महापुरुषों के अविस्मरणीय जीवन प्रसंग | Mahapurushon Ke Avismarniya Jeevan Prasanga PDF In Hind

‘महापुरुषों की जीवनी’ PDF Quick download link is given at the bottom of this article. You can see the PDF demo, size of the PDF, page numbers, and direct download Free PDF of ‘Mahapurushon Ki Jivani’ using the download button.

महापुरुषों की प्रेरक कहानियां – Mahaapurushon Kee Prerak Kahaaniyaan Pdf Free Download

महापुरुषों की जीवनी

परशुराम उन दिनों शिवजी से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। अपने शिष्यों की मनोभूमि परखने के लिए शिवजी समय-समय पर उनकी परीक्षा लिया करते थे।

एक दिन गुरु ने कुछ अनैतिक काम करके छात्रों की प्रतिक्रिया जाननी चाही। अन्यत्र तो संकोच में दब गए पर परशुराम से न रहा गया। वे गुरु के विरुद्ध लड़ने को खड़े हो गये और साधारण समझाने-बुझाने से काम न चला तो फरसे का प्रहार कर डाला ।

चोट गहरी लगी । शिवजी का सिर फट गया। पर उन्होंने बुरा न माना। वरन् सन्तोष व्यक्त करते हुए गुरुकुल के समस्त छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा- अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करना प्रत्येक धर्म-शोल व्यक्ति का मनुष्योचित कर्तव्य है।

फिर अन्याय करने वाला चाहे कितनी हो ऊंची स्थिति का क्यों न हो। संसार से अधर्म इसी प्रकार मिट सकता है। यदि उसे सहन करते रहा जायेगा तो इससे अनीति बढ़ेगी और इस सुन्दर संसार में अशान्ति उत्पन्न होगी ।

परशुराम ने धर्म रक्षा के लिए जो दर्प प्रदर्शित किया उससे मैं बहुत शकर जी ने अपने इस प्रिय शिष्य को उठाकर छाती से लगा लिया। उन्हें अव्यर्थ शस्त्र ‘परशु’ उपहार में दिया और आशा प्रकट की कि उनके द्वारा संसार में फैले हुए

अधर्म का उन्मूलन करने की एक भारी लोक सेवा बन पड़ेगी । शिवजी ने अपने शिष्यों के और भी कहा— बालको ! केवल दान, धर्म, जप, तप, व्रत उपवास ही धर्म के लक्षण नहीं है, अनीति से लड़ने का कठोर व्रत लेना भी धर्म साधना का एक अंग है।

लेखक श्री राम शर्मा-Sri Ram Sharma
भाषा हिन्दी
कुल पृष्ठ 424
Pdf साइज़36.7 MB
Categoryसाहित्य(Literature)

महापुरुषों की प्रेरक कहानियां – Mahaapurushon Kee Prerak Kahaaniyaan Pdf Free Download

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!