उद्धव शतक – Uddhav Shatak Book Pdf Free Download

पुस्तक का एक मशीनी अंश
अर्थ-शक्तियों पर विचार करते हुए यदि हम इसे देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह अभिधा, लक्षणा और क्यञ्जना तीनों से परिपुष्ट है ।
इस प्रकार विचार करके हम कह सकते हैं उद्धव- शतक वह बित्रोपम सत्काव्य है जिसमे प्रबन्धात्मक मुक्तक का प्राधान्य है और जिसमें अभिधा, लक्षणा और व्यजना तीनों का अच्छा उत्कर्ष मिलता है सरसता (रसात्मकता),
अर्थ-गौरव और ललित तथा मृदुल पदावली की मधुरता तो कुट कुट कर भरी ही हुई है।
अपनी शैली का यह एक अनूठा काव्य है। जिस प्रकार हिन्दी-साहित्य में दोहा छन्द में शतक या सतसई लिखने की पद्धति हिन्दी-काव्य के माध्यमिक काल में प्रचलित थी, उसी प्रकार यह काव्य भी केवल बनाकरी छृन्दों में सत- सई के समान लिखा गया है
अर्थात् इसमें केवन ११६ घनाचरियाँ हैं। बुरु सतसई में भी पूरे सौ दोहे नहीं हुआ करते वरन् उनकी संख्या कुछ अधिक रहती है।
चूंकि सतसई दोहा-पद्धति के लिए ही रूढ़ि सी होगई है, इसी लिए इसका नाम सतसई १र न २खा जाकर संस्कृत की शतक शैली के आधार पर ‘उद्धव-शतक’ रक्खा गया है। इस ‘उद्धव’ शब्द के द्वारा इस काव्य की वस्तु प्राप्त हो जाता है।
कथावस्तु:- -इस काग्य में गोपियों और कृष्ण से सम्बन्ध रखने वाली उस घटना का चितिला किया गया है जिससे हिन्दी-जन ता भक् कविवरों की कृपा से भली-भांति परिचित है।
इसकी कथा-वस्तु का निष्कर्ष यह है: भगवान् श्री कृष्ण अपने मित्र ज्ञानी उद्धव को अपना पत्र-वाहक बना कर (इसी व्याज से) गोपियों के निकट भेजते हैं।
‘उदय’ जी गोपियों से मिलते हैं और उनसे ज्ञान एवं योग-सम्मत वार्तालाप करते और उन्हें उपदेश देते हैं । गोपियाँ उत्तर में विशुद्ध प्रगाढ़-प्रेम पूर्ण हार्दिक भावों को व्यक्त करती बातों को काट देती हैं
लेखक | जगन्नाथदास रत्नाकर-Jagnnathdas Ratnakar |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 253 |
Pdf साइज़ | 56.7 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
उद्धव शतक – Uddhav Shatak Book Pdf Free Download
अति सुंदर