रोमियो की पत्री – The Gospel According to Paul Romans Hindi version Book/Pustak Pdf Free Download
पुस्तक का एक मशीनी अंश
क. पौलुस का चौंका देने वाला धर्मधास्त्रीय विचार जो 321-31 साबित करता है कि पतित मानवजाति परमेष्वर के सामने मुफ्त वरदान द्वारा धर्मी ठहराई गई, पूरी तरह से मूसा की व्यवस्था से अलग पौलुस पुराने नियम से इब्राहीम और दाऊद (रोमियों. 46-8)
दोनों के उदाहरण देने के द्वारा अब ये साबित करने की कोषिष कर रहें हैं कि कोई बदलाव नहीं है (रोमियों 321 )।
ख रोमियों4 मूसा की व्यवस्था से उदाहरण प्रस्तुत करता है, उत्प-व्यव, विष्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाने के सिद्धान्त के लिए। ये 321-31 में सारांष रूप में प्रस्तुत किया गया है।
यहूदियों के लिए मूसा के लेखों में से लिए गए आयतों का धर्मधास्त्रीय तौर पर बहुत मूल्य था विषेश करके जब वह इब्राहीम से सम्बन्धित हों, क्योंकि उन्हें इस्राएल राश्ट्र के पिता के रूप में देखा जाता था। दाऊद को आने वाले मसीह के रूपक के तौर पर देखा जाता था (2षमू 7) ।
यहूदियों और विष्वासी अन्यजातियों के बीच मतभेद इस चर्चा की परिस्थिति थी यह सम्भव है कि यहूदी मसीही अगुवे नीरो (जिसने सभी यहूदी रस्मों को समाप्त कर दिया) द्वारा रोम छोड़ने पर मजबूर किए गए।
इस समय उनके पद अन्यजातिय मसीही अगुवों को दे दिए गए। पहले अगुवों के समूह के लौट आने के कारण यह समस्या सामने आ गई कि अगुवों के पद पर कौन होगा।
ग. रोमियों में बताता है कि पतित मानवजाति हमेषा से अपने अन्दर की आत्मिक ज्योति के सम्बन्ध में परमेष्वर पर विष्वास और पश्चाताप द्वारा उद्धार पाती है (उत्प 15:6; रोमियों4.3) ।
कई बातों में नई वाचा (सुसमाचार) पुरानी वाचा से मौलीक रूप से भिन्न नहीं है (विर्म:31:31-34; यहे.36 22-38)। घ यह विष्वास द्वारा धार्मिकता का मार्ग सभी के लिए खुला है, केवल पितरों या इस्राएल के नागरिकों के ।
लेखक | Bob Utley |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 372 |
Pdf साइज़ | 1.5 MB |
Category | साहित्य(Literature) |
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