तीसरी फसल | Teesri Fasal PDF In Hindi

तीसरी फसल | Teesri Fasal Book Pdf Free Download

तीसरी फसल

इस सवाल ने योजना से जुड़े लोगों को बेचैन कर दिया। अगर इन गायों ने स्थानीय सांड़ों के संपर्क से गर्भ धारण कर लिया तो क्या होगा ? इन्हें इससे बचाना होगा।

तभी भावी नस्ल की शुद्धता को बचाया जा सकता है। फिर क्या था! कोमना के हाईस्कूल के प्रधानाचार्य विश्वभर जोशी बताते हैं कि स्थानीय सांड़ों को बधिया बनाने का अभियान बड़े पैमाने पर शुरू किया गया।

वह बताते हैं कि इलाके के पशुधन निरीक्षक ने बड़ी निर्ममता के साथ कोमना, खरियार और खरियार रोड के सभी सांड़ों का बधियाकरण किया। इसके बाद जर्सी के शुक्राणु से गायों का कृत्रिम गर्भाधान किया गया।

प्रधान जी बताते हैं कि इस काम पर दो करोड़ रुपये खर्च हुए और दो साल बाद ‘समूचे इलाके में आठ बछड़े पैदा हुए। एक लीटर भी फालतू दूध नहीं हासिल हुआ।

सुबाबुल के पेड़ों का तो कहीं नाम- निशान भी नहीं था जबकि उन्हें हजारों की तादाद में लगाया गया था।’दस साल बाद इसके नतीजे और भी चौंकाने वाले हैं: कोमना के आसपास के गांवों में एक भी सांड नहीं बचा है।

बधिया बनाने का जो अभियान चलाया गया था उसने कम से कम इस क्षेत्र में स्थानीय खरियार सांड़ों की नस्ल को ही खत्म कर दिया। उलवा में फदकू टांडी ने मुझे बतलाया कि ‘अब इस गांव में एक भी साड़ नहीं बचा है।

समन्विता परियोजना का वह भी “कृपापात्र” था। वह बताता है, ‘आठ बछिया पैदा हुई जो बहुत छोटी और बेकार थीं। कुछ तो मर गई और कुछ को बेच दिया गया। वे बिल्कुल दूध नहीं देती थीं।

समन्विता परियोजना का लाभ पाने वाले श्यामल कुलदीप ने भी बताया, “मैंने और मेरी पत्नी ने किसी तरह छह बछड़ों को पाला। इनमें से चार तो एक ही दिन मर गए। आखिर में कोई जिंदा नहीं बचा।”

लेखकपी। साईनाथ-P. Sainath
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ224
Pdf साइज़22.5 MB
Categoryविषय(Subject)

Related PDFs

The Problems Of Philosophy PDF By Bertrand Russell

तीसरी फसल | Teesri Fasal Book Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!