वेदार्थ परिजात – Vedartha Parijata Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
वेदार्थ के जिज्ञासुओं तथा तत्त्वचित्तक अनुसन्धाताओं के समक्ष ‘देदार्थपारिजात’ नामक वेदभाष्य को प्रस्तुत करने की हमारी योजना है
इस भाष्य के प्रणेता अनन्तश्रीविभूषित सर्वतन्त्रस्वतन्त्र सनातनपमंसमुज्जोवक प्रातःस्मरणीय पुण्यश्लोक श्री स्वामी करपात्री जी महाराज हैं।
सभी वेदभाष्यभूमिका का यह प्रथम भाग प्रस्तुत किया जा रहा है । इसका द्वितीय भाग और शुक्ल यजुर्वेद का विस्तृत भाष्य शोध्र ही विज्ञ पाठकों के समक्ष आवेगा ।
स्वामी जी के विषय में हमें अधिक नहीं कहना है । उनसे सभों परिचित है त्यागी महात्मा होते हुए भी आप काल चक्र की विपरीत गति के कारण ह्रासोन्मुख सनातन धर्म को पुनरुज्जीवित करने के लिये निरन्तर सचेष्ट रहते है।
हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक सद्धर्म का प्रचार और प्रसार करने के लिय, अपने उपदेशा मृत से भक्त जनो को आह्लादित करने के लिये इन्होंने अनेक वार यात्राएं की हैं और आस्तिक भारतीय जनों को अपनी अनोखी प्रवचन शैली से शाश्वत सनातन धर्म की ओर आकृष्ट करने में अद्भुत सफलता प्राप्त की है।’
धर्मो विश्वस्य जगतः प्रतिष्ठा’ इस प्रामाणिक वचन के अनुसार जगत् की स्थिति धर्म के कारण ही है।
मनुस्मृति के अनुसार हमारा देश भारतवर्ष अत्यन्त प्राचीन काल से घर्मनिष्ठ होने के कारण ही सारे जगत् का गुरु वन गया था। भारत देश की भव्य प्रासाद के रूप में कल्पना कर हमें देखना चाहिये ।
मन्दिर या महल का निर्माण करने के लिये इंट, वाल, सीमेन्ट और चूने की आवश्यकता पड़ती है।
कम्द, मूल, फल मात्र से अपनो उदर पूर्ति कर हमारे चिरन्तन ऋषि-महषियों ने अर्थ और काम नामक दो पुरुषार्थों की इष्टका (ईंट) के रूप में परिकल्पना करके, सा त्यागी महात्मा होते हुए भी आप काल चक्र की विपरीत गति के कारण ह्रासोन्मुख सनातन धर्म को पुनरुज्जीवित करने के लिये निरन्तर सचेष्ट रहते है।
लेखक | पट्टाभिराम शास्त्री-Pattabhiram Shastri |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 938 |
Pdf साइज़ | 172.6 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
वेदार्थ परिजात – Vedartha Parijata Book/Pustak Pdf Free Download
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