उसने कहा था कहानी | Usne Kaha Tha PDF In Hindi

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उसने कहा था – Usne Kaha Tha Pdf Free Download

उसने कहा था चंद्रधर शर्मा गुलेरी 

साहब की मुच् हटी। लहना सिंह हँसकर बोला- क्यो, लपटन साहब, मिजाज केसा है? आज मने बहुत बाते सौखी । यह सीखा कि सिख सिगरेट पीते हैं । यह सीखा कि जगाधरी के जिसे में नीलगाय होती है

उनके दो फुट चार ईंच के सींग होते हैं। यह सीखा कि मुसलमान खानसामा मूर्तियो पर जल चटाते है और लपटन साहब खोते पर यढते हैं । पर यह तो कहो, ऐसी साफ़ उर्दू कहाँ से सीख आये?

हमारे लपटन साहब तो बिना डैम के पाँच लकज भी नही बोला करते थे लहनासिंह ने पतलून की जेबों की तलाशी नही ली थी। साहब ने मानो जाडे से बचने के लिए दोनों हाय जेबों में डाले।

लहनासिंह कहता गया-चालाक तो बड़े हो, पर माझे का लहना इतने बरस लपटन साहब के साथ रहा है। उसे चकमा देने के लिए चार आँखे चाहिएँ। तीन महीने हुए एक तुर्की मौलवी मेरे गाँव में आया था।

औरतो को बच्चे होने का ताबीज बॉटता था और बच्ची को दवाई देता था। चौधरी के बड़ के नीचे मंजा बिछाकर हुक्का पीला रहता था और कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित हैं। वेद पढ़-पढ़ कर उसमे से विमान

चलाने की विद्या जान गये हैं गा को नही मारले। हिन्दुस्तान मे आ जायेंगे तो गोहत्या बन्द कर देगे। मंडी के बनियो को बहकाता था कि डाकखाने से रुपये निकाल लो, सरकार का राज्य जाने वाला है।

डाक बाबू पोल्हू राम भी डर गया था मैने मुल्ला की दादी मुंड दी थी और गाँव से बाहर निकालकर कहा था कि जो मेरे गाँव में अब पैर रखा तो साहब की जेब में से पिस्तौल चला और लहना की जॉँध में गोली लगी।

लहना सिंह हँसकर बोला- क्यो लपटन साहब, मिजाज कैसा है? आज मैंने बहुत बातें सीखी। सीखा कि सिख सिगरेट पीते हैं यह सीखा कि जगाधरी के जिले में नीलगाये होती है और उनके दो फुट चार इंच के सॉंग होते हैं। यह सीखा कि मुसलमान खानसामा मूर्तियों पर जल चढ़ाते हैं और लपटन साहब खोते पर चढ़ते है 1 पर यह तो कहो, ऐसी साफ़ उर्दू कहाँ से सीख आये? हमारे नपटन साहब तो बिना डैम के पाँच लफ्ज भी नहीं बोला करते थे।

लहनासिंह ने पतलून की जैवों की तलाशी नहीं ली थी। साहब ने मानी जाड़े से बचने के लिए दोनों हाथों में डा लहनासिंह कहता गया- चालाक तो बड़े हो, पर माँझे का लहना इतने बरस लपटन साहब के साथ रहा है। उसे चकमा देने के लिए चार आँखे चाहिए।

तीन महीने हुए एक तुर्की मौलवी मेरे गाँव में आया था। औरतो को बच्चे होने का ताबीज बॉटला था और बच्चों को दवाई देता था।

चौधरी के बड़ के नीचे मंजा बिछाकर हुक्का पीता रहता था और कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित है। वेद पढ़-पढ़ कर उसमे से विमान चलाने की विदया जान गये है।

गौ को नहीं मारती हिन्दुस्तान मे आ जायेंगे तो गोहत्या बन्द कर देंगे।

मंडी के बनियो को बहकाता था कि डाकखाने से रुपये निकाल लो सरकार का राज्य जाने वाला है।

ग्रक बाबू पोल्हू राम भी डर गया था। मैने मुल्ला की दादी मुंह दी थी और गाँव से बाहर निकालकर कहा था कि जो मेरे गाँव मे अब पैर रखा तो साहब की जेब में से पिस्तौल चला और लहना की जांघ में गोली लगी।

इधर लड़ना की जरी मार्टिन के दो फायरी ने साहब की कपाल-क्रिया कर दी।

लहनासिंह में उसे तो यह कह कर सुला दिया कि एक हड़कर कता आया था. मार दिया और औरो से सब हाल कह दिया बंदूक लेकर सब तैयार हो गये। लहना ने साफाड़कर घाव के दोनों तरफ पट्टियों कसकर बांधी घाव माँस में ही था। पट्टियों के कसने से बन्द हो गया।

इतने में सत्तर जर्मन चिल्लाकर खाई में घुस पड़े। सिखों की बंदूकों की बाढ़ ने पहले धावे को रोका। दूसरे को रोका पर यहाँ से आठ (ना सिंह तक-तक कर मार रहा था। वह खड़ा था और लेटे हुए थे और वे सतर अपने मुदी भाईयो के शरीर पर चढ़कर जर्मन आगे घुसे आते थे।

थोड़े मिनटो में दे अचानक आवाज आयी वाह गुरुजी की फतह वागुदी का खालसा और पापड़ बंदूकों के फायर जर्मनो की पीठ पर पड़ने लगे। ऐन मौके पर जमे दो के पार्टी के बीच में आ गए।

पीछे से सूबेदार हजारासिंह के जवान आग बरसाते थे और सामने से लहनासिंह के साथियों के संगीन चल रहे थे पास आने पर पीछे वालों ने भी संगीन पिरोना शुरु कर दिया

लेखक चंद्रधर शर्मा-Chandradhar Sharma
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 6
Pdf साइज़1 MB
Categoryकहानियाँ(Story)

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