से जितनी चादर में गिरी वह इस बँदे की, बाकी अल्लाह के घर की साजोसँभाल में खर्च हो जाती है। “

ग्रंथी जी कसमसाये और तल्ख स्वर में बोले “तुम लोग ऊपरवाले की नेमत की इस तरह तौहीन करते हो, तभी तो लगता है कि महीनों से कुछ खाया ही नही ।

” मौलवी जी और पँडित दोनों चौके और पूछ बैठे ” ग्रंथी जी भला हम क्या गलत करते हैं।

आप ही बताइयें आप चढ़ावे का क्या करते हैं?”

लेकिन दोनो की लाख मनौव्वल के बाद भी ग्रंथी जी ने अपनी सफेद चिकनी दाढ़ी पर हाथ फेर कर सिर्फ यही फर्माया कि ” रूपया पैसा ऊपरवाला बख्शता है।

उसे इस तरह उछलवा कर आप लोग ऊपर वाले की ही बेइज्जती करते हो। आप कल खुद ही गुरद्वारे आकर देख

लेखक
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 269
Pdf साइज़2.8 MB
Categoryकहानियाँ(Story)

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