उसने कहा था – Usne Kaha Tha Book/Pustak Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
साहब की मुच् हटी। लहना सिंह हँसकर बोला- क्यो, लपटन साहब, मिजाज केसा है? आज मने बहुत बाते सौखी । यह सीखा कि सिख सिगरेट पीते हैं । यह सीखा कि जगाधरी के जिसे में नीलगाय होती है
उनके दो फुट चार ईंच के सींग होते हैं। यह सीखा कि मुसलमान खानसामा मूर्तियो पर जल चटाते है और लपटन साहब खोते पर यढते हैं । पर यह तो कहो, ऐसी साफ़ उर्दू कहाँ से सीख आये?
हमारे लपटन साहब तो बिना डैम के पाँच लकज भी नही बोला करते थे लहनासिंह ने पतलून की जेबों की तलाशी नही ली थी। साहब ने मानो जाडे से बचने के लिए दोनों हाय जेबों में डाले।
लहनासिंह कहता गया-चालाक तो बड़े हो, पर माझे का लहना इतने बरस लपटन साहब के साथ रहा है। उसे चकमा देने के लिए चार आँखे चाहिएँ। तीन महीने हुए एक तुर्की मौलवी मेरे गाँव में आया था।
औरतो को बच्चे होने का ताबीज बॉटता था और बच्ची को दवाई देता था। चौधरी के बड़ के नीचे मंजा बिछाकर हुक्का पीला रहता था और कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित हैं। वेद पढ़-पढ़ कर उसमे से विमान
चलाने की विद्या जान गये हैं गा को नही मारले। हिन्दुस्तान मे आ जायेंगे तो गोहत्या बन्द कर देगे। मंडी के बनियो को बहकाता था कि डाकखाने से रुपये निकाल लो, सरकार का राज्य जाने वाला है।
डाक बाबू पोल्हू राम भी डर गया था मैने मुल्ला की दादी मुंड दी थी और गाँव से बाहर निकालकर कहा था कि जो मेरे गाँव में अब पैर रखा तो साहब की जेब में से पिस्तौल चला और लहना की जॉँध में गोली लगी।
लेखक | चंद्रधर शर्मा-Chandradhar Sharma |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 6 |
Pdf साइज़ | 1 MB |
Category | कहानियाँ(Story) |
उसने कहा था – Usne Kaha Tha Book/Pustak Pdf Free Download